हास्य नाटक ऐरी बऊ कबै बजै रमतूला की प्रस्तुति हुई

हास्य नाटक ऐरी बऊ कबै बजै रमतूला की प्रस्तुति हुई 


तीनबत्ती न्यूज

सागर ,25 मार्च 2023, अन्वेषण थियेटर ग्रुप सागर द्वारा स्थानीय रवीन्द्र भवन में नाटक 'ऐरी बऊ कबै बजै रमतूला की प्रस्तुति दी गई। इस नाटक में एक युवक कल्लू जिसके पिता नहीं है वह अपने विवाह को लेकर परेशान है। वह अपना विवाह न होने से कम दुखी है जबकि इस बात का उसे ज्यादा दुख है कि उसके विवाह न होने से उसकी मां चिंतित रहती है, उदास रहती है। आख़िरकार एक दिन कल्लू खुद तैयार होकर लड़की ढूंढने निकलता है। कुछ दिनों के बाद उसे मोहनी नामक एक लड़की मिलती है और उससे कल्लू का विवाह भी हो जाता है। दोनों लौटकर घर आते हैं लेकिन यहां आकर अचानक उन्हें पता चलता है कि उसकी मां हफ्ते भर पहले मर चुकी है। 


उसकी मां की मौत को लेकर गांव वाले तरह-तरह की दकियानूसी चर्चा करते हैं लेकिन अंत में पांड़े जी नामक किरदार आकर उन्हें समझाता है कि बहू का पांव खराब होना, मृत्युभोज करना ये सारी बातें व्यर्थ हैं। जीवन में जन्म और मृत्यु का सिलसिला चलता रहता है लेकिन दुनिया में जीवन का उल्हास, खुशियां कभी कम नहीं होते, सारी दुनिया अपनी पूरी गरिमा के साथ निरंतर चलती रहती है। इस नाटक के दौरान बुंदेलखंड के मधुर गीतों की सजीव प्रस्तुति नाटक के साथ समायोजित करके मंच से ही दी गई। नाटक के विविध संवादों में एक ओर जहां भरपूर हास्य था तो वहीं तीक्ष्ण व्यंग भी शामिल थे। स्वांग शैली के चलते महिला वेश में पुरुषों का अभिनय, बैलों का ताश खेलना साथ ही पूरे नाटक के दौरान उपजी अनेकानेक हास्य परिस्थितियों पर दर्शकों ने भरपूर ठहाके लगाए। उल्लेखनीय है कि आज से कई दशकों पूर्व नगर के वरिष्ठ व प्रसिद्ध लोकगायक हरगोविंद विश्व का लोकगीत ऐरी बऊ कबै बजै रमतूला भी काफी लोकप्रिय हुआ था। नाटक के दौरान वयोवृद्ध लोकगायक हरगोविंद विश्व को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।

पात्र परिचय - नाटक का लेखन एवं निर्देशन जगदीश शर्मा ने किया। कल्लू की भूमिका में कपिल नाहर, मोहिनी की भूमिका में ग्राम्या चौबे, भूरे की भूमिका में संदीप दीक्षित, बऊ और समदन की भूमिका में आयुषी चौरसिया, पाटन बारे और कुट्ठू बारी की भूमिका में सतीश साहू,  बखरी बारी जिज्जी और नत्थू की भूमिका में डॉ. अतुल श्रीवास्तव, पांडे़ जी की भूमिका में जगदीश शर्मा, बेरी बारे और मोहिनी के दद्दा की भूमिका में सुमीत दुबे, तांत्रिक बमूरा बारे और पंडित की भूमिका में मनोज सोनी, पंडित व तांत्रिक के असिस्टेंट और बैल की भूमिका में दीपक राय, जहाजरानी जिज्जी और बैल की भूमिका में देवेंद्र सूर्यवंशी, चिर्रो की भूमिका में ज्योति रायकवार, बेरी बारे के भाई की भूमिका में अमजद ख़ान, मोहिनी की सहेलियों और पनहारियों की भूमिका में आस्था बानो, हर्षिता तिवारी, ज्योति रायकवार और निधि चौरसिया ने अभिनय करते हुए दर्शकों की वाहवाही अर्जित की। सैट का काम राजीव जाट ने किया। प्रकाश संचालन संदीप बोहरे का रहा। सजीव रूप से प्रस्तुत किए जा रहे गीत-संगीत दल में मितेन्द्र सिंह सेंगर, संजय साहू और गौरव तिवारी ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। इसके अलावा मासूम आलम, कृष्णा भाटिया, अजय यादव, अश्विनी साहू, समता झुडेले आदि का विशेष सहयोग रहा। नाटक के मंचन के पूर्व कलाकारों ने सरस्वती पूजन कर आयोजन की विधिवत शुरुआत की नाटक के दौरान रविंद्र भवन सभागार में सहित नगर के अनेकानेक दर्शक उपस्थित रहे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें