ओशो रजनीश की दस आज्ञाओ पर केंद्रित ध्यान शिविर आयोजित
सागर,6 अप्रैल 2023 .ओशो फ्रेगरेंस ग्रुप के तहत हेरिटेज होटल में चल रहे ओशो रजनीश की दस आज्ञाओ पर केंद्रित ध्यान शिविर में राइट माइंडफूलनेस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
शिविर में स्वामी शैलेंद्र सरस्वती जी ने ओशो की दश आज्ञाओ को समझाया और कहा कि प्रथम दस "ओशो की अज्ञायें" हैं, ग्यारहवां सूत्र सम्पूर्ण ओशो शिक्षाओं का सार निचोड़ है। ये आज्ञाएं
किसी की आज्ञा कभी मत मानो जब तक कि वह स्वयं की ही आज्ञा न हो , जीवन के अतिरिक्त और कोई परमात्मा नहीं है। , सत्य स्वयं में है, इसलिए उसे और कहीं मत खोजना।,प्रेम प्रार्थना है।
शून्य होना सत्य का द्वार है; शून्यता ही साधन है, साध्य है, सिद्धि है। जीवन है, अभी और यहीं। जीओ, जागे हुए। तैरो मत--बहो। मरो प्रतिपल ताकि प्रतिपल नए हो सको। खोजो मत। जो है--है; रुको और देखो। जोरबा दि बुद्धा ~ अर्थात पदार्थवाद और अध्यात्मवाद का समन्वय।
सदगुरुदेव स्वामी शैलेंद्र सरस्वती जी एवं सद्गुरु मा प्रिया जी ने साधकों को समझाते हुए कहा शून्यता जैसी आकाश में रिकित्ता हमारे भीतर भी वैसी रिकित्ता है उस को हमें महसूस करना है।आगे सदगुरुदेव ने बताया कि आकाश जैसी रिकित्ता कैसी आकाश में बड़ी-बड़ी गैलरी घूम रही है आकाश का मतलब है भी और कुछ नहीं है इसलिए सब चीजें उसमें गति कर पाती हैं एक अवकाश में बैठे हैं इस स्पेस का मतलब है यह भी और नहीं भी ऐसे ही अंग्रेजी का रूम शब्द है आया है । जिसका तात्पर्य स्पेस इस सदी की सबसे बड़ी खोज है टाइम ,टाईम भी स्पेस का चौथा आयाम है। अल्बर्ट आइंस्टीन की खोज की। हम कुछ भी ना कर रहे हो पर हम पर हम गति कर रहे हैं ।हमारी उम्र बढ़ रही है इसके पहले टाइम को डिफाइन करना मुश्किल था ।लेकिन इस खोज के बाद टाइम को भी स्पेस का चौथा आयाम कहा जाने लगा ।आकाश को कौन जान रहा है कोई तो जान रहा है ।उसी का नाम चेतना है मन अतीत में या भविष्य में ढूंढता रहता है ।
सद्गुरु मांजी ने हमें थिंकिंग के बारे में बहुत अच्छे से समझाया एक नींद है जो हम सोते हैं और एक नींद जो है जो हम मूर्छा में भी जीते रहते हैं उसी अंतिम प्रवचन माला का अंतिम शब्द सम्मासति जिसका अंग्रेजी अनुवाद राईट माइंडफूलनेस है जिसका माइंडफूलनेस का मतलब है कि हम दूसरे की याद तो कर रहे हैं सारी दुनिया की चीजें याद रहती हैं सारी दुनिया के प्रति हम जागरूक हैं जो भी कार्य कर रहे हैं उसके प्रति जागरूकता और स्वयं के प्रति भी हो और पूरे जीवन में फेल जाए इस शिविर की उपादेयता भी यही है बहुत सुंदर सत्र सदगुरुदेव सतगुरु वाणी के सानिध्य में लगभग 160 अपने ध्यान की गहराई में रूप से उपलब्ध हो रहे है जय ओशो। कार्यक्रम में आनंद जैन, ऋषि सिंघई, कपिल सिंघई, डॉ नायक, डां शाक्य, नीलांचल जी, दौलत स्वामी जी आदि का सहयोग सराहनीय है। ओशो के सभी सत्रों में श्रीमती निधि जैन एवं सुनील जैन भी शामिल रहे।
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