मुनि श्री प्रशांत सागर महाराज की हुई समाधी
सागर/आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री प्रशांतसागर की बिहार राज्य की में स्थित जैन तीर्थ क्षेत्र चंपापुर मैं 13 फरवरी की सुबह सुबह अचानक समाधि हो गई बे 62 वर्ष के थे। मुनि श्री प्रशांतसागर महाराज का नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव में 3 जनवरी 1961 को उनका जन्म हुआ था। बीकॉम प्रथम वर्ष तक शिक्षित थे। गृहस्थ अवस्था में उनका नाम राजेश जैन था पिता देवचंद जैन और माता सुशीला जैन के सात बच्चों में उनका क्रम चौथा था।
मुनि सेवा समिति के सदस्य मुकेश जैन ढाना ने बताया कि उन्होंने आचार्य श्री विद्यासागर महाराज से 18 फरवरी 1989 को ब्रह्मचर्य व्रत लिया था। उसके बाद उनकी क्षुल्लक दीक्षा 16 मई 1991 को मुक्तागिरी में हुई थी। 2 माह बाद ऐलक दीक्षा 25 जुलाई 1991 को मुक्तागिरी में हुई थी जबकि मुनि दीक्षा 16 अक्टूबर 1997 शरद पूर्णिमा के दिन सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर में हुई।
मुनि श्री प्रशांतसागर और मुनि श्री निर्वेगसागर महाराज ससंघ सम्मेद शिखरजी सिद्ध क्षेत्र की वंदना कर पंचतीर्थ वंदना कर रहे थे इसी दौरान चंपापुर में उनकी समाधि हो गई। सागर में 5 वर्ष पूर्व मुनि संघ के सानिध्य में अरिहंत विहार कॉलोनी काकागंज में पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव का आयोजन हुआ था इसमें वर्धमान कॉलोनी स्थित पुष्पदंत भगवान की प्रतिमा का पंचकल्याणक संपन्न हुआ था। उनके समाधि की सूचना मिलने के बाद जैन समाज में शोक की लहर छा गई सागर में विराजमान आर्यिका संघ की आधे से ज्यादा माताजी ने आज का उपवास रखा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें