पुरोहित पुजारी विद्वत संघ ने मंदिरों में किया बुंदेलखंड पंचांग पूजन
सागर,22 मार्च ,2023 . आज 22 मार्च बुधवार से भारतीय नववर्ष विक्रम संवत 2080प्रारंभ हो गया है। प्रतिवर्षानसार पुरोहित पुजारी विद्वत संघ द्वारा मंदिरों में नव वर्ष उत्सव मनाया गया ।भगवा ध्वजा फहराने के साथ नए वर्ष के बुंदेलखंड पंचांग का विधिवत पूजन किया गया। संघ के अध्यक्ष पं.शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि पंचांग पूजन का प्रमुख कार्यक्रम बैंक कॉलोनी तिली स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में आयोजित हुआ। जहां संघ के महामंत्री पं.रामचरण शास्त्री, श्रीहरि महाराज द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया गया ।जिसमे पूजन यजमान युवा ब्राह्मण ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष पं. भरत तिवारी, शिवसेना उपराज्य प्रमुख पं.पप्पू तिवारी,मंदिर समिति अध्यक्ष पं.के सी व्यास रहे ।साथ ही पं.अमित कटारे, पं. गोलू तिवारी,पं.दीपक शर्मा, पं.अतुल प्रेम जी महाराज, पं.अथर्व शर्मा, डॉ रामचंद्र शर्मा,पं.हर्षवर्धन दुबे आदि ने भगवा अंगवस्त्र धारण करके पंचांग पूजन किया।
इसके साथ ही बीजासेन मंदिर पीटीसी ग्राउंड पर पं.शिवनारायण शास्त्री, पं.शिवम तिवारी,तहसीली में पं.रमाकांत त्रिवेदी,मकरोनिया में पं.बालमुकुंद शास्त्री,बड़ाबाजार में पं.सुरेश नारायण द्विवेदी,सदर में पं.संजय बाजपेई,गढ़पैरा में पं.भगवत कृष्णशास्त्री, मोतीनगर में पं.पुरषोत्तम गोतम आदि ने मंदिरों में पंचांग पूजन किया साथ ही तहसीलों में भी संघ के पदाधिकारियों ने पंचांग पूजन करके नववर्ष उत्सव मनाया।
ऐसा है इस वर्ष का संक्षित फल
संघ के वरिष्ठ विद्वान और ज्योतिषाचार्य पं.रामगोविन्द शास्त्री ने संवत्सर का फल सुनाते हुए बताया कि नल नामक श्री विक्रम संवत्सर 2080 का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिन बुधवार, तदनुसार 22 मार्च, 2023 को प्रारंभ हुआ है। *वर्ष का राजा बुध* होने से लोगों में धार्मिक प्रवृत्ति बढ़ेगी, परिवार में शुभ मंगल कार्य, उत्सव होंगे, वर्षा अच्छी होगी, लेखक, कर्मकार, गायक, गणितज्ञ, वैद्य, डाक्टर, शिल्पी आदि विशेष लाभान्वित होंगे। व्यापारी वर्ग को विशेष सुविधाएं मिलेंगी, वैज्ञानिक एवं तकनीकी खोज का लाभ आम जनता तक पहुंचेगा।
मंत्री ‘शुक्र’ का फल : मंत्री शुक्र होने के कारण टिड्डी दल, चूहे, जंगली एवं वन्य जीवों, जैसे भैंसे, कीट, सूअर आदि के प्रकोप से फसलों को नुक्सान, वर्षा, भूस्खलन, बाढ़ आदि के प्रकोप से कृषि, जन-धन की हानि, महंगाई बढ़ेगी। इस वर्ष संवत का वाहन गीदड़ है तथा समय (संवत) का वास ‘धोबी’ के घर में है। वर्षा का स्वामी मेघेश गुरु, सेना के स्वामी एवं फलों का स्वामी भी गुरु है, इससे विकास का मार्ग प्रशस्त होगा, शोध एवं उच्च शिक्षा की गुणवत्ता का विस्तार, सीमाओं पर भारत की सैन्य शक्ति दृढ़ होगी, सीमाएं सुरक्षित रहेंगी।
ग्रहण : इस वर्ष तीन सूर्य एवं एक चंद्र ग्रहण होगा। भारत में एकमात्र दिखाई देने वाला ग्रहण ‘खंडग्रास चंद्रग्रहण’ है, जो 28/29 अक्तूबर 2023 की मध्य रात्रि में सारे भारत में दिखाई देगा। इस वर्ष अधिक (मल) मास 18 जुलाई से 16 अगस्त, 2023 तक रहेगा।
मौसम, व्यापार एवं अन्य फल : इस संवत में कहर की गर्मी से जनजीवन बदहाल होगा, सूर्य की तपिश एवं लू आदि से कष्ट, रोग, पीड़ा का भय रहेगा, कहीं-कहीं सूखा, वर्षा की कमी, पूर्वी एवं उत्तरी भारत में भीषण गर्मी, लू का प्रकोप, अग्नि आदि की दुर्घटनाओं से हानि, सूखे की मार फसलें खराब करेगी।
इसी तरह वर्षा ऋतु में भी उत्तर व मध्य भारत के साथ-साथ पूर्वी-पश्चिमी एवं दक्षिणी भारत में वर्षा का भारी कहर रहेगा। कुछ प्रांतों में नदियों का जलस्तर भारी उफान पर रहेगा, भूस्खलन, बादल फटने, बिजली गिरने से नुक्सान, समुद्री तूफान से जन-धन की हानि, भूकंप का प्रकोप बना रहेगा।
शिशिर ऋतु में भी भारी वर्षा, ओलावृष्टि, बर्फीले तूफान, जमीन खिसकने से जीवन अस्त-व्यस्त होगा। बाजार तेज रहेंगे। सोना-चांदी, पीतल, स्टील में एक बार एकदम भारी गिरावट के बाद तूफानी तेजी से भाव उछलेंगे, रूई-कपास, चीनी, तेलों, गेहूं, चना, सरसों, अलसी, बिनौला-जौ, ज्वार, दालों में तेजी रहेगी।
कुछ प्रदेशों की सरकारें मुश्किल में पड़ेंगी। कुछ प्रांतों में तनाव का माहौल रहेगा। प्रजा में धर्मकार्य के प्रति रुचि बढ़ेगी। विश्व में भारत की छवि और निखरेगी।
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