SAGAR : रिश्वत लेने वाले पटवारी को चार साल की सजा

SAGAR :  रिश्वत लेने वाले पटवारी को चार साल की सजा

सागर ,4 जुलाई,2023 । संपत्ति के नामांतरण के ऐवज में रिष्वत लेने वाले पटवारी नरोत्तमदास चौधरी को विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर म.प्र श्री आलोक मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7 के अंतर्गत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड व धारा-13(1)(डी)सहपठित धारा-13(2) के तहत 04 वर्ष का सश्रम कारावास व पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।मामले की पैरवी श्री श्याम नेमा सहा. जिला लोक अभियोजन अधिकारी ने की।
घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि दिनांक 06.09.16 को आवेदक कमलेश दुबे ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को एक हस्तलिखित शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि वह किसानी करता है, उसके पिता का दिनांक 08.11.2015 को स्वर्गवास हो जाने से वह अपने पिता की सम्पत्ति अपनी मां, बहन व भाई के नाम पर कराने अर्थात् नामांतरण कराने के लिए संबंधित पटवारी अभियुक्त नरोत्तम अहिरवार के पास उसके बण्डा स्थित कार्यालय गया, तो अभियुक्त ने उससे 1,500/-रु. रिश्वत राशि की मांग की। ंवह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहता, बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। उक्त आवेदन पर कार्यवाही हेतु तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, वि.पु.स्था. सागर ने निरीक्षक संतोष सिंह जामरा को अधिकृत किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मॉग वार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई ।


 नियत दिनॉक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को राषि दी गई व आवेदक का इषारा मिलने पर टेªपदल के सदस्य मौके पर पहुॅचे और टेªपदल का परिचय देकर अभियुक्त का परिचय प्राप्त करने के उपरांत, अभियुक्त से रिश्वत राशि के संबंध में पूछे जाने पर, रिश्वत राशि आवेदक से लेकर अपने पहने हुये कुर्ते के उपर की बायीं जेब में रख लेना बताया, तत्पश्चात् अग्रिम कार्यवाही प्रारम्भ की गई। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 एवं धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया। 

विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है ।                                        

Share:

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

Archive