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प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करो पर राज्य स्तरीय सेमिनार आयोजित



प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करो  पर राज्य स्तरीय सेमिनार आयोजित


तीनबत्ती न्यूज :05 अगस्त ,2023
सागर, प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करो  पर एक राज्य स्तरीय सेमिनार ज्ञान-सागर का आयोजन टैक्स बार एसोसिएशन,सागर एवं मध्यप्रदेश टैक्स लॉ बार एसोसिएशन के सँयुक्त तत्त्वावधान में किया गया । सेमिनार  में नई दिल्ली से युवा चार्टर्ड एकाउन्टेंट, अभिषेक जैन द्वारा आयकर में कैपिटल गेन्स विषय पर शेयर्स से सम्बंधित ट्रान्जेक्शन पर पूँजीगत लाभ सम्बंधित प्रावधानों पर प्रकाश डालते हुए शेयर्स,म्युचुअल  फंड्स आदि पर आयकर की देयता तथा इनसे प्राप्त शॉर्ट टर्म एवं लांग टर्म पूँजीगत-लाभ आदि पर लगने वाले टैक्स सम्बंधित प्रावधानों व नियमों की तकनीकी व्याख्या करते हुए बड़े ही सरल व सुगम रूप से सदस्यों को बताया कि शेयर से सम्बंधित दीर्घकालीन व शार्ट टर्म गेन्स पर कब,कहाँ,किस राशि के टर्नओवर तथा कैसे टैक्स की गणना की जाएगी एवं कैसे टैक्स आरोपित किया जा सकता है। श्री जैन ने शेयर्स पर कर की देयता के संदर्भ में बताया कि प्रमुख रूप से निम्न वर्णित परिस्थितियों अनुसार इनसे प्राप्त अंशकालिक व दीर्घकालिक पूँजीगत लाभ पर टैक्स की देयता निर्धारित की जाती है ।

