Bageshwar Dham News सागर अब सागर नहीं भक्ति का सागर है और अब बागेश्वर धाम का महासागर हो गया है: बागेश्वर धाम आचार्य धीरेंद्र शास्त्री
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सागर,27 अप्रैल 2023 । बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर पं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा में चौथे दिन उन्होंने मीरा की भक्ति का मार्मिक प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि भक्ति हो तो मीरा की तरह हो जिसमें कोई शर्त नहीं है। केवल निष्काम निश्छल प्रेम है। राम हो या कृष्ण सभी को प्रेम ही सबसे प्यारा लगता है। गुण, ज्ञान, कौशल, धन, निष्ठा आदि सब कुछ भी नहीं है। उन्हें तो केवल प्रेम ही प्यारा। गुरुवार को कृष्ण जन्म हुआ जिसमें अद्भुत पुष्पवर्षा की गई। जहां कई प्रसंगों में भक्ति रस में ओतप्रोत श्रद्धालु भावुक हो उठे तो कृष्ण जन्म होते ही भजनों पर झूमकर ठाकुर जी की मस्ती में नाच उठे और उत्सव का माहौल हो गया।
कथा में उन्होंने कहा कि कल दिव्यदरबार के दिन दो लाख से अधिक लोगों ने भंडारे में भोजन किये बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। लेकिन उन्होंने मीरा बाई के प्रसंग के माध्यम से यह भी स्पष्ट किया कि यदि आप लोग इसलिए आते हैं कि हम आपके बारे में बताएंगे, आपकी ओर देखेंगे तो सुनिए अगर मेरे लिए आते हो तो आपकी भक्ति बहुत छोटी और ओछी है। यदि कथा में भगवन नाम सुनने आते हो तो यह भक्ति उच्च है। तो तन से बैरागी और मन से श्री राम जी के अनुरागी बन जाओ वही सार्थक है, जिसमें कोई शर्त ना हो। उन्होंने बच्चों को संस्कार और शिक्षा देने की बात पर ज़ोर दिया।
बताए सुखी जीवन के तीन सूत्र ,कभी भगवान से कुछ मत मांगो
उन्होंने कहा कि भगवान से शर्त लगाकर कुछ कुछ मत मांगो की ऐसा होगा तो यह चढ़ाऊंगा। यदि शर्त लगाकर मांगते हो तो व्यापार करते हो भक्ति व्यापार नहीं है। भक्ति तो समर्पण है मीरा ने कितने कष्ट पाए लेकिन ठाकुर जी को नहीं छोड़ा। उन्होंने विदाई के वक़्त भी सभी भेंट ठुकरा कर केवल मंदिर में रखे ठाकुर जी को मांगा और सांसारिक लोग बेटे की नौकरी बेटी की शादी जैसी चीजें ही भक्ति में मांगते हैं। परमात्मा को नहीं।
मुस्कुराना सीखो
ठाकुरजी का अवतार सुख का भंडार है। वे मुस्कुराना सिखाते हैं सभी लीलाओं में वह सदा मुस्कुराते रहे। मथुरा में जन्म होते ही मां को छोड़ना पड़ा पर मुस्कुराते रहे। गोकुल से विदा ली तो मैया, पिता, ग्वाल, गोपियों और राधा को छोड़कर भी मुस्कुराते रहे। मथुरा में कंस वध फिर वहां से भी सांदीपनि आश्रम फिर सुदामा को त्यागा, द्वारिका गए महाभारत में गीता सुनाई पांडवों को त्याग और अंत मे बंधु बांधवो के अंत के बाद भी मुस्कुराते रहे। उनसे सीखना है तो मुस्कुराना सीखो जीवन में हर दुख छोटा हो जाएगा।
प्रेरक प्रसंग सुनो
आचार्य जी ने कहा कि एक महात्मा को एक भक्त ने गाय देदी। महात्मा प्रसन्न हुए बोले वाह ठाकुर जी को दूध, मावे का भोग लगाऊंगा बहुत ही आंनदित हुआ। गाय की सेवा कार्य ठाकुर जी को मेवे का भोग लगाता बहुत दिन ऐसा चलता रहा। बाकी चेले भी गुरु का यह आनद देख आंनदित थे। लेकिन एक दिन भक्त आया और गाय को ले गया। उसने कहा गुरुजी गाय ले जा रहा हूँ। महात्मा बोले ले जाओ बहुत आनंद की बात है ले जाओ। किसी ने पूछा इसमे क्या आनंद अब भोग कैसे लगेगा। महात्मा बोले जैसे पहले लगता था। अब झंझट खत्म गोबर नहीं उठाना पड़ेगा भूसा चारा नहीं लाना होगा। इस प्रसंग में आनंद का सूत्र है कि जो हुआ वह अच्छा हुआ उसमें प्रसन्नता खोजिए दुख नहीं।
उन्होंने साग्रवासियो के भक्ति भाव को देखते हुए कहा कि सागर अब सागर नहीं भक्ति का सागर है और अब बागेश्वर धाम का महासागर हो गया है।
पिछले चार दिन की प्रमुख बातें
▪️ऐसा कोई हिन्दू नहीं है जिसे रामचरित मानस की कोई न कोई चौपाई नहीं आती हो।
▪️भारत की संस्कृति से बड़ी कोई संस्कृति नहीं।
▪️साल भर न सही त्यौहार के दिन अपने बच्चे को धोती कुर्ता पहनकर बाहर भेजें।
▪️जो धर्म के मार्ग पर होगा वह हताश नहीं होता क्योंकि उसने मानस को पढ़ा है वह हल निकाल लेगा।
▪️सभी हिन्दू तिलक लगाने का संकल्प लेलें तो दृश्य ही बदल जायेगा।
▪️ परीक्षित की सात दिन में मृत्यु तय थी हमे भी हफ्ते के सात दिन में ही मरना है। क्योंकि इनके अलावा कोई और दिन नहीं है।
ये रहे मोजूद
आज की कथा में मुख्य आयोजक भूपेंद्र सिंह बहेरिया, सुरवेंद्र सिंह, शुभम सिंह, सुरेंद्र दुबे सागर शिष्य मंडल और संदीप दुबे सहित अजीत सिंह चील पहाड़ी, राजा ठाकुर, विधायक शैलेंद्र जैन, रामकृष्ण कुसमरिया, शैलेश केसरवानी, राजेंद्र यादव, अनिल तिवारी एसबीएन, प्रमोद उपाध्याय आदि उपस्थित थे।
कथा में प्रशासन ने की पार्किंग की जोरदार व्यवस्थाएं
बहेरिया मैं चल रही कथा के दौरान कल दिनांक 26 अप्रैल को लगभग 200000 श्रद्धालुओं ने भाग लिया जो सागर जिले एवं बाहर से भी दो पहिया एवं चार पहिया वाहनों से आए थे ।जिसमें पुलिस द्वारा सभी वाहनों की उच्च कोटि की पार्किंग व्यवस्था की गई एवं बिना किसी ट्रैफिक जाम के व्यवस्था बनाई गई
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