बिना प्रेम किए कोई कवि नहीं हो सकता : डॉ.सुरेश आचार्य▪️पूर्व कुलपति व विधायक शिव कुमार श्रीवास्तव की स्मृति में आयोजन

बिना प्रेम किए कोई कवि नहीं हो सकता : डॉ.सुरेश आचार्य

▪️पूर्व कुलपति व विधायक शिव कुमार श्रीवास्तव की स्मृति में आयोजन




तीनबत्ती न्यूज :5 जुलाई,2023

सागर। पूरे देश में अपने उत्कृष्ट काव्य सृजन, चित्रांकन और यशस्वी व्यक्तित्व से पहचान स्थापित करने वाले सागर विश्वविद्यालय के कुलपति और सागर विधायक रहे साहित्यकार स्व.शिव कुमार श्रीवास्तव की 95 वी जन्म जयंती के अवसर पर उनके स्मरण का बहुप्रतीक्षित आयोजन पं.ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी फाउंडेशन सागर द्वारा  जे जे इंस्टीट्यूट सिविल लाइंस सागर में गरिमामय कार्यक्रम के द्वारा किया गया।

आयोजक संस्था पं.ज्वालाप्रसाद ज्योतिषी फाउंडेशन (जे जे) के सचिव आशीष ज्योतिषी ने स्वागत भाषण में स्व.शिवकुमार जी से जुड़े रोचक प्रसंग सुनाए। उन्होंने कहा कि शिवकुमार जी ने अपना संपूर्ण जीवन सागर के लिए जिया,सागर ही उनका अपना परिवार है। वे पं ज्वालाप्रसाद ज्योतिषी के राजनैतिक और साहित्यक उत्तराधिकारी थे। शिवकुमार श्रीवास्तव जी राजनीति मे साहित्य से आए थे इसलिए राजनीति में निष्कलंक रहे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार, पूर्व अध्यक्ष हिंदी विभाग, डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर डॉ सुरेश आचार्य ने अपने उद्बोधन में कहा बिना प्रेम किए कोई कवि नहीं हो सकता। प्रेम के कारण उपेक्षित कवि ही अच्छा गीतकार हो सकता है। रत्नावली द्वारा गोस्वामी तुलसीदास को यदि तिरस्कृत और उपेक्षित नहीं किया गया होता तो गोस्वामी जी इतने बड़े कवि नहीं हो पाते। शिवकुमार जी के एक प्रेम गीत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रेम की तीन कोटियां हैं। पहली दैविक (आध्यात्मिक) दूसरी पौराणिक (दैहिक) और तीसरी अलौकिक (भौतिक) है। "तुम ऋचा हो,मंत्र हो या श्लोक हो" गीत तीनों श्रेणियों से अपने प्रिय के आलोक में विकीर्ण होकर  व्याप्ति चाहते हुए कवि सिद्धहस्त है और सारी परिस्थितियों में अनुकूलता की कामना करता है।


 उन्होंने आगे कहा शिवकुमार जी दिल्ली में होते तो वे निश्चित ही राष्ट्रीय स्तर के कवि गजानन माधव मुक्तिबोध के साथ परिगणित होते किंतु वह अंत तक अपनी कर्मभूमि सागर में ही रहे। सागर शहर की जनता और रचनाकार उनके द्वारा हिंदी साहित्य के प्रति महान अवदान की ऋणी है। उनका मूल्यांकन भावी पीढ़ी करेगी।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए सागर के पूर्व सांसद नंदलाल चौधरी ने स्वर्गीय श्री शिव कुमार श्रीवास्तव जी की राजनीतिक यात्रा के विभिन्न पक्षों को विस्तारपूर्वक समक्ष रखते हुए उनके साथ बिताए क्षणों को स्मृत किया और उन्हें सागर के विकास की चिंता करने वाले निश्छल व नि:स्वार्थ भावना से परिपूर्ण सच्चे व ईमानदार जन सेवक के तौर पर याद किया।