सीए अभिषेक राजाराम, नई दिल्ली  द्वारा जीएसटी-ऑडिट पर अपना विस्तृत पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन प्रस्तुत करते हुए सदन के समक्ष जीएसटी कानून में वर्णित कुछ रोचक व  आवश्यक प्रावधानों की संक्षिप्त विवेचना करते हुए कहा कि जीएसटी की धारा 65 के अधीन केंद्र व राज्यकर आयुक्त  को यह अधिकार दिया गया है, कि किसी भी व्यवासाई द्वारा अपने विवरणियों में दर्शाए गए हिसाब व कर की देयता आदि पर संशय की स्थित में विभागीय ऑडिट कर सकते है ।
जीएसटी कानून में वर्णित प्रावधानों के अनुसार आयुक्त को जीएसटी में किसी भी व्यवासाई के स्पेशल ऑडिट सरकार द्वारा नियुक्त किसी तकनीकी संस्थान अथवा चार्टर्ड एकाउंटैंट से कराए जाने के अधिकार है। जीएसटी कानून की धारा 67(i) में आयुक्त(विभाग) को विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारियों/प्रमाणों के आधार पर  कर अपवंचन की स्थिति में किसी भी व्यवासाई के केवल व्यवसाय स्थल से सम्बंधित स्थानों पर सर्वे करने के अधिकार दिए गए है। धारा 67 के तहत यदि विश्वस्त सूत्रों एंव प्राप्त प्रामाणिक साक्ष्यों के आधार पर आयुक्त को यह विश्वास हो जाता है अथवा विश्वास करने के उनके पास पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध है कि कोई व्यवासाई कर-अपवंचन कर रहा है,  कर अपवंचन को सुकर बनाने का प्रयास कर रहा या कर अपवंचन की गतिविधियों में लिप्त है* तो ऐसे किसी भी व्यवासाई के यहां उसके मुख्य व्यवसाय स्थल, गोदामों, अतिरिक्त व्यवसाय स्थलों,व्यवसाय की अन्य शाखाओं तथा निवास स्थान सहित सभी जगहों पर एक साथ छापे अर्थात रेड की कार्यवाही कर सकते है ।धारा 68 के अधीन किसी भी व्यवासाई व ट्रांसपोर्टर द्वारा परिवहित किये जा रहे माल व वाहन एवं सम्बन्धित आवश्यक दस्तावेज़ों आदि की आकस्मिक जांच करने के अधिकार आयुक्त को प्रदान किये गए है, यदि ऐसी जांच के दौरान कोई अनियमितता पाई जाती है, तो नियमानुसार टैक्स व पेनाल्टी लगाने व जमा कराने के अधिकार भी आयुक्त को प्रदान किये गए है। धारा 69 में वर्णित प्रावधानों के अनुरूप आयुक्त को यह अधिकार है कि वह विश्वस्त सूत्रों से  प्राप्त जानकारी,प्रमाण संशय, आदि के आधार पर की कोई व्यवासाई/व्यक्ति कर अपवंचन में लिप्त है, ऐसे व्यवासाई के विरुद्ध किसी अन्य व्यक्ति विशेष से जानकारी प्राप्त कर सकते है।यदि किसी व्यवासाई जो कि करअपवंचन करता पाया गया है अथवा ऐसे व्यवासाई/व्यक्ति के यहां सर्वे या रेड की कार्यवाही के दौरान किसी अन्य व्यवासाई/व्यक्ति से सम्बंधित शंकास्पद दस्तावेज़ आदि प्राप्त हुए हो तो इनके प्रतिपरीक्षण (क्रॉस वेरिफिकेशन) के लिए ऐसे व्यक्ति/व्यवासाई को धारा 70 में वर्णित प्रावधानों के अनुसार समन्श(नोटिस) जारी कर सकते है, तथा तथ्यों व उपलब्ध दस्तावेज़ों के आवश्यक परीक्षण उपरांत  यदि अपराध साबित हो जाता है तो ऐसे व्यक्ति/व्यवासाई को 5 वर्ष तक के कारावास व अर्थदंड की सजा दी जा सकती है।धारा 71 में आयुक्त को यह अधिकार है कि यदि किसी व्यवासाई के विरुद्ध उन्हें कोई जानकारी मिली है ऐसे व्यवासाई/व्यक्ति के यहां जीएसटी में वर्णित प्रावधानों/नियमो के अनुसार व्यवसाय नही किया जा रहा है, तो आयुक्त विभागीय अधिकारी को सामान्य ग्राहक के रूप में उसके व्यवसाय स्थल पर भेजकर इसकी पुष्टि उपरांत आवश्यक कानूनी कार्यवाही ऐसे व्यवासाई/व्यक्ति के ख़िलाफ़ कर सकते है।धारा 72 में वर्णित प्रावधानों के अनुसार आयुक्त को अधिकार दिए गए है कि सर्वे अथवा रेड के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से वह पुलिस अभिरक्षा/सहायता  प्राप्त करने के लिए सम्बन्धित पुलिस प्राधिकारीयों को इसके लिए निर्देशित कर सकते है । सीए.अभिषेक राजाराम ने सदन में उपस्थित सदस्यों को बताया कि,किसी भी विभागीय प्रक्रिया, ऑडिट, असेसमेंट आदि के संदर्भ में जो भी आदेश पारित किया गया है, ऐसे पारित आदेश कानून में वर्णित प्रावधान/नियम या संवैधानिक व्यवस्था के प्रतिकुल(विरुद्ध) है, तो हमें ऐसे अव्यवहारिक आदेशों(ऑर्डर) के खिलाफ़ अनिवार्य रूप से नियमानुसार सक्षम अधिकारी या के कोर्टअपील प्रस्तुत करना चाहिए, जिससे आगे जाकर कहीं ना कहीं न्याय प्राप्त हो सकेगा।
