Sagar: नाबालिग बालक के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने वाले आरोपी को 20 साल की सजा

Sagar: नाबालिग बालक के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने वाले आरोपी को 20 साल की सजा

सागर । नाबालिग बालक के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने वाले आरोपी मो. अनवर खान को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा-377 के तहत 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा-363 (काउण्ट-2) के तहत 05 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड, एवं धारा-5(एम) सहपठित धारा-6 पॉक्सों एक्ट के तहत 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी उल्लेखित किया है कि किसी भी देष की उन्नति का मार्ग उस देष के बच्चों की सुरक्षा से ही प्रषस्त होता है क्योंकि बालकों के प्रति हुये अपराध का प्रभाव न केवल उस बालक पर बल्कि संपूर्ण समाज पर पड़ता है । न्यायालय द्वारा बालक को उसके भविष्गामी परिणाम स्वरूप पड़ने वाले प्रभावों को देखते हुयेे उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर 4,00,000/- (चार लाख रूपये) दिये जाने का आदेष दिया गया ।मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि सूचनाकर्ता/बालक के चाचा ने दिनांक 03.10.2020 को थाना केन्टोन्मेंट में रिपोर्ट लेख कराई कि उक्त दिनॉक को उसका भतीजा घर के बाहर खेल रहा था वह और उसकी पत्नी काम करने चले गये थे तभी बालक को अभियुक्त अनवर द्वारा उसके ऑटो से पकड़कर ले जाने पर उसके पड़ोसियों द्वारा पीछा कर पकड़ने पर अभियुक्त अनवर के भाग जाने एवं उनके द्वारा बालक को लेकर आने की सूचना मिलने पर वह तथा उसकी पत्नी काम छोड़कर आये । बालक से पूछने पर उसने बताया कि एक ऑटो वाला अभियुक्त अनवर उसे जबरजस्ती ऑटों में बिठाकर ले गया और गंदी हरकत करने लगा इतने में उसके पड़ोसी पीछे से आ गये जो उसे साथ ले आये।  उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-केन्टोंन्मेंट द्वारा धारा-363 भा.दं.सं. एवं धारा-7/8 , 11/12 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं 3(2)(व्ही-ए) एस.सी./एस.टी. एक्ट 1989 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। न्यायालय में पीड़ित बालक द्वारा बताया गया कि अभियुक्त द्वारा उसके साथ बुरा काम किया गया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने  आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया है।
                                                                  
Share:

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

Archive