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"सीधी" की घटना सीधी नहीं है : राजनीति और समाज सबके कपडे उतरे है...▪️ब्रजेश राजपूत , एबीपी न्यूज

"सीधी" की घटना सीधी नहीं है : 
राजनीति और समाज सबके कपडे उतरे है...

▪️ब्रजेश राजपूत , एबीपी न्यूज


तीनबत्ती न्यूज : 9 जुलाई ,2023

कोई भी घटना सीधी नहीं होती ये तो सीधी की इस घटना का सबक हैं फिर चाहे आप उसे पांव पखार कर माथे से लगा लें अपने हाथों से खाना खिला लें या फिर गंगा जल से उसे पवित्र कर दें। सोशल मीडिया के इस दौर में जो होना था उसमें आपका बस नहीं था और अब आगे जो होना है उसमें भी आप कुछ नहीं कर सकते। सोशल मीडिया जो वीडियो लेकर उडता है तो वो अलग अलग हैश टैग के साथ जाने कहां कहां जाकर नयी नयी इबारत और नरेशन गढता है। 

    देखे: सीधी कांड का मूल वीडियो



अब सीधी के कुबरी गांव की घटना को ही देख लीजिये। वीडियो कितना पुराना है कोई बता नहीं पा रहा। मगर ये साफ है कि उस वीडियो के आधार पर विधायक प्रतिनिधी प्रवेश शुक्ला को ब्लेकमेल किया जा रहा था तभी उसने पीडित से अपने पक्ष में शपथ पत्र बनवा कर रखा था कि वक्त बेवक्त काम आये। शराब के नशे में धुत्त प्रवेश ने गरीब आदिवासी पर जाने क्या सोच कर पेशाब की मगर सत्ता समाज और शराब का नशा जब उतरा तो होश फाख्ता हो गये। माना कि वो गांव का गरीब आदिवासी था और अपनी शान बघारने में शुक्ला ने उसके आत्म सम्मान को मूत्र में बहा दिया मगर देश कानून में सब बराबर है। इसलिये जब वीडियो किसी भी बहाने सामने आया तो बवाल तो होना ही था। 
 


देखे: सीएम शिवराज सिंह ने मांगी माफी



वीडियो का बवाल ऐसा होगा किसी ने सोचा भी नहीं होगा। यदि आम दिन होते तो थोडे बहुत हो हल्ले के बाद प्रवेश पर केस दर्ज होता कुछ दिनों की फरारी के बाद वो गिरफ्तार होता और एससी एसटी एक्ट के उल्लंघन में जेल जाता। थोडी बहुत मदद गरीब दसमत को सरकार से मिल जाती बात खत्म हो जाती। मगर अब ऐसा नहीं है वीडियो वायरल होने के चार महीने बाद प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं जिनमें आदिवासी वोटरों की कीमत सबसे ज्यादा है। प्रदेश की करीब इक्कीस फीसदी आबादी आदिवासी है जिसमें से 47 सीटें उनके लिये सुरक्षित है और करीब इतनी ही सीटों पर आदिवासी किसी को भी हराने का दम खम रखते हैं। पिछली बार इनमें से 35 सीटों पर कांग्रेस जीती थी इसलिये बीजेपी सत्ता से बेदखल कर दी गयी थी। इस बार इन सीटों को बीजेपी अपने पाले मे करने के लिये एडी चोटी का जोर लगा रही है।


 पिछले कई महीनों से आदिवासियों के लिये पेसा एक्ट के क्रियान्वयन का पाठ बडी बडी सभाओं में मुख्यमंत्री शिवराज मंच से माइक लेकर पढाते थे। झारखंड के बिरसा मुंडा की जयंती पर मध्यप्रदेश में छुट्टी देने का ऐलान हुआ। भोपाल की हबीबगंज स्टेशन का नाम अटल बिहारी वाजपेयी की जगह अचानक आदिवासी रानी कमलापति के नाम पर किया गया। हाल के दिनों में प्रधानमंत्री शहडोल आये और आदिवासियों के साथ खाट पर बैठकर बातें की और कोदो कुटकी का भोजन किया। 

देखे:मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना



अब जब आदिवासियों की हितैषी बनने में बीजेपी की शिवराज सरकार जी जान से जुटी हो ऐसे में बीजेपी विधायक केदार शुक्ला के प्रतिनिधि प्रवेश शुक्ला का आदिवासी पर मूत्र विसर्जन सब किये धरे पर पानी फेरने के लिये पर्याप्त था। इसलिये सरकार शिवराज और उनके प्रशासन ने जो कुछ हो सकता था सब कर लिया। 


आरोपी की पकडधकड, उसके घर पर बुलडोजर चलवाना, एनएसए लगाकर जेल भेजा और जो बाकी रह गया तो भोपाल में सीएम शिवराज सिंह के नये दफतर समत्व में कैमरों के सामने पीडित आदिवासी का पैर प्रक्षालन और शाल श्रीफल के साथ कृष्ण सुदामा सा दृश्य रचा गया। कैमरे पर ये दृश्य टीवी चैनलों पर तुरंत चले तो सीएम हाउस के बाहर मीडिया कर्मियों की लाइन लग गयी पीड़ित से बात करने के लिये मगर ये क्या उसे तो छिपाकर गांव पहुंचा दिया गया था। 


नयी सुबह करोंदी गांव में फिर नयी पीपली लाइव रची गयी। उसके घर पर नत्था के धर जैसा नजारा था। घर पर पुलिस का ऐहतियातन पहरा और थोडी थोडी देर में उसके घर आने वाले पक्ष विपक्ष के नेता अफसर और मीडिया का जमावडा। कोई उसे जबरन गले लगा रहा तो कोई उससे बिना पूछे उसे गंगाजल से पवित्र कर रहा। प्रशासन सरकारी आवास की स्वीकृति और पांच लाख की राशि का चेक लेकर खडा। उधर वो पीड़ित बिना किसी भाव के जो हो रहा उसे देखे जा रहा और जब उसने कैमरे के सामने मुंह खोला तो उसी भोलेपन से वही बोला जो आदिवासी सदियों से बोल रहे है प्रवेश शुक्ला जी हमारे गांव के पंडित है इसलिये हम ज्यादा नहीं कह रहे सरकार उनको छोड दे। 



         बोले :आदिवासी दसमत 

हमारी सामाजिक व्यवस्था में ब्राह्मण और आदिवासियों के बीच बहुत बडा अंतर है जो इस घटना ने एक बार फिर दिखा दिया। सीधी की घटना सीधी नहीं है। आदिवासी के इस महिमा मंडन से इलाके के ब्राह्मण खुश तो नही ही होंगे। प्रवेश शुक्ला के घर पर चले बुलडोजर की आलोचना और उसके परिवार के समर्थन में पैसे से मदद की अपील सोशल मीडिया पर होने लगीं है। आदिवासी वोटरों में संदेश देने के लिये की गयी सरकार की अति सक्रिय पहल से रीवा के ब्राह्मण नाराज ना हो जायें अब ये भी बीजेपी के नेताओं के लिये चिंता का विषय बन गया है। इसलिये लिखा है सीधी की घटना सीधी नहीं है। 
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▪️ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज  भोपाल

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एडिटर: विनोद आर्य
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