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क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी

 क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी


जय श्री राम,
नाग पंचमी के बारे में भविष्य पुराण के ब्रह्मा पर्व  में नागपंचमी की कथा और उसके व्रत विधान का तथा फल के बारे में विस्तृत वर्णन दिया हुआ है  । इसके अलावा स्कंद पुराण के श्रावण महत्व पर्व में भी सनत कुमार को ईश्वर ने नाग पंचमी के बारे में बताया है  । 
पहले हम आपको भविष्य पुराण के ब्रह्मा पर्व में दिए गए नाग पंचमी की कथा के बारे में बताते हैं । इस पुराण के अनुसार सुमंतु मुनि ने शतानीक राजा को नाग पंचमी की कथा के बारे में बताया है
 श्रावण शुक्ल पक्ष के पंचमी के दिन नाग लोक में बहुत बड़ा उत्सव होता है । पंचमी तिथि को जो व्यक्ति नागों को गाय के दूध से स्नान कराता है उसके  कुल को  सभी नाग अभय दान देते हैं । उसके परिवार जनों को सर्प का भय नहीं रहता है  ।  
महाभारत में जन्मेजय के  के नाग यज्ञ की कहानी है ।  जिसके अनुसार जन्मेजय के नाग यज्ञ के दौरान बड़े-बड़े विकराल नाग अग्नि में आकर जलने लगे  ।  उस समय आस्तिक नामक ब्राह्मण सर्प यज्ञ रोककर नागों की रक्षा की थी यह पंचमी की तिथि थी अतः नागों को पंचमी की तिथि बहुत प्यारी है इस दिन मिट्टी के नाक बनाना चाहिए ऊंची पूजा करना चाहिए उनके ऊपर दुग्ध स्नान कराना चाहिए तदोपरांत उन्हें विश्व रचित कर ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए । पूजन करने का विस्तृत विवरण भविष्य पुराण और स्कंद पुराण में दिया हुआ है
इस प्रकार नियम अनुसार जो पंचमी को नागों का पूजन करता है उसे पर नागों की विशेष कृपा रहती है । 
भविष्य पुराण में सांपों के लक्षण स्वरूप और जातियों के बारे में भी वृहद वर्णन भी है । इससे पता लगता है कि हमारे पुराने ऋषि मनीषियों को सर्पों के बारे में कितना ज्ञान था।


स्कंद पुराण में भी नाग पंचमी के व्रत के बारे में कहा गया है उसमें ब्रह्मा जी ने बताया है कि
चतुर्थी तिथि को एक बार भोजन करें और पंचमी को नक्त भोजन करें. स्वर्ण, चाँदी, काष्ठ अथवा मिटटी का पाँच फणों वाला सुन्दर नाग बनाकर पंचमी के दिन उस नाग की भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. द्वार के दोनों ओर गोबर से बड़े-बड़े नाग बनाए और दधि, शुभ दुर्वांकुरों, कनेर-मालती-चमेली-चम्पा के फूलों, गंधों, अक्षतों, धूपों तथा मनोहर दीपों से उनकी विधिवत पूजा करें  ।  उसके बाद ब्राह्मणों को घृत, मोदक तथा खीर का भोजन कराएं  ।  इसके बाद अनंत, वासुकि, शेष, पद्मनाभ, कम्बल, कर्कोटक, अश्व, आठवाँ धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालीय तथा तक्षक – इन सब नागकुल के अधिपतियों को तथा इनकी माता कद्रू को भी हल्दी और चन्दन से दीवार पर लिखकर फूलों आदि से इनकी पूजा करें   ।
उसके बाद  वामी में प्रत्यक्ष नागों का पूजन करें और उन्हें दूध स्नान करवाएं  ।  घृत तथा शर्करा मिश्रित पर्याप्त दुग्ध उन्हें अर्पित करें  ।   इस विधि से व्रत करने पर सर्प से कभी भी भय नहीं होता है  ।  
 प्रत्येक मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग देव का पूजन किया जा सकता है  ।   वर्ष के पूरा होने पर नागों के निमित्त ब्राह्मणों तथा सन्यासियों को भोजन कराएं  ।   
सनातन धर्म में नाग पंचमी के बहाने नागों की रक्षण का व्रत लिया जाता है  । नागों की रक्षा से पर्यावरण  संतुलित रहता है  ।  सांप सामान्यतया किसानों के लिए हितकारी हैं  ।  सांप फसलों को नष्ट करने वाले कीड़े पतंगों को खा जाते हैं जिससे की फसलें अच्छी होती हैं ।  सांप फसलों को खाने वाले चूहों को भी खा जाते हैं ।  इस प्रकार हमारे फसल चक्र के लिए सांप एक आवश्यक प्राणी है ।

वर्ष 2023 में नाग पंचमी कब मनाई जाएगी:-

हिंदू पंचांग के अनुसार, नाग पंचमी का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है  ।  इस वर्ष पंचमी तिथि की शुरुआत 21 अगस्त को रात 12 बजकर 21 मिनट पर होगी और पंचमी तिथि का समापन 22 अगस्त को रात 2 बजे होगा  ।  उदया तिथि में पंचमी 21 अगस्त को पड़ रही है अतः 21 अगस्त को नाग पंचमी मनाई जाएगी ।

मां शारदा से प्रार्थना है कि आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें।

जय मां शारदा।
 निवेदक:-
पण्डित अनिल कुमार पाण्डेय
सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता
प्रश्न कुंडली  और वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ
साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया
PIN code -470004
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