माता ईश्वर के दिए हुए अनमोल उपहार है केशव महाराज
सागर। उपनगरीय क्षेत्र मकरोनिया स्थित है श्री राम दरबार मंदिर के पीछे कबीर वाटिका पार्क पार्क में ब्रह्मलीन संत पंडित श्री देव प्रभाकर शास्त्री दद्दा जी का अनुसरण करते हुऐ गृहस्थ संत पंडित श्री अनिल शास्त्री जी महाराज के प्रिय शिष्य केशव महाराज जी के सानिध्य में हो रहे,राष्ट्र कल्याण हेतु महारुद्र यज्ञ एवं महा रुद्राभिषेक के षष्ठम दिवस पर विशाल जनसैलाब उमड़ा प्रातः अशंख्य पार्थिव शिवलिंग का निर्माण हुआ दोपहर में भगवान शिव का षोडशोपचार विधि के साथ में पूजन अर्चन किया गया, सायं कालीन बेला में श्रद्धेय केशव महाराज जी के द्वारा भगवान शिव का विवाह की कथा सभी भक्तों को श्रवण कराई गई कथा में भगवान शिव की झांकी को देख कर के सभी भक्तों मंत्रमुग्ध रह गए ,केशव महाराज जी ने कथा मैं कहा कि भगवान शिव और देवी पार्वती जगत के माता-पिता है "जगत: पितरौ बंदे पार्वती परमेश्वरौ " जिस तरह से हम परमात्मा में अपनी आस्था रखते हैं और उनको हम अपना इष्ट मानकर है तो हम मनुष्यों को चाहिए कि,हम अपने माता-पिता में भी उतनी ही आस्था रखें जितनी हमारी भगवान शिव और पार्वती में हो, भगवान के दिए हुए अनमोल उपहार हैं हमारे माता-पिता , क्योंकि यह हमारा लालन पालन पोषण निस्वार्थ भाव से करते हैं कितनी भी विषम परिस्थितियां हो, चाहे आर्थिक विषम परिस्थिति हो गए उसमें भी यह हमें पढ़ाई लिखाई विद्या अध्ययन कराते हैं और हमें एक योग्य व्यक्ति बनाने का हर संभव प्रयास करते हैं जो संताने ने अपने माता पिता को बड़े होकर कष्ट प्रदान करती है उन्हे रुलाती है उनके दिए हुऐ अच्छे संस्कार ग्रहण नहीं करती निश्चित रूप से उनका जीवन सार्थक नहीं हो सकता भलेही वह कितना पैसा धन कमा ले, सबसे बड़ा धन माता पिता की प्रश्नता में है,
ईश्वर भी बुरी संतान को द्वारा किया हुआ पूजन स्वीकार नहीं करते, क्योंकि ईश्वर का स्वरूप ही माता-पिता है हमारे घर में यह हमें मान कर अवश्य रखना चाहिए , जिस घर में माता-पिता का सम्मान जिस घर में स्त्री का सम्मान होता है वही देवता निवास करते हैं और वह घर ही स्वर्ग है
माता पिता का प्यार निस्वार्थ होता है और वह हमारी खुशियों के लिए अपनी खुशियों को त्याग देते हैं। बच्चे चाहे कितने भी बड़े हो जाए पर वह माँ बाप के लिए हमेशा छोटे ही रहते हैं। दुनिया का कोई भी रिश्ता झूठा हो सकता है लेकिन माँ बाप का रिश्ता हमेशा सच्चा होता है। माता पिता हमेशा अपने बच्चों को सफल होते हुए देखना चाहते हैं और उनकी जरूरतें पूरी करते हैं।
माता पिता की ममता और त्याग का कर्ज हम कभी नहीं चुका सकते हैं पर हमें भी उन्हें खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए। आधुनिक समय में लोग माता पिता के महत्व को भूलते जा रहे हैं और उनसे सही तरीके से बात भी नहीं करते हैं। बच्चे बड़े होते माँ बाप का प्यार भूल जाते हैं और उन्हें वृदाश्रम छोड़ आते हैं जो कि बहुत गलत है। हमें अपने माता पिता का कहना मानना चाहिए और उन्हें खुश रखना है। माता पिता अद्वितीय है उनके समान दुनिया में दुसरा कोई भी नहीं है। हमें हमेशा अपने माता पिता का सम्मान करना चाहिए क्योंकि वह जीवन में सिर्फ एक बार ही मिलते हैं।शिवलिंग निर्माण मे प्रमुख रूप से अखिलेश मोनी केसरवानी उत्तम सिंह ठाकुर सिद्धार्थ सिंह बामोरा ,अभिषेक गौर राजा रिछारिया अनुश्री शैलेन्द्र जैन प्रतिभा चौबे मेधा दुबे, निगम अध्यक्ष वृन्दावन अहिरवार प्रमोद उपाध्याय गोल्डी ठाकुर अशुल परिहार रशाक तिवारी सीताराम सेन विवेक सक्सेना लोकेश तिवारी अंजुल शुक्ला हेमंत रैकवार रुकमेश तिवारी नितिन रठौर नीरज पटैल अखिलेश गौर सहित बडी संख्या मे शिवभक्त उपस्थित रहे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें