रंग विरासत दिल्ली व रंग थिएटर फोरम सागर की प्रस्तुति: 'चंचला सरस्वती और यात्रा'
तीनबत्ती न्यूज : 28 अगस्त ,2023
सागर : 'चंचला सरस्वती और यात्रा' हरिमोहन झा की कहानियों पर आधारित नाट्य प्रस्तुति है इसका निर्देशन सुश्री वंदना वशिष्ठ जी द्वारा किया गया है। हरिमोहन झा मैथिली के प्रख्यात कथाकार के रूप में जाने जाते हैं उनके कथाओं में हास्य का एक अनोखा ही रंग देखने को मिलता है। 10 दिनों की कार्यशाला में तैयार इस प्रस्तुति में कहानियों का चयन इस प्रकार से किया गया के कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी कलाकारों को अभिनय का उचित अवसर मिल सके । हरिमोहन झा की कहानियों का ताना-बाना और उसका विषय दैनंदिन घटने वाली आसपास की घटनाओं के इर्द-गिर्द बुनी गई है।
चंचल की करतूत कथा का नायक उसका पति दरोगा जिसे अपनी जासूसी पर बहुत अभिमान है उसकी जासूसी फेल हो जाती है और उसे अपनी मूंछ काटनी पड़ती है। सरस्वती की पराजय कथा एक पढ़ी-लिखी स्त्री द्वारा अपने देहाती पति को अपने ज्ञान द्वारा आतंकित करने की कथा है, कथा शास्त्रार्थ के नायक एक दूसरे के साथ बहस और स्वयं को ज्ञानी बताने की होड़ में शास्त्रार्थ में ऐसे उलझते हैं की रेल यात्रा में नियत स्थान पर पहुंचने के बजाय कहीं और पहुंच जाते हैं। चिकित्सा नामक कहानी का नायक श्रीकांत जो 7 वर्ष बाद आज ही अपने घर लौटा है और लौटते ही उसे हिचकी का दौरा पड़ जाता है तब गांव के वैध जी उसे उसके परिवार के का हाल-चाल बताते हुए उसके परिवार के लोगों का के मृत्यु का समाचार सुनाते हैं, श्रीकांत अपने प्रिय जनों की मृत्यु का समाचार से इतना व्यथित होता है कि उसकी हिचकी गायब हो जाती है, कथा के अंत में पता चलता है की वैद्य जी उसकी हिचकी को दूर करने के लिए इस युक्ति का प्रयोग कर रहे थे।
हरिमोहन झा की यह कहानी देखने में सहज एवं सरल आवश्यक लगते हैं परंतु इन कहानियों में ग्रामीण परिवेश की अद्भुत झलक देखने को मिलती है जहां सहजता सरलता है, और ज्ञान की अपनी अनूठी समझ है।
यह सभी प्रस्तुतियां अभिनेताओं द्वारा कार्यशाला में प्रशिक्षण के दौरान तैयार की गई है, इस 10 दिवसीय कार्यशाला में अभिनेताओं ने जो कुछ भी सीखा उसे इस प्रस्तुति में शामिल करने का प्रयास किया है। यह प्रस्तुति अभी अपनी रचना प्रक्रिया में ही है आप समस्त सुधी दर्शकों के विचार हमारे लिए महत्वपूर्ण है आपके विचार के उपरांत यह प्रस्तुति अपना अंतिम स्वरूप लेगी ।
रंगमंच अभिनेताओं का माध्यम
नाटक के मंचन के पहले राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली में मॉडर्न ड्रामा के शिक्षक आसिफ अली हैदर खान , राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली से स्नातक हैं और वर्तमान में राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर नाटकों के मंचन में सक्रिय वंदना वशिष्ठ और रंगकर्मी संगीत श्रीवास्तव ने मिडिया से चर्चा की और नाटक तथा रंगमंच से जुड़े विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि रंगमंच के क्षेत्र में लगातार बदलाव आ रहे है। मिलकर कार्य करने में बेहतर रिजल्ट मिलते है। कलाकारों को सीखने का
मौका मिलता है। सागर में प्लेटफार्म उपलब्ध है। यह एक अच्छी स्थिति है। रंगमंच से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
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