रोजगारविहीन वृद्धि से नहीं होगा भारतीय अर्थव्यवस्था का विकाश: प्रो केवल जैन
सागर,27 मार्च ,2023 .अर्थशास्त्र विभाग, डॉ हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर द्वारा दो दिवसीय मध्यप्रदेश क्षेत्रीय आर्थिक परिषद की ३२वी संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ । जिसकी विषयवस्तु सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योगों की स्थिति एवं चुनौतियां, एवं मध्य प्रदेश में कौशल। इन थीमों पर देशभर के विद्वानों के ६० शोध पत्र प्राप्त हुए। सेमिनार में कुल चार तकनीकी सत्र आयोजित किये गये। जिसमें कुल १७ शोध पत्रो का प्रस्तुतीकरण सम्पन्न हुए। अधिवेशन में देशभर से १५० से अधिक अर्थशास्त्री एकत्रित हुए।
उदघाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो केवल जैन ने अपने उद्बोधन कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था का विकास बिना रोजगार के ही हो रहा है जो सतत विकास के लिए ठीक नहीं है। जब तक है हम अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को साथ लेकर विकास नहीं करेंगे तब तक विकास कोई मायने नहीं है। हम चाहे कितनी अच्छी सड़क, भवन एवं तकनीकी विकास कर लें यह तब तक अधुरी जब तक हम जनसंख्या विभाजन के लाभों को प्राप्त नहीं कर लेते। हमें सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योगों को विशेष अनुदान देने की आवश्यकता है, तभी हमारे ये उद्योग बहुराष्ट्रीय कंपनियों से प्रतियोगिता करने लायक बन पाएंगे। हमें यह भी चिंता करनी होगी, कि हमारे कितने उधोग धंधे प्रति वर्ष बंद हो रहे हैं, हम केवल नए उद्योगों की चर्चा करते है जो ढीक बात नहीं है। आज हमें उद्योगों की विकास की सच्चे अर्थों में बात करनी ही होगी। इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अधिक से अधिक रोजगार देने वाली नीतियां बनाने की बात करें। तभी मांग का सिद्धांत लागू हो पाएगा। देश की अर्थव्यवस्था गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकल सकेगी। विशेष अतिथि प्रो एस के शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें आर्थिक विकास के लिए आधुनिक तकनीक के साथ साथ परम्परागत तकनीकी को भी साथ लेकर चलने की बात कही। मध्यप्रदेश आर्थिक परिषद के अध्यक्ष प्रो सत्येंद्र मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था कोरोना से प्रभावित हैं, उसको संकटों से बहार निकलने के लिए सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है, केवल हम सरकार से आशा रखकर विकास नहीं कर सकते हैं। कुलपति प्रो पी के कटहल अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि मुझे खुशी हो रही है कि आज हमारे देश के अर्थशास्त्री देश की आर्थिक समस्याओं पर विचार करने के लिए एकत्रित हुए हैं और दो दिवसीय सेमिनार में सभी अर्थशास्त्री मिलकर किसी अच्छे निष्कर्ष पर पहुंचेंगे। जो कि देश की नीति बनाने में अवश्य ही काम आएंगे। मैं चाहूंगा कि देश के युवा अर्थव्यवस्था को समझने के लिए अधिक से अधिक शोध कार्य करें , तभी हम आर्थिक समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं। प्रो कन्हैया आहूजा ने कहा कि मध्यप्रदेश क्षेत्रीय आर्थिक परिषद को राज्य नीति एवं योजना आयोग से मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। विशेष अतिथि के रुप में विश्वविद्यालय की कुलानुशासक प्रो चंदा बेन कहां की कौशल निर्माण हर पीढ़ी में होता रहा है आज उसमें सुधार की ओर अधिक आवश्यकता है, जब तक हम सुधार को ठीक से क्रियान्वित नहीं करेंगे, तब तक हम नई पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाएंगे, इसलिए हमें सतत आर्थिक विकास के लिए कौशल निर्माण करना बहुत जरूरी है। प्रो जे पी मिश्र ने कहा कि आज हमें आत्मनिर्भरता के लिए एमएसएमई एवं कौशल विकास अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। कौशल निर्माण ही सूक्ष्म एवं लघु उद्योग की नीव है। प्रो उतसव आनंद ने स्वागत भाषण दिया।
मंच संचालन डॉ वीणा थावरे, डॉ वीरेंद्र मटसेनिया, प्रतीक्षा जैन एवं डॉ शालिनी चौथरानी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत मै आभार डॉ केशव टेकाम ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में प्रो जी एम दुबे, प्रो के के श्रीवास्तव, प्रो राजवीर किरार, प्रो शैलेश चौबे, प्रो विभा वासुदेव आदि अनेक प्रतिभागी उपस्थित हुए।
विश्व विद्यालय परिवार के अनेक शिक्षक शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित हुए अधिवेशन 28 मार्च को भी दो सेशन आहूत किए जाएंगे जिसमें शेष विद्वानों द्वारा अपने शोधपत्र पढ़े जाएंगे।
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