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भोपाल के पागलों के बीच बागेश्वर बाबा....▪️ब्रजेश राजपूत ,ग्राउंड रिपोर्ट

भोपाल के पागलों के बीच बागेश्वर बाबा....
▪️ब्रजेश राजपूत ,ग्राउंड रिपोर्ट 


भोपाल के टीटी नगर के दशहरा ग्राउंड पर वैसे तो वो मंच मथुरा के कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर की भागवत कथा का था जहां दो अप्रेल से कथा चल रही थी मगर शनिवार की शाम सामने बैठी भीड जिसमें अस्सी फीसदी महिलाएं ही थीं बेसब्री से कथा खत्म होने का इंतजार कर रहीं थीं क्यूंकि मालुम था कि कथा खत्म होते होते दूसरे कथावाचक बागेश्वर धाम प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री विदिशा से यहां आकर भोपाल के पागलों से मिलने वाले हैं। भागवत कथा के अंतिम दिन प्रसंग चल रहा था सुदामा कृष्ण के बहुचर्चित मिलन का। पत्नी सुशीला के ताने सुन सुदामा घर से चलते हैं मित्र कृष्ण से मिलने द्वारका की ओर मगर नदी पार करते ही ये क्या हुआ सायरन बजाते कथा पंडाल में एंट्री होती हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी की। बस फिर क्या था तुरंत फास्ट फारवर्ड हुयी कथा यादवों के संघर्ष में पहुंच कर कृष्ण को बहेलिये का तीर पैर में लगते ही अगले दस मिनिट में वाइंड अप हो जाती है। जिन भक्त अनुरागियों को कृष्ण सुदामा मिलन की प्रतीक्षा हो वो किताबों में पढ़ लीजियेगा अभी तो कथावाचक और आयोजक राहुल कोठारी को पंडाल में पधारे मुख्यमंत्री, मंत्री, बीजेपी संगठन के प्रमुख वीडी शर्मा और संघ के खास अतिथियों का सम्मान कार्यक्रम करना है। 


अब आरती की बेला आ गयी है कथावाचक देवकीनंदन जी और व्यास पीठ  की आरती होना है इंतजार हो रहा है खास अतिथि का जो थोडी देर बाद ही आ जाते हैं शर्माते सकुचाते मुस्कान बिखेरते धीरेंद्र शास्त्री जो इन दिनों कथा पंडाल दिव्य दरबार से लेकर टीवी स्क्रीन और स्टूडियो में चर्चा में बने हुये हैं। बस फिर क्या था जो महिलाएं अब तक मंच से दूर कथा सुन रहीं थीं वो बाधा दौड में लगे हर्डल्स की तरह बैरिकेड को पार करने लगीं। यदि उनको पुलिस वाले रोकें भी तो उनके कंधों का ही सहारा लेकर ही वो फांदने लगी लोहे के बेरिकेड और भाग चली मंच की ओर सबके हाथ में मोबाइल कहीं वो सामने मंच की फोटो खींच रहीं थी तो कुछ कहीं दूर बैठे अपने पति परिजन को लाइव दिखा रहीं थीं इन दो कथावाचकों का मिलन। 

आरती खत्म होते ही दस मिनिट का ब्रेक उसके बाद मंच की व्यवस्था बदलती है। व्यास पीठ को समेट कर सोफे लगते हैं मंच पर कथा का बैकड्राप  बदलता है अब ये धार्मिक कथा का स्थान नहीं समर्थ सनातन सभा का मंच हो जाता है। सोफे के पीछे लगे फ्लेक्स पर यदा यदा ही धर्मस्य का श्लोक उस पर भारत माता की भगवा झंडे वाली तस्वीर और दोनों कथावाचकों की तस्वीरें है। कथावाचकों के सोफे की एक तरफ प्रदेश बीजेपी प्रमुख और संघ के नेता विराजमान हैं। तो दूसरी तरफ भोपाल के मंदिरों के संत महंत। वीडी शर्मा के संबोधन के बाद ये सनातन सभा शुरू होती है। यहां याद दिला दें कि प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव के दिनों में देवकीनंदन ठाकुर ने उज्जैन में सर्व समाज कल्याण पार्टी का ऐलान कर मध्यप्रदेश की सारी सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया था। वो पार्टी आज किस हाल में है यहां मुददा वो नहीं ये था कि अब ठाकुर जी के एक बाजु पूरी बीजेपी और संघ के नेता तो दूसरी बाजू हिदु राष्ट्र बनाओ आंदोलन के पोस्टर बाय धीरेद्र शास्त्री बैठे थे।

