संगीत आनन्द की अनुभूति, चिकित्सा एवं योग है: मेयर संगीता तिवारी
सागर, दिनांक 17 मार्च 2023 शासकीय स्वशासी कन्या स्नातकोत्तर उत्कृष्टता महाविद्यालय, सागर में संगीत एवं नृत्य विभाग के सह-आयोजन में आयोजित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए महापौर श्रीमती संगीता तिवारी ने कहा कि संगीत का जीवन में बहुत महत्व है और यह हर व्यक्ति से जुड़ा हुआ है। चाहे वह इस विषय का विद्यार्थी हो अथवा नहीं।
विषय विशेषज्ञ डाॅ. पं देवेन्द्र वर्मा ने बंदिशों एवं सोलह श्रृंगार की जानकारी देते हुए कहा कि नृत्य पर अभी और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है। संगीत अभी अपनी शैशवस्था में है। अच्छे शोध जिसमें शोधन हो एवं जो शुद्ध हो, किए जाने की आवश्यकता है, वही समाज को दिशा प्रदान करेगा। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री अनिरूद्ध पिंपलापुरे ने कहा कि संगीत एवं नृत्य जीवन से जुड़े विषय हैं एवं इन पर संगोष्ठी का आयोजन एक सराहनीय प्रयास है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष संस्था प्राचार्य एवं क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, सागर संभाग सागर डाॅ. सुनील श्रीवास्तव ने कहा कि गायन, वादन एवं नृत्य तीनों विधाओं को मिलाकर ही संगीत की परिभाषा बनती है। इन तीनों विधाओं गायन, वादन एवं नृत्य का आपस में घनिष्ट सम्बन्ध है। हमारे देश में कलाओं एवं कलाकारों का वैदिक काल से ही विशिष्ट स्थान रहा है। कलाओं के प्रदर्शन का उद्देश्य भी ईश्वरोपासना रहा है। चाहे शास्त्रीय कलाएं हों या लोक कलाएं सभी के प्रदर्शन के पूर्व इष्ट देव की वंदना या देवताओं का आह्वान करने की परम्परा हमारे देश में प्रचलित है।
संगोष्ठी का प्रथम तकनीकी सत्र नृत्य विषय पर आधारित था। सत्र की अध्यक्षता डाॅ. नीता गहरवार, खैरागढ़ वि.वि. द्वारा की गई विषय विशेषज्ञ डाॅ. योगिता मण्डले ने विषय पर अपना व्याख्यान दिया।
डाॅ. वंदना चौबे ने नायिका की आष्ठावस्था मुद्राओं एवं डाॅ. सुचित्रा हरमलकर ने घरानों के वैशिष्ठ पर विशेष व्याख्यान दिया। डाॅ. नीता गहरवार ने नायिका भेद पर अपना व्याख्यान दिया। आरोही श्रीवास्तव ने ताल के दस प्राण, कृष्णकांत कटारे ने पश्चात्य संगीत में युवाओं का रूझान पर अपना शोध पत्र पढ़ा। सत्र का संचालन डाॅ. अंजना चतुर्वेदी ने किया। शाम को सांस्कृतिक संध्या की शुरूआत डाॅऋ योगिता मांडलिक की ध्रुपद प्रस्तुति से हुई।
इसके बाद गगनरात एव आशुतोष सोनी ने तबलावादन किया हारमोनियम पर संगत श्री प्रियंक तेलंग ने की। नृत्य विभाग की छा?ाओं द्वारा पारंपरिक कथक नृत्य की प्रस्तुति दी गई। जिसमें मुख्य कलाकार आरोही श्रीवास्तव, बाला जैन एवं नंदिनी श्रीवास्तव, पढन्त पर संगत डाॅ. अपर्णा चाचोंदिया ने की हारमोनियम पर कृष्णकुमार कटारे एवं तबला पर तेजस पटैल थे। अंत में नृत्य विभाग की छात्राओं द्वारा लोकनृत्य ’’नौरता’’ प्रस्तुत किया। आभार अपर्णा चाचैंदिया ने माना।
महाविद्यालय परिवार की ओर से राष्ट्रीय शोध सेमीनार में डाॅ. नरेन्द्रसिंह ठाकुर, डाॅ. सुनीता त्रिपाठी, डाॅ. रश्मि दुबे, डाॅ. नवीन गिडियन, डाॅ. रेनूबाला शर्मा, डाॅ. डी.के. गुप्ता, डाॅ. एम.एम. चैकसे, डाॅ. आनंद तिवारी, डाॅ. पद्मा आचार्य, डाॅ. सरिता जैन, डाॅ. निशा इन्द्र गुरू, डाॅ. रजनी दुबे, डाॅ. शक्ति जैन, डाॅ. संजय खरे, डाॅ. संतोष गुप्ता, डाॅ. मालती दुबे, डाॅ. रश्मि मलैया, डाॅ. अंजना नेमा, श्री राजकुमार अहिरवार, श्री अभय जैन, डाॅ. अंशु सोनी, श्री खेमचन्द्र कश्यप, श्री एस.के. भोजक, श्रीमति प्रीति गुप्ता, श्री श्रवण कुमार शर्मा, श्री हुकुम चन्द रजक, श्री दिनेश पाण्डेय, श्री शैलेन्द्र पटैल, श्री अक्षय दुबे, श्री संजय सेन, श्री पुष्पेन्द्र पाण्डेय आदि उपस्थित हुए।
(डाॅ. सुनील श्रीवास्तव)
प्राचार्य
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