विशिष्ट अतिथि  गांधीवादी विचारक पं.शुकदेव प्रसाद तिवारी ने उनसे जुड़े अनेक संस्मरणों का विस्तार से उल्लेख करते हुए उन्हें बहुमुखी प्रतिभा के धनी,सभी वर्गों के प्रति समभाव और सम्मान रखने वाले सागर नगर के ज्योति- पुंज के रूप में स्मृत किया।
कायस्थ समाज सागर के अध्यक्ष शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने आयोजन की सराहना करते हुए उसे प्रेरणादायक कहा तथा श्रीवास्तव जी की स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखने की दृष्टि से समाज द्वारा भी कार्यक्रम करने की बात कही।
प्रलेस सागर के अध्यक्ष टीकाराम त्रिपाठी ने शिवकुमार जी के साहित्यिक अवदान पर चर्चा करते हुए कहा कि वे बड़े कवि थे। गीत के अलावा छंदयुक्त और मुक्तछंद में लंबी कविताएं लिखते थे। 1951 में प्रकाशित "नई खबर" उनकी एक बहुत लंबी कविता है। उनके 10 काव्य संग्रह,दो उपन्यास, दो निबंध संग्रह, तीन बाल उपयोगी सचित्र कथा- गीत संग्रह प्रकाशित हैं। उन्होंने जागृति मासिक पत्रिका का संपादन किया।
उनके कुछ उपन्यास काव्य संग्रह, संस्मरण, निबंध अभी भी अप्रकाशित हैं। उनके व्यक्तित्व पर केन्द्रित‌ "शब्द और अर्थ की सार्थकता" प्रो.कांतिकुमार जैन ने संपादित किया था ।मैंने उनके समस्त संग्रहों पर समीक्षात्मक टिप्पणी लिखी थीं। शिवकुमार जी की कविताएं और गीत हिमगिरि प्रहरी,गीतगंध और मेरा शहर के अलावा अनेक पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित प्रसारित हैं।समाचार पत्रों में इस आयोजन की खबर पढ़कर शाहगढ़ से पधारे स्व.श्रीवास्तव के सहपाठी एडवोकेट दामोदर सेठ और विद्वान स्तंभकार सुरेंद्र श्रीवास्तव ने भी अपने संस्मरण व्यक्त किए।

      कार्यक्रम के प्रारंभ में मंचासीन अतिथियों और सभागार में उपस्थित नागरिकों ने श्रीवास्तव के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। प्रसिद्ध गायक शिवरतन यादव ने स्मृति गीत के मधुर गायन से प्रभावित किया। डॉ.महेन्द्र खरे ने श्रीवास्तव जी के जीवन परिचय का वाचन किया। कार्यक्रम का सुचारू और व्यवस्थित संचालन डॉ.नलिन जैन ने किया। म.प्र.उर्दू अकादमी भोपाल में समन्वयक शायर आदर्श दुबे ने आभार व्यक्त किया।

ये रहे मोजूद

    इस अवसर पर नगर के प्रबुद्ध नागरिकों की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही जिनमें लक्ष्मी नारायण चौरसिया, हरीसिंह ठाकुर,उमा कान्त मिश्र, आर के तिवारी,वृंदावन राय सरल, 
बी पी उपाध्याय,रमेश दुबे, अंबिका यादव, आनंद मिश्र अकेला, मुकेश तिवारी, पूरन सिंह राजपूत, संतोष श्रीवास्तव विद्यार्थी, हरी शुक्ला, कुंदन पाराशर, संतोष पाठक, कपिल बैसाखिया, मनोहर लाल खरे, एम. शरीफ, डॉ.अतुल श्रीवास्तव, पुष्पेंद्र दुबे कुमार सागर, ममता भूरिया,एम.डी. त्रिपाठी, मयंक चौधरी, अनिल श्रीवास्तव, महेश पाराशर, महेश अहिरवाल आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
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