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भारत में एक साथ सभी चुनाव कराने में‌ निहित‌ स्वार्थ बाधक: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ▪️ स्व भुवन भूषण देवलिया स्मृति पुरस्कार मिला रजनीश जैन को

भारत में एक साथ सभी चुनाव कराने में‌ निहित‌ स्वार्थ बाधक:  पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत 

▪️ स्व भुवन भूषण देवलिया स्मृति पुरस्कार  मिला रजनीश जैन को


भोपाल 5 मार्च,2023 . देश के पूर्व‌ मुख्य चुनाव‌ आयुक्त‌ ओपी रावत ने कहा है कि देश में एक साथ चुनाव होने से काफी‌ धन और‌ समय‌ की बचत होगी।‌ लेकिन राजनीतिक क्षेत्र के कुछ निहित स्वार्थ इसे रोकना चाहते हैं।‌ यही वजह है कि आजकल इसकी चर्चा ही बंद हो गई है। जनता को इसके लिए दबाव बनाना चाहिए। 
श्री रावत आज माधवराव स्प्रे समाचार पत्र संग्रहालय में 'एक देश एक चुनाव' विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। इसका आयोजन श्री भुवन भूषण देवलिया स्मृति व्याख्यानमाला समिति ने किया था। समिति ने इस अवसर पर सागर के पत्रकार डॉ. रजनीश जैन को राज्य स्तरीय भुवन भूषण देवलिया पुरस्कार से सम्मानित  किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार महेश श्रीवास्तव विशिष्ट अतिथि थे। अध्यक्षता सप्रे संग्रहालय के संस्थापक वरिष्ठ पत्रकार विजय दत्त श्रीधर ने की। 

पूर्व चुनाव आयुक्त श्री रावत ने कहा कि देश का मतदाता  बहुत समझदार है। वह एक साथ चुनाव की सोच के लिए  तैयार है ।लेकिन नेता इसके लिए तैयार नहीं है। इस दिशा में सभी दलों को एक मंच पर आना होगा। एक साथ चुनाव कराने से खर्चा कम आएगा। 


वरिष्ठ पत्रकार श्री महेश श्रीवास्तव  ने हाल में आए सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले के बारे में टिप्पणी की जिसमें चुनाव‌आयुक्त की नियुक्ति के लिए तीन‌ सदस्यीय समिति बनाने की बात कही गई है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि इससे एक चुनाव‌ का‌ मामला‌ अब और दूर की कौड़ी‌ हो गया है ।  एक देश एक चुनाव भी एक देश एक कानून की तरह बुखार है।  बुखार शारीर का विकार दूर करने की प्रक्रिया है। निर्वाचन आयोग समाजवाद की उस टोपी की तरह जिसे हर दल अपनी तरह से लगाना चाहता हो। सुप्रीम  कोर्ट उसे आयोग को अपनी तरह चलाना चाहता है। कोर्ट ने आयोग में आयुक्त नियुक्ति केलिए पीएम नेता प्रतिपक्ष सीजेआई रहे।

पद्म श्री विजयदत्त  श्रीधर ने चुनाव सुधार‌के लिए कई‌ मौलिक सुझाव‌ दिए और कहा‌ कि चुनाव‌ कोई भी‌ कराए, उसकी व्यक्तिगत ईमानदारी पर इनकी तटस्थता और सर्वग्राह्यिता निर्भर‌ करती है। विषय की भूमिका रखते हुए पत्रकार शिवकुमार विवेक ने कहा‌ कि श्री देवलिया की स्मृति आंचलिक पत्रकारिता की प्रतिष्ठा का अनुष्ठान‌ है। वे व्यावहारिक पत्रकारिता की एक संस्था थे।‌आजादी‌ के‌ अमृतकाल और‌ पत्रकारिता के पतनकाल में ऐसी संस्थाओं की खोज कर उन्हें प्रतिष्ठित करना चाहिए। 


कार्यक्रम में पत्रकार श्री सतीश एलिया की पुस्तक 'पत्रकारिता का धर्म' और व्याख्यानमाला की स्मारिका का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्री आदित्य श्रीवास्तव ने किया। डा अर्पणा एलिया ने अतिथियों का स्वागत किया।


ये रहे मोजूद

इस मौके पर  शिवकुमार विवेक,पुष्पेंद्र पाल सिंह,अशोक मनवानी, पवन देवलिया,डॉक्टर रविंद्र सिलाकारी,मनोज दिवेदी,देवदत्त दुबे,प्रदीप भाटिया,विशंभर शुक्ला,डॉक्टर अपर्णा एलिया,श्रीमती कीर्ति देवलिया,अरुणा दुबे, शैलेंद्र ठाकुर, सहित भोपाल एवम सागर के गणमान्य नागरिक,पत्रकार साथी उपस्थित थे।


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एडिटर: विनोद आर्य
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