सागर में बागेश्वर धाम के दिव्य दरबार: उमड़ा भक्तों का जनसैलाब,
भक्तो ने लगाई अर्जी
▪️ एसवीएन विवि के कुलपति से बोले ..विद्यालय दिक्कत में है..
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तीनबत्ती न्यूज
सागर,26अप्रैल ,2023 : सागर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने दिव्य दरबार लगाया। बहेरिया स्थित बांके बिहारी नगर में कथा पंडाल में दोपहर 12 बजे से दिव्य दरबार शुरू हुआ। दरबार में पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने पहुंचकर भक्तों की अर्जी लगाईं। लोगों ने कहा कि पर्चे का आधार श्री बागेश्वर धाम सरकार की महा कृपा है। परचा तो बहाना है, हमारा उद्देश्य तो सबको सांसारिक पीड़ा से निजात दिलाकर बागेश्वर सरकार का बनाना है। भक्त मुझसे नहीं भगवान बागेश्वर सरकार से जुड़ें। उन्होंने दिव्य दरबार में पहुंचे करीब ढाई लाख लोगों के बीच से अर्जी लगाकर लोगों को बुलाया। इस दौरान 25 से अधिक लोगों की अर्जी लगाई है।
उन्हें उनकी समस्या का समाधान बताया गया। अर्जी के दौरान मंच पर पहुंचने वाले लोगों की समस्या का पर्चा पं. धीरेंद्र शास्त्री ने पहले से लिखकर रखा हुआ था। जैसे ही वो मंच पर पहुंचे और अपनी समस्या बताई तो उन्होंने पर्चा खोलकर दिखाया और पढ़ाया। जिसमें भक्त ने जो बोला वही समस्याएं लिखी थीं।
एसवीएन विवि के कुलपति से बोले विद्यालय में लोग पीछे पड़े है...
दिव्य दरबार में एसवीएन यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अनिल तिवारी की पत्नी की अर्जी लगी। वे मंच पर पहुंचीं। साथ में डॉ. अनिल तिवारी भी पहुंच गए। जहां समस्या और मनोकामनाएं बताईं। इस पर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि विद्यालय में दिक्कत चल रही है। कुछ लोग पीछे लगे हैं। उनका उद्देश्य विद्यालय बंद कराना है। यह सब कॉम्पिटिशन के कारण हो रहा है। उन्होंने कहा कि जो संकट मंडरा रहे हैं, वो शांत होंगे। विद्यालय तेज गति के साथ चलेगा। कहा कि परिवार का जो उच्चाटन हुआ है, वह कुल की माता का अनुष्ठान बिगड़ने से हुआ है। उनकी पूजा करिए।
अर्जी के दौरान सागर की
दिल्ली से सागर पहुंची महिला, पारिवारिक बिंदुओं पर की बात
दरबार के दौरान दिल्ली से आई महिला की अर्जी लगी। महिला दिव्य दरबार में शामिल होने के लिए ही दिल्ली से सागर आई थी। अर्जी लगने पर उन्होंने अपनी पारिवारिक समस्याएं पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बताईं। इसके अलावा अन्य लोगों की अर्जियां लगी। जिसमें किसी ने पिता, बेटे तो किसी ने दामाद और परिवार के अन्य लोगों की समस्याओं को लेकर अर्जी लगाई। इसी दौरान झांसी से आए बालक की अर्जी लगी। उसने गुरुजी को अंगूठी पहनाई।
भारी संख्या में लोग पहुंचे
दिव्य दरबार में बुधवार को कथास्थल पर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। पंडाल छोटा पड़ गया। लोग पेड़ों और टैंकरों पर खड़े होकर दिव्य दरबार में शामिल हुए। हर तरफ लोग ही लोग दिखाई दे रहे थे। ऐसे में भी पंडाल के बाहर खड़े लोगों की अर्जी लगाकर पंडित शास्त्री ने नाम लेकर बुलाया। इस दौरान पारिवारिक, शारीरिक, भौतिक समस्याओं से लेकर रुहानी समस्याओं से परेशान लोग भी मंच पर बुलवाए गए। किसी को मंत्र दिया गया तो किसी को जप करने की सलाह दी गई। सभी से मुट्ठी बंद कर मंत्र उच्चारित करा समस्या मन में कहने और बागेश्वर धाम की दिशा में छोड़ने का निर्देश देते हुए पं. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि अब आपकी समस्या और प्रश्न बागेश्वर धाम सरकार की शरण में है, इसलिए आप निश्चिंत हो जाएं।
40 करोड़ हिंदू अगर रोज मस्तिष्क पर तिलक लगाने लगेगा, उस दिन यह राष्ट्र हिंदू राष्ट्र बन जाएगा : पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
मन में अहंकार नहीं संस्कार पालो। जिनके चित्त की चोरी हो जाती है उनकी दशा-दिशा बदल जाती है। भारतीय संस्कृति के उपासक हमेशा बने रहें। आध्यात्म ही एक ऐसा उपाय है जिसमें कितनी भी विपरीत परिस्थिति आ जाए व्यक्ति भागता नहीं है, जो डटा रहता है वही आगे बढ़ता है। बच्चों को अंग्रेजी पढ़ने दो लेकिन उसके अंदर संस्कृति की शिक्षा भी दो। उन्हें त्योहारों पर धोती-कुर्ता पहनाओ। 40 करोड़ हिंदू अगर रोज मस्तिष्क पर तिलक लगाने लगेगा, उस दिन यह राष्ट्र हिंदू राष्ट्र बन जाएगा। लेकिन हिंदू सो रहा है। इसलिए पत्थर खाकर रो रहा है। यदि आप चाहते हैं कि अापके बच्चों पर कोई टिप्पणी नहीं करे तो उन्हें रामायण व रामचरित मानस पढ़ाओ। विद्या अध्ययन भी चलने दो।
रोज पांच पाठ और पांच दोहे पढ़ाना शुरू कर दो। एक साल में बच्चे में बदलाव आ जाएगा। संसार के सभी सवालों के जवाब रामचरित मानस में हैं। आजकल बच्चे सुबह 10 बजे उठते हैं। सुबह 6 बजे तक बच्चों को जगाओ। कुछ समय कीर्तन, पढ़ाई तथा नित्य काम कराओ। स्कूल से लौटें तो जयश्री राम का संबोधन करो। यदि संस्कृति सुधर गई तो पीढ़ी ही नहीं भारत सुधर जाएगा। परमात्मा से प्रेम जब अनंत हो जाता है तो रोम-रोम हमारा संत हो जाता है। भगवान राम को केवल प्रेम प्रिय है। राजा पारीक्षित का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि संत का क्षण और अन्न का कण व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।
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