 श्री अमीत दवे (जीएसटी विशेषज्ञ),इंदौर ने जीएसटी में टैक्स की रिकवरी( वसूली)से सम्बंधित प्रावधानों की विस्तृत तकनीकी व्याख्या करते हुए सदन को बताया कि, विभाग द्वारा किसी करदाता के विरुद्ध निकाली गई टैक्स-डिमांड की "रिकवरी" कैसे व किन परिस्थितियों में कई जा सकती है, तथा किन-स्थितियों में नहीं की जा सकती।
 श्री दवे ने सरल,सुगम व तकनीकी रूप से धारा 79 में वर्णीत रिकवरी सम्बन्धी प्रावधानों को समझते हुए करदाता के पक्ष में जारी कई न्यायलयीन निर्णयों के माध्यम से  अपनी बात को सदन के समक्ष रखा। जिसे उपस्थित सदस्यों द्वारा ध्वनिमत से सराहा गया।श्री दवे द्वारा  संस्थागत सदस्यों के लाभार्थ स्वयं के द्वारा ड्राफ़्ट किया गया विस्तृत,सारगर्भित व तकनिकी राइट-अप मय न्यायलयीन निर्णयों सहित सदन में उपस्थित सदस्यों को वितरित किया गया।
सीए. शैफाली गिरदवाल,नई दिल्ली ने कार्यक्रम के अंतिम तकनीकी सत्र में जीएसटी में विवादित मामलों तथा फ़ेक-इनवॉइस से जुड़े मुद्दों* जैसे महत्वपूर्ण विषय पर अपना सारगर्भित उद्धबोधन प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंनें प्रमुख रूप से यही कहा कि फ़ेक-इनवॉइस के मामलों में क्रेता ख़ुद का बचाव कैसे कर सकते है,  इसके लिए  2022 में एक सर्कुलर जारी करके कुछ बिंदु क्लेरिफाई भी किए हैं, जनक3 अनुसरण में फ़ेक इनवॉइस से समबन्धी मामलों को तकनीकी रूप से विभाग के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता। नहीं तो ऐसे फ़ेक-इनवॉइस मामलों में सम्बंधित व्यक्ति/करदाता को अक्सर ज़मानत मिलना काफ़ी मुश्किल जो जाता है।अतः जीएसटी में  लिटिगेशन यानी विवादित कानून मामलों को सुलझाने या इनसे बाहर आने के  लिए सभी को अपने अधिकारों व कानूनी प्रावधान/नियमों की जानकारी होना बहुत  आवश्यक है।
   इससे पहले कार्यक्रम की विधिक शुरुआत माँ-सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप-प्रज्वलन व माल्यार्पण कर की गई। इस अवसर पर सागर नगरी के ऐतिहासिक-व्यक्ति तथा ज्ञान के पुंज डॉ हरिसिंह गौर  का स्मरण कर उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए गये। तत्पश्चात कार्यक्रम में आमंत्रित वक्ताओं का पुष्प-गुच्छ भेंट कर आत्मीय स्वागत व अभिनंदन   किया गया । इसके पश्चात कार्यक्रम में स्थानीय टेक्स बार के सदस्यों के साथ ही प्रदेश के विभिन्न शहरों जैसे- इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर,रीवा,छतरपुर,सिंगरौली,सतना,
छिंदवाड़ा,दमोह,टीकमगढ़से पधारे संस्थागत सदस्यों का स्वागत व अभिनंदन किया गया।
एड. राम अवतार यादव अध्यक्ष-टैक्स बार एसोसिएशन,सागर ने अपने स्वागत उद्धबोधन में कहा कि आयोजन  से ना केवल टैक्स बार सागर का अपितु समस्त सागर वासियों के मस्तिक गर्व से ऊंचा हुआ है, यह हमारे लिए अत्यंत ही गौरवशाली क्षण है। श्री यादव ने सभी विषय वक्ताओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उनका आत्मीय आभार प्रकट किया।  एड.ए.के.लखोटिया, अध्यक्ष-मध्यप्रदेश टैक्स लॉ बार एसोसिएशन ने कार्यक्रम में आमंत्रित कुशल विषय वक्ताओं का अभिनंदन व स्वागत करते हुए  सारगर्भित शब्दों के माध्यम से आत्मीय आभार प्रकट किया । श्री लखोटिया ने सभी सदस्यों से आग्रह किया है कि,कर कानूनों तथा विभागीय कार्य-प्रणाली के संदर्भ में आपकी कोई भी जायज़ समस्या या कठिनाई हो आप हमें लिखित व प्रमाणिक रूप से भेजें, संगठन स्तर पर इसका हर सम्भव समाधान किया जाएगा।  इस राज्य स्तरीय आयोजन में इंदौर,भोपाल, ग्वालियर,सागर, जबलपुर,छतरपुर, छिंदवाड़ा,सतना,रीवा,सिंगरौली,दमोह,खुरई,टीकमगढ़ व अन्य से लगभग 250 से अधिक  सदस्य उपस्थित रहे।संचालन  एड. पवन पाठक, सीए. मयंक केसरवानी एवं सीए. स्वप्निल शुक्ला द्वारा किया गया ।आभार संस्था सचिव मनीष त्रिपाठी  द्वारा व्यक्त किया गया।


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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885

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