 देवकीनंदन शुरू हुये ये बताने कि क्या बीस साल बाद ऐसी कथा होगी, क्या आपकी मां बेटी सुरक्षित होगीं, क्या हिंदू बहुसंख्यक रहेंगे कि नहीं ये गारंटी कोई नहीं ले सकता इसलिये इन संभावित खतरों से बचने का एक ही आसान रास्ता है सब सनातनी हो जाओ और हिंदू राष्ट्र बनाओ। जाने क्यूं हरिशंकर परसाई के टार्च बेचने वाला याद आ गया। डर दिखाओ और टार्च बेचो। ठाकुर जी ने अब मुद्दे की बात की अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है मगर मेरी मथुरा काशी का उद्धार कब होगा इसलिये कृष्ण जन्मभूमि आंदोलन शुरू हो रहा है मेरे कन्हैया को आजाद करने आप मेरे साथ चलो। 



अब बारी धीरेंद्र शास्त्री की थी माइक छोड़ने से पहले उनको पहले ही उनके बडे भैया ने चेता दिया था कि भाई ऐसा बोलना कि लंबे समय तक बोलते रहो। ऐसा कुछ ना बोलना कि कोर्ट कचहरी की परेशानी हो। रामरक्षास्त्रोत यानिकी लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीव नेत्रं रघुवंश नाथम के जाप से शुरू हुये धीरेंद्र महाराज ने कैसे हो भोपाल के मेरे पागलों कहा तो पंडाल में तरंगें सी दौड गयीं। दोपहर से पंडाल में बैठी जनता रात के नौ बजे तक इसी क्षण का इंतजार तो कर रही थीं। फिर शुरू हो महाराज तो तुकबंदियां चुटकुले बुंदेलखंडी कहावतें और ठठरी बारने की बातें कर जनता को गुदगुदाते रहे। वक्ता को ना पकडो वक्तव्य को पकडो, वक्ता को पकडोंगे तो बिखर जाओंगे, वक्तव्य को पकड़ोगे तो निखर जाओगे। बातों बातों में सोशल मीडिया में छपने की चाहत के बीच अपनी बात भी कह गये धीरेद्र शास्त्री राम को छपाओ, खुद छिप जाओ और हिंदू राष्ट्र बनाओ। जो राम के नहीं वो किसी काम के नहीं, तुम मेरा साथ दो हम हिंदू राष्ट्र बनाऐंगे। हिंदू राष्ट्र की घुटटी के बीच बागेश्वर बाबा रामचरित मानस के प्रसंग सुनाते रहे।


 रावण की मूंछ और हनुमान की पूंछ में लड़ाई हुयी तो मूंछ जल गयी पूंछ बढ गयी। काम सिस्टम से हो रहा है पहले आये राम जी अब आयेंगे घनश्याम जी। पहले राम जी को बैठ जाने दो फिर श्याम जी बैठ जायेंगे। सामने बैठे लोग समझ रहे थे कि राम जन्मभूमि के बाद अब कृष्ण जन्मभूमि की बात हो रही है। हंसी ठिठोली के बीच अपनी बात कहे जा रहे थे बागेश्वर बाबा। भोपाल वालों हमारे भैया जी के कृष्ण जन्मभूमि आंदोलन से जुडो। भोपाल के लोग और इते को तलवा यानिकी तालाब खूब अच्छो है अब हमें जान दो। बस याद रखो एक माला हिंदू राष्ट्र के साथ कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति की भी फेरो। फिर क्या था भाषण खत्म होते होते फिल्म के सेट की तरह आयोजक ने तुरंत तिरंगा और भगवा झंडा मंच पर पहुँचा दिये। अब दोनों कथावाचक आरआरआर फिल्म के आखिरी सीन की तरह सामने चल रहे कैमरों की ओर देख कर तिरंगा और भगवा लहराने लगे। मैसेज लाउड एंड क्लियर था। इस साल और अगले साल होने वाले चुनावों तक ये कथावाचक जगह जगह ऐसे ही तिरंगा और भगवा लहरायेंगे। नफा नुकसान किसे होगा आप समझदार हैं। 
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▪️ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज ,भोपाल

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एडिटर: विनोद आर्य
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