"एक्टिवा वाले' विधायक और उनका चलता फिरता दफ्तर : स्कूटी की डिक्की में सील स्टैंप ,और मौके पर ही सील साईन

CG के रायपुर उत्तर के विधायक कुलदीप सिंह जुनेजा  अपने अंदाज के लिए राज्य ही नहीं बल्कि देश में जाने पहचाने जाते हैं. बिन चार दिवारी के दफ्तर में बड़े बड़े राजनेता उनसे मिलने आते हैं. बॉलीवुड के मशहूर एक्टर राज बब्बर, किसान नेता राकेश टिकेट, कवि साहित्यकार कुमार विश्वास जैसे दिग्गज लोग एक्टिवा वाले विधायक के इस अंदाज के फैन हैं.




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लोगों की शिकायत करते हैं दूर 

पार्षद से विधायक बने कुलदीप जुनेजा अपने इस अंदाज को लेकर कहते हैं कि पार्षद का क्षेत्र के हर नागरिक के साथ सीधा संबंध रहता है. विधायक बनने के बाद मैंने खुद को चेंज नहीं किया. लोग बोलते थे कि विधायक बनने के बाद स्कूटी में नहीं घूमेंगे. रोड पर नहीं बैठेंगे. लेकिन मैं आज भी स्कूटर में घूमता हूं और रोड में बैठता हूं. जनता को नेताओं से तकलीफ रहती है कि बड़े पद में आने के बाद नेता दिखते नहीं हैं. हम लोग भी यही ज्यादा सुनते थे इसलिए जनता की इस भावना को दूर करने के लिए वैसी ही रहूंगा जैसे पहले रहता था.



रायपुर के कुष्ठ बस्तियों से दशकों पुराना रिश्ता

कुलदीप जुनेजा ने अपने इस अंदाज के पीछे कहानी बताई है कि उनके बड़े भैया बलबीर सिंह जुनेजा रायपुर के मेयर रह चुके हैं. उनमें राजनीति कम थी सेवा भावना ज्यादा थी. हमेशा जनता की सेवा में लगे रहते थे. रायपुर yमें जितनी कुष्ठ रोगी बस्ती हैं उन्होंने ही बसाई है. घर परिवार के सदस्य के समान सेवा करते थे. आज मेरा भी उन बस्तियों में वैसी ही संबंध है जैसे उन्होंने छोड़ के गए हैं. उनको देखते-देखते मैंने भी राजनीति में एंट्री ली. पहली बार पार्षद बना नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष बना और उसके बाद विधायक बना हूं.

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      होली के रंग में जुनेजा

एमएलए ने क्यों नहीं बनाया आज तक दफ्तर? 

कुलदीप सिंह जुनेजा बताते हैं कि दफ्तर इस लिए नही बनाया क्योंकि जनता को मिलने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए. कोई भी व्यक्ति सीधा मुझसे बात कर सकता है. रास्ते में कोई मुझे आवाज देते हैं तो मैं उसके समाधान के लिए 2 लाइन लिखकर दे देता हूं. इसलिए जनता का और प्यार मिल रहा है. सड़क के ट्रैफिक सिग्नल के सामने शेड बनाया गया है. पानी बरसात से लोगों को समस्या आती थी इसलिए मैंने ये बनवाया है. लोग गर्मी और बारिश में इधर उधर भागने लगते हैं.


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राजनीति की एंट्री में ही मिली थी असफलता

 कुलदीप जुनेजा पहले बार पार्षद चुनाव हार गए थे. इसके बाद 2000 में पहली बार नगर निगम रायपुर के पार्षद बने इसके बाद 2004 में फिर से पार्षद बने और नगर निगम का नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी मिली. 2008 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े और चुनाव जीतकर नगर निगम से विधानसभा पहुंचे. इसके बाद 2013 में हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2018 में दूसरी बाद जुनेजा विधायक बने और सरकार ने उन्हें हाउसिंग बोर्ड की भी जिम्मेदारी सौंप दी.



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राशन कार्ड वाले को फ्री में मिलता है दवाई

आपको बता दें कि कुलदीप जुनेजा एक बड़े ज्वाइंट फैमली में रहते हैं. उनके परिवार में 35 लोग एक साथ रहते हैं. एक बाउंड्री के अंदर सभी परिवार रहते हैं. कुलदीप जुनेजा घर के पास ही देवेंद्र के नमस्ते चौके में सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक एक्टिवा में घूमते और रोड में लोगों की फरियाद सुनते नजर आते हैं. उन्होंने देवेंद्र नगर में मुफ्त में सहायता केंद्र बनाया है. इसकी चर्चा देशभर में होती है. क्योंकि केवल बीपीएल राशन कार्ड से ही लोगों को फ्री में दवाई मिलती है।

साभार:एबीपी न्यूज


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एडिटर: विनोद आर्य
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