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पं. ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी स्मृति अ.भा. कवि सम्मेलन, मुशायरा व सम्मान समारोह का आयोजन

पं. ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी स्मृति अ.भा. कवि सम्मेलन, मुशायरा व सम्मान समारोह का आयोजन 

सागर,28 मई,2023 । ख्यात साहित्यकार, कवि, स्वतंत्रता सेनानी,नाटककार, पत्रकार और सागर के विधायक व सांसद जैसे प्रतिष्ठित व महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित करने वाले लोकप्रिय समाजसेवी स्व.पं.ज्वालाप्रसाद ज्योतिषी की स्मृति में शनिवार को पं.ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी फाउंडेशन सागर द्वारा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन,मुशायरा एवं सम्मान समारोह का अभिनव और कर आयोजन पुलिस चौकी के निकट कटरा बाजार में किया गया। इस अवसर पर आयोजक संस्था जे.जे.फाउंडेशन के सचिव,स्व.ज्योतिषी के पौत्र साहित्यकार आशीष ज्योतिषी ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि  उन्होंने सागर की महान विभूति डॉ.हरीसिंह गौर का स्मरण करते हुए महाकवि पद्माकर, शिव कुमार श्रीवास्तव और ज्योतिषी जी की साहित्यिक सृजनशीलता का उल्लेख किया। उन्होंने स्व.ज्योतिषी के पं.जवाहर लाल नेहरू से आत्मीय संबंधों को रेखांकित करते हुए उन्हें साम्प्रदायिक सद्भाव के प्रणेता युग पुरुष के रूप में स्मृत किया।इस अवसर पर पूर्व सांसद आनंद ने कहा कि  सौहार्द और सामाजिक सद्भाव के प्रतीक थे दादा ज्योतिषी जी । शहर कांग्रेस अध्यक्ष राजकुमार पचौरी ने भी अपने विचार रखते हुए स्व.ज्योतिषी के साहित्य मै सामाजिक समरसता को स्मृत किया। उनके कद का राजनेता सागर मे दूसरा नहीं हुआ।

कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती एवं स्व.ज्योतिषी जी‌ तथा पं. जवाहरलाल नेहरू के चित्रों पर मंचासीन अतिथियों द्वारा पुष्पांजलि अर्पण तथा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। वरिष्ठ कवि पूरन सिंह राजपूत ने मधुर सरस्वती वंदना की। स्वर संगम समिति के अध्यक्ष हरिसिंह ठाकुर ने स्व. ज्योतिषी के जीवन परिचय का वाचन किया। मशहूर आकाशवाणी उद्घोषिका साहिबा नासिर ने कुशल और प्रशंसनीय संचालन किया और कार्यक्रम के संयोजक चर्चित युवा शायर आदर्श दुबे ने आभार व्यक्त किया।
दो चरणों में संपन्न हुए इस गरिमामय कार्यक्रम की महत्वपूर्ण विशेषता रही कि नगर के इतिहास में सर्वथा पहली बार समस्त साहित्यकारों का जो कि कहानी, कविता, शायरी और लेखन कार्य से जुड़े हैं एक मंच से सार्वजनिक अभिनंदन और सम्मान पुष्पहार और स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया जिसे उपस्थित श्रोता वर्ग ने करतल ध्वनि से सराहा। इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य और सराहनीय भूमिका निभाने वालों में 
हरगोविंद विश्व व डॉ गजाधर सागर को सामाजिक समरसता के ईद दिवाली कार्यक्रम के लिए, नगर की प्रतिष्ठित और बहुचर्चित संस्था श्यामलम् के अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र को साहित्य के क्षेत्र में चेतना जागृत करने के लिए साहित्य सेवी सम्मान, नगर में विभिन्न धर्मों के समारोहों में अपने रचनात्मक  योगदान से सर्व धर्म समभाव की भावना विकसित करने वाले उत्सव समिति के अध्यक्ष उमेश सराफ एवं सभी सदस्य और इसी तरह से अपनी संस्था रंग के साथी ग्रुप के माध्यम से श्री गणेश जी और श्रीराम जी के चित्रों का चित्रण कर अनेक स्थानों पर उनकी प्रदर्शनी लगाकर भाईचारे का संदेश देने वाले चित्रकार असरार अहमद का विशेष सम्मान इस समारोह में किया गया।

