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मुनि श्री क्षमासागर की पुस्तक MIND YOUR KARMA तथा आत्मान्वेषी का विमोचन और कविताओं पर चर्चा

मुनि श्री क्षमासागर की पुस्तक MIND YOUR KARMA तथा आत्मान्वेषी  का विमोचन और कविताओं पर चर्चा

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सागर,19 मार्च ,2023।  108 मुनि श्री क्षमासागर की दो पुस्तकों MIND YOUR KARMA तथा आत्मान्वेषी (नाटक) के विमोचन एवं उनकी चुनी हुई कविताओं के संग्रह "अपना घर" पर चर्चा का गरिमामय कार्यक्रम पं.ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी फाउंडेशन और "श्यामलम्" सागर के सह आयोजन में रविवार को आदर्श संगीत महाविद्यालय सभागार में संपन्न हुआ। 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ (सुश्री) शरद सिंह ने मुनिश्री के चिंतन एवं काव्य की चर्चा करते हुए कहा कि मुनि क्षमा सागर की कविताएं समय से संवाद करती हैं। उन्होंने कहा कि मुनिश्री ने भारी-भरकम उपदेश नहीं दिए बल्कि अपने अनुभवों से यह बताया कि वे कितने प्रकृति प्रेमी थे इसीलिए उनकी कविताओं में सूर्य, हवा, चिड़ियां बिम्ब के रूप में मौजूद हैं। उनकी रचनाओं में प्रकृति के इन तत्वों की उपस्थिति  गहन जीवन दर्शन कराती है। वस्तुतः जिसने मुनि क्षमा सागर की कविताओं में चिड़िया की उपस्थिति के महत्व को समझ लिया मानो उसने मानव जीवन के मूल दर्शन को समझ लिया।
डॉ.हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के सहा.प्रा. डॉ आशुतोष मिश्र ने अपने प्रभावी वक्तव्य में कहा कि मुनि क्षमासागर जी की कविताओं में साधारण का औदात्य, लघु की विराटता है और सहज का सौन्दर्य है. कहन की शैली ऐसी की जैसे आप नींद में हों और कोई हौले-हौले आपसे बात करता रहे. बात की तासीर ऐसे की जैसे अलसभोर की अजान. असर ऐसा कि जैसे एक मुस्कराहट के साथ आपकी नींद खुले और कमरा भर जाए लोबान की खुशबू से. ये महज कवितायेँ नहीं बल्कि बहुत सीधी भाषा और शैली में कवि के आत्मा की अगरबत्तियां हैं जो धीरे-धीरे अपनी सुगंध से हमारे पाठकीय संस्कार को पुनर्नवा करती चलती हैं।

कवयित्री निरंजना जैन ने मुनि श्री के काव्य संग्रह अपना घर पर 
चर्चा करते हुए कहा कि यह कविताएं धार्मिक यि उपदेशात्मक नहीं बल्कि आध्यात्मिक याने आत्मभावों से सराबोर हैं। छंदमुक्त होने के बावजूद इन कविताओं में सहज‌ लयात्मकता मौजूद है।कार्यक्रम में अपना आत्मीय सान्निध्य देते हुए पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव ने क्षमासागर जी को सागर की‌ धरा पर जन्म लेने वाले महापुरुष के रूप में उद्धृत किया।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए डॉ सुरेश आचार्य ने कहा कि  गृहस्थ जीवन में रहते हुए केवल्य के मार्ग पर चला जा सकता है यह मुनि श्री विद्यासागर जी के साहित्य के मूल में है। कविता आनंद के साथ भय भी देती है उसमें नौ रसों का समावेश है। आचार्य विद्यासागर जी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी‌ हॅ॑सी में बाल स्वरूप किलकारी होती है। उन्होंने कहा जब पूरे संत भारत में विहार कर रहे हैं तो उसका प्रभाव भी दिखाई दे रहा है। आज भारत की जो विभिन्न क्षेत्रों में कीर्ति और विकास है वह इन्हीं संतों की कृपा है। एक दिन निश्चित ही भारत विश्व को लीड करेगा।

कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों द्वारा मां सरस्वती, मुनि श्री क्षमासागर एवं पं. ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन किया। आयोजक संस्था श्यामलम् के अध्यक्ष उमाकांत मिश्र, श्रीमती सुनीला सराफ, डॉ. चंचला दवे, संतोष पाठक, हेमचंद जैन ने अतिथि स्वागत किया।

 पं. ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी फाउंडेशन के सचिव आशीष ज्योतिषी ने स्वागत उद्बोधन दिया। बुंदेली गायक शिवरतन यादव ने मुनिश्री की कविता का सस्वर गायन किया‌ तथा कवि डॉ नलिन जैन ने स्व.कवि निर्मल चंद निर्मल द्वारा मुनि श्री पर लिखी गई कविता का वाचन किया। श्यामलम् सचिव कपिल बैसाखिया ने मुनि श्री क्षमासागर के जीवन परिचय का वाचन किया। डॉ अमर जैन ने व्यवस्थित एवं सुचारु संचालन किया। कार्यक्रम के सूत्रधार समाजसेवी हेमचंद जैन ने आभार प्रदर्शन किया। मनोज जैन ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए।

इस अवसर पर ब्रह्मचारी श्री राकेश भैया,मुनि जी के गृहस्थ जीवन के बड़े भ्राता डॉ.अरुण सिंघई,रमेश दुबे, सुबोध मलैया, हरिसिंह ठाकुर, मुकेश तिवारी,भगवानदास रायकवार, मुकेश निराला,के एल तिवारी अलबेला , अरविंद जैन पत्रकार,लक्ष्मी नारायण चौरसिया, डॉ महेंद्र खरे , मनीष दुबे, आनंद मंगल बोहरे, सुरेश चंद जैन, पी आर मलैया,अशोक जैन, धर्मेंद्र जैन, डॉ महेश जैन, श्रीमती किरण जैन

 एडवोकेट,रश्मि ऋतु जैन, सुभाष पंड्या, ज्ञानचंद्र जैन अरहंत,संतोष रांधेलीय, अजय सराफ, डॉ राजेश जैन, डॉ अरविन्द गोस्वामी, डॉ अनिल कुमार जैन, प्राची जैन, नम्रता फुस्केले, सुधा जैन, डॉ राम रतन पांडे, विजय कुमार जैन,आर के श्रीवास्तव,शील चंद जैन, अंगूरी जैन, पी सी नायक एडवोकेट, डॉ आर एन सिलाकारी, डॉ जी एल दुबे,डॉ.विनोद तिवारी, श्रीमती कांति जैन, डा.व्ही पी उपाध्याय, अजय जैन, प्रियंक दुबे,टीकाराम त्रिपाठी, पुष्पेंद्र दुबे, राजेश शास्त्री, समीर सराफ, ऋषि सिंघई,संतोष गुरु, पूरन सिंह राजपूत, देवीसिंह राजपूत, नवीन बलैया,धीरू सेन  सहित बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।



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एडिटर: विनोद आर्य
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