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SAGAR: स्कूल, कालेजों के विद्यार्थी स्टेशनरी और यूनिफॉर्म खरीदनेनिश्चित दुकान से नहीं होंगे बाध्य▪️देखे : आदेश

SAGAR: स्कूल, कालेजों के विद्यार्थी स्टेशनरी और यूनिफॉर्म खरीदने
निश्चित दुकान से नहीं होंगे बाध्य
▪️देखे : आदेश

तीनबत्ती न्यूज
सागर 14 अप्रैल 2023 : जिले में शासकीय, अशासकीय विद्यालय / कालेज संचालित है, इनमें अशासकीय स्कूलों, कालेजों / शैक्षणिक संस्थाओं में काफी बड़ी संख्या में विद्यार्थी अध्ययनरत है। विभिन्न सूत्रों से जानकारी में आया है कि शिक्षण सत्र प्रारंभ होने पर कई अशासकीय शैक्षणिक संस्थाओं के प्रबंधन द्वारा शाला में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को उनके द्वारा बताई गई विशेष दुकान से ही पाठ्य पुस्तकें, यूनिफार्म तथा अन्य सामग्री क्रय करने के लिये बाध्य किया जाता है तथा कई स्कूलों में स्वयं स्कूल प्रबंधन द्वारा पुस्तकें एवं यूनिफार्म तथा अन्य सामग्री विक्रय कराई जाने के संबंध में भी जानकारी प्राप्त हो रही है। 


सागर जिले के समस्त अशासकीय विद्यालयों/ शैक्षणिक संस्थाओं में पुस्तकें एवं यूनिफार्म तथा अन्य सामग्री विक्रय कराई जाने तथा किसी विशेष दुकान से पाठ्यपुस्तकें यूनीफार्म तथा अन्य सामग्री क्रय करने पर अंकुश लगाये जाने की आवश्यकता प्रतीत हो रही है। अतः  कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट श्री दीपक आर्य ने दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए जन सामान्य के हित में समस्त अशासकीय विद्यालयों में पुस्तकें एवं यूनिफार्म तथा अन्य सामग्री विक्रय कराई जाने पर अंकुश लगाये जाने के संबंध में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया।
               देखे : आदेश



      सागर जिले में संचालित समस्त अशासकीय विद्यालय जो कि माध्यमिक शिक्षा मण्डल / केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अथवा आई.सी.एस.ई. बोर्ड से संबद्ध है। इन समस्त विद्यालयों को मध्यप्रदेश राजपत्र असाधारण 2 दिसम्बर 2020 स्कूल शिक्षा विभाग सागर में उल्लेखित निर्देशों का पालन किया जाना अनिवार्य होगा। सभी अशासकीय विद्यालयों के लिये यह अनिवार्य कि वे आगामी शिक्षण सत्र प्रारंभ होने के पूर्व लेखक एवं प्रकाशक के नाम तथा मूल्य के साथ कक्षावार पुस्तकों की सूची विद्यालय के सूचना पटल पर प्रदर्शित करें और शाला के विद्यार्थियों को ऐसी सूची मांगने पर उपलब्ध कराई जाना चाहिए ताकि विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकगण इन पुस्तकों को उनकी सुविधा अनुसार खुले बाजार से क्रय कर सकें। प्रत्येक स्कूल प्रबंधक / प्राचार्य अपने स्कूल में प्रत्येक कक्षा में लगने वाली पाठ्य पुस्तकों तथा प्रकाशक की जानकारी को म्उंपस प्क- कमवेंह-उच/दपब.पद पर अनिवार्यतः प्रेषित करेंगे।

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उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की शिक्षण सामग्री पर विद्यालय का नाम अंकित नहीं होना चाहिये। विद्यालय के सूचना पटल पर यह भी अंकित किया जावे कि किसी दुकान विशेष से सामग्री क्रय करने की बाध्यता नहीं है।

कहीं से भी पुस्तकें / यूनिफार्म व अन्य आवश्यक सामग्री क्रय की जा सकती है

- पुस्तकों के अतिरिक्त शालाओं द्वारा यूनीफार्म, टाई, जूते, कापियां आदि भी उन्हीं की शालाओं से उपलब्ध / विक्रय कराने का प्रयास नहीं किया जायेगा। विद्यालय की स्टेशनरी / यूनिफार्म पर विद्यालय का नाम प्रिंट करवाकर दुकानों से क्रय करने अथवा एक विशिष्ट दुकान से यूनिफार्म / पाठ्यपुस्तकें बेचना पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा।
    संबंधित एस.डी.एम. एवं जिला शिक्षा अधिकारी इस आदेश का पालन सुनिश्चित करायेगें।
      उक्त आदेश आम जनता को सम्बोधित है, चूंकि वर्तमान में मेरे समक्ष ऐसी परिस्थितिया नहीं है और न ही यह संभव है कि इस आदेश की पूर्व सूचना प्रत्येक व्यक्ति / प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान को दी जाते। अतः यह आदेश एक पक्षीय पारित किया जाता है आदेश से व्यथित व्यक्ति दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (5) के अंतर्गत अधोहस्ताक्षरकर्ता के न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर सकेगा, अत्यन्त विशेष परिस्थितियों में अधोहस्ताक्षरकर्ता के संतुष्ट होने पर आवेदक को किसी भी लागू शर्त से छूट दी जा सकेगी। यह आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावशील होगा। इस आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति / विद्यालय के प्राचार्य / प्रबंधक के विरुद्ध भारतीय दण्ड विधान की धारा 188 के अंतर्गत कार्यवाही की जायेगी।


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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885

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