कार्यक्रम के द्वितीय चरण में सागर के कविता और शायरी के शौकीन श्रोताओं और नागरिकों के लिए अरसे बाद आयोजित हुए बहुप्रतीक्षित अ.भा.कवि सम्मेलन व मुशायरा कार्यक्रम में देश के जाने-माने कवि और‌ शाइर जिनमें नीम अख्तर खादमी बुरहानपुर,विजय तिवारी भोपाल, हामिद भुसावली भुसावल, मन्नान फरोज मुंबई,अनवर कमाल मधुबनी बिहार, मोहतरमा आरिफ़ा शबनम आगरा, सिद्धार्थ शांडिल्य मुंबई,निकहत अमरोहवी अमरोहा,सुंदर मालेगांवी महाराष्ट्र, इमरान राशिद मालेगांव ने शिरकत कर अपने शानदार कलाम से पूरे समारोह स्थल में जादू बिखेर दिया। आगरा से पधारी शायरा आरिफ़ा शबनम द्वारा की गई सरस्वती वंदना की बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति से मुशायरे का आगाज़ हुआ। मंचासीन कवि -शायरों का स्वागत आशीष ज्योतिषी ने पुष्पहार पहनाकर किया। इस मौके पर‌‌ श्यामलम् संस्था के सचिव कपिल बैसाखिया और‌ सह-सचिव संतोष पाठक ने श्यामलम् द्वारा प्रकाशित सागर के ख्यात और प्रिय शायर स्व.यार मोहम्मद यार की ग़ज़लों के संग्रह "याराॅ॑" मंचासीन कलमकारों को भेंट कर यार साहब की यादें ताजा कर दीं। संयोजक आदर्श दुबे ने कलमकारों का परिचय दिया। सम्मेलन का शानदार संचालन ‌मुंबई के लोकप्रिय शायर मन्नान फरोज ने किया।
कार्यक्रम में नईम अख्तर खादमी ने "वो मेरे पास आना चाहता है 
मगर कोई बहाना चाहता है",हामिद भुसावली ने  "दर्द मेरा तू नहीं समझा तो फिर समझेगा कौन मेरे हक़ में तू नहीं बोला तो फिर बोलेगा कौन", विजय तिवारी ने "इब्तिदा है लाज़मी है लड़खड़ा जाना मुझे आते आते आएंगे आदाबे मैखाना मुझे", आरिफ़ा शबनम ने "नींद आती नहीं रात भर हाय मुझको ये क्या हो गया उनसे नज़दीकियां क्या बढ़ीं ये ज़माना खफा हो गया"
निकहत अमरोहवी ने "दोस्तों में भी दुश्मन छुपे हैं दोस्ती का भरोसा नहीं है हाले दिल अपना किसको सुनाएँ अब किसी का भरोसा नहीं है", सुन्दर मालेगांवी ने "है लड़की पुलिस की मगर क्या बताएं उसे किस तमन्ना से हम देखते हैं ",सिद्धार्थ शांडिल्य ने देख चाहत से यूँ न देखने वाले मुझको ये करम तेरा कहीं मार न डाले मुझको",इमरान राशीद ने "मैं हूँ जुगनू वो है सूरज उसको खुद पर नाज़ है रात होने दीजिये खुद फैसला हो जाएगा", मन्नान फ़राज़ ने "वो जिसके हाथ में दुनिया का तनाबाना है उसे पता है कहा पर किसे बिठाना है",अनवर कमाल  ने "सिमटती चांदनी है या सरापा है नमी दानम,नमी दानम मेरा महबूब क्या क्या है नमी दानम" और‌ आदर्श दुबे ने बाद मुद्दत के खत लिखे वो मुझे 
और कबूतर को मार दे कोई" देर रात तक चले प्रोग्राम में बड़ी संख्या में उपस्थित साहित्य प्रेमी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

ये रहे मोजूद
कार्यक्रम में    पूर्व सांसद नंदलाल चौधरी,प्पुर्व् विधायक सुनील जैन डॉ अंकलेश्वर दुबे डा संतोष सहगोरा,सेवादल अध्यक्ष सिंटू  कटारे,युवक कांग्ग्रेस अध्यक्ष राहुल चौबे,पवन केशरवानी, लक्ष्मी नारायण चौरसिया, शुकदेव प्रसाद तिवारी, , राजकुमार तिवारी, शिव रतन यादव,  डॉ श्याम मनोहर सीरोठिया, विजय साहू ,अशोक मिजाज, वृंदावन राय सरल,राजेश शास्त्री, सुनील भदौरिया, रमाकांत शास्त्री, वसीम खान,डा अनी जैन, डॉ राजेश दुबे, डॉ अनिल जैन, हरी शुक्ला, डॉ आशीष द्विवेदी, अंबिका यादव,अकवर राईन, ममता भूरिया, सहित हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।
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