सत्य और अहिंसा से बस इतना सा नाता है दीवारों पर लिख जाता है दीवाली पर मिट जाता है : आचार्य उदार सागर▪️तिलकगंज मे 8 जुलाई को चातुर्मास स्थापना

सत्य और अहिंसा से बस इतना सा नाता है दीवारों पर लिख जाता है दीवाली पर मिट जाता है : आचार्य उदार सागर

▪️तिलकगंज मे 8 जुलाई को चातुर्मास स्थापना

तीनबत्ती न्यूज : 6 जुलाई ,2023

सागर  दिगम्बर साधू अपनी साधना और तपस्या निज कल्याण के साथ जग कल्याण के लिए भी करते हैं। उनकी साधना के बल पर ही उनकी कठिन चर्या होती है। और यही कठिन चर्या ही दिगंबर साधू का स्वरूप है यह बात तिलक गंज जैन मंदिर परिसर में परम पूज्य आचार्य उदार सागर जी महाराज ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहीं। इस दौरान नगर के विभिन्न पत्रकारों ने उपस्थित रहकर आचार्य श्री से प्रश्न किए, जिनके उत्तर देते हुए आचार्य श्री ने जैन धर्म दिगंबर स्वरूप और उनकी साधना को विस्तार से समझाया। 


उन्होंने कहा यह जो वर्षा कालीन चातुर्मास संपन्न होता है इसके पीछे का आध्यात्मिक कारण यह है कि वर्षा ऋतु में अत्याधिक सूक्ष्म जीव उत्पन्न हो जाते हैं, और दिगंबर साधु हमेशा पग विहार करते हैं। पग विहार करते समय सूक्ष्म जीवों की हिंसा ना हो इस कारण साधु 4 महीने एक स्थान पर रहने का संकल्प धारण करते हैं और अपनी साधना करते हैं। यही चातुर्मास अवधि है। 


उपवास साधना के लिए करे, आत्मप्रचार के लिए नही

एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि साधना की शक्ति बढ़ते हुए क्रम में होती है। इसमें आत्मा की परीक्षा होती है। पहले एक बार फिर दो और फिर धीरे-धीरे यह क्रम बढ़ता चला जाता है। अपनी चेतना को धर्म से जोड़ा जाता है। परमेश्वर के प्रति अटूट आस्था और अपनी चर्या के पालन में भौतिकता का बोधी नहीं होता। सिर्फ हम अपनी आत्मा में एक लक्ष्य धारण किए होते हैं। तभी सुनने मिलता है दिगंबर साधुओं ने लगातार कई उपवास किए, यह उनकी कठोर साधना का ही प्रतिफल है। ऐसी दिनचर्या और साधना के लिए आत्मबल होना आवश्यक है। यदि मन मजबूत नहीं हुआ तो तन धोखा दे जाएगा। और यदि मन मजबूत हुआ तो तन का कष्ट पीढ़ा नहीं देगा। उपवास साधना का मार्ग है। आत्मप्रचार का नहीं। आज के वातावरण और बदलते हालातो में संकल्पित उपवास रखना चाहिए। 

चातुर्मास में कल्याण के कार्य

उन्होंने कहा चातुर्मास अवधि में धर्म के साथ समाज कल्याण और राष्ट्र हित में भी कार्य किए जाएंगे। यह चातुर्मास सिर्फ समाज के लिए नहीं बल्कि सभी सत्य अहिंसा को मानने वाले लोगों के लिए है, कोई भी व्यक्ति मेरे पास आ सकता है। संत किसी व्यक्ति विशेष के नहीं होते यह तो सबके होते हैं। उन्होंने यह भी कहा आजकल सत्य और अहिंसा को लोगों ने सिर्फ बोलने तक स्वीकार किया है। जबकि आत्मा से यह चीजें दूर हो गई। अहिंसा धर्म को आत्मा में पालने की आवश्यकता है, जिस तरह हम दीवारों पर कुछ लिखवा देते हैं और दिवाली में पुताई के दौरान वह मिट जाता है, उसी तरह सत्य और अहिंसा की बातें उचित समय पर लोगों के मन से मिट जाती हैं। पूरे राष्ट्र को सत्य और अहिंसा की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। आचार्य श्री ने यह भी कहा कि चातुर्मास के दौरान सभी तरह के सामाजिक कार्य किए जाएंगे और  राष्ट्रीय पर्वों को भी धूमधाम से मनाया जाएगा। 


विभिन्न वर्ग के लोगो से करेंगे संस्कार की चर्चा

उन्होंने समाज के सभी बुद्धिजीवी वर्गों चिकित्सकों वकीलों, पत्रकारों से आव्हान किया कि वह सभी साथ मिलकर  धर्म को जीवन में उतार कर धर्म और राष्ट्र कल्याण के लिए अपना योगदान देवें, निश्चित सभी का कल्याण होगा।चातुर्मास के दौरान संस्कार की चर्चा होगी। जिससे समाज का भला हो ।


ये रहे मोजूद

आज की पत्रकार वार्ता में अशोक पिडरुआ, मुकेश हीरापुर,आकाश गोदरे, नरेंद्र नायक, अरविंद चौधरी, जितेंद्र गुड्डू मिठया, संजय सवाई, नितिन जैन, सुरेश संगम, प्रदीप बिलहरा, मुकेश खुरई,कैलाश वरेठी,आशीष जैन  टोनू पापड़, श्रीकांत जैन , नीरज जैन, अंकित पंडित, मम्मा खटोरा वाले , सुधीर बिलहरा , आदि उपस्तिथ थे। यह सम्पूर्ण जानकारी चतुर्मास मीडिया प्रभारी अखिल जैन ने दी। 


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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885

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