सागर की शिक्षा के विकास में स्थानीय निकायों की महत्वपूर्ण भूमिका- डॉ बृजेन्द्र कुमार
▪️सागर में 1867 में नगर पालिका समिति के गठन ,अध्यक्ष कहलाते थे बक्शी
तीनबत्ती न्यूज: 5 जुलाई,2023
सागर : इतिहास विभाग, डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में एलुमनाई व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान के प्रमुख वक्ता डॉ बृजेन्द्र कुमार, सहायक प्राध्यापक, इतिहास विभाग, पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, भठिंडा थे।
डॉ विजेंद्र कुमार ने अपना व्याख्यान सागर जिले में शिक्षा के विकास में स्थानीय निकायों की भूमिका पर दिया। उन्होंने बताया कि ब्रिटिश काल में सागर जिले में नगरीय निकायों का प्रारंभ 1867 में सागर नगर में नगर पालिका समिति के गठन से प्रारंभ होता है। जिले में नगर पालिका समिति का गठन अधिनियम क्रमांक 15 के तहत 17 मई 18 67 को सागर, देवरी और खुरई में किया गया था। उस समय नगर पालिका के अध्यक्ष को बख्शी कहा जाता था।
केंट बोर्ड बना 1835 में
इसके साथ ही सागर में स्थानीय छावनी परिषद की स्थापना 1835 में की गई थी। उन्होंने बताया कि सागर नगर पालिका के द्वारा 20 से अधिक प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्चतर माध्यमिक शालाओं का संचालन किया जा रहा था। उन्होंने यह भी बताया की सागर जिले में स्कूली शिक्षा के विकास में नगरीय निकाय या स्थानीय निकायों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। डॉ विजेंद्र कुमार ने बताया कि सागर नगरीय निकाय के साथ-साथ छावनी परिषद के द्वारा भी स्कूलों का संचालन सफलतापूर्वक किया जा रहा था ।उनके अनुसार कई स्कूल छावनी परिषद परिषद के द्वारा अत्यंत व्यवस्थित तरीके से संचालित किया जा रहा था और आज भी स्थानीय निकायों के द्वारा संचालित स्कूलों के माध्यम से सागर जिले के छात्र छात्राओं का शिक्षा का लाभ मिल रहा है।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि अधिष्ठाता, छात्र कल्याण प्रोफेसर अंबिका दत्त शर्मा ने बताया कि औपनिवेशिक काल से ही शिक्षा के विकास में स्थानीय निकायों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। नई शिक्षा पद्धति एन ई पी 2020 के तहत भी स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी अधिक बढ़ जाती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर बी के श्रीवास्तव ने बताया कि 1867 के बाद सागर नगरीय निकाय ने शिक्षा के लिए जो प्रयास किये हैं वह सराहनीय है। आज पुनः आवश्यकता है कि नगरीय निकाय NEP 2020 के प्रावधानों के अनुसार स्कूलों का पाठ्यक्रम शिक्षा को रोजगार मूलक एवं स्किल बेस्ड पर आधारित हो जिससे आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना पूरी हो सके। इस कार्यक्रम में डॉ बृजेन्द्र कुमार का सम्मान शॉल,श्रीफल तथा मोमेंटो के द्वारा किया गया। यह उल्लेखनीय है की बृजेंद्र कुमार इतिहास विभाग में 2015 से 20 तक शोधार्थी के रूप में अपना शोध कार्य किया। 2020 से डॉ बृजेन्द्र कुमार ने इतिहास विभाग में अतिथि विद्वान के रूप सेवाएं प्रदान की।
ये रहे मोजूद
कार्यक्रम में डॉ संजय बरोलिया दर्शन विभाग के डॉ देवलिया डॉ नरेंद्र बौद्ध राजनीति विभाग से डॉ दीपक मोदी डॉ रणवीर कुमार मनोविज्ञान विभाग से डॉ देवकीनंदन शर्मा अर्थशास्त्र विभाग से हरिनारायण विश्वकर्मा, डॉ हरिचरण, राजपाल सिंह, अजय श्रीवास्तव,आशु अहिरवार, आशीष दीक्षित, मंजुला गौर, अदिति सिंह बुंदेला, अखिलेश, दीपा अहरवाल मोनाली यादव एवं कई विभागों के शोधार्थी तथा छात्र छात्राएं उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ पंकज सिंह ने किया। तथा आभार का ज्ञापन डॉ संजय बरोलिया ने किया।
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