मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत
▪️कोर्ट ने याचिका खारिज की
सागर। मध्यप्रदेश के राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उनके खिलाफ एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका ( किसी व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष पेश करने के लिए ) को कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता ने खुद कोर्ट में उपस्थित होकर याचिका को वापस लेने का आवेदन लगाया था।
कोर्ट में मंत्री के खिलाफ सीताराम ने अपने पिता की गुमशुदगी के मामले में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई थी। याचिका में आरोप था कि 22 अगस्त 2016 को उसके पिता को राजपूत ने मिलने के लिए बुलाया था जिसके बाद से उसके पिता लापता हैं। उसके पिता ने तहसीलदार कोर्ट में राजपूत के खिलाफ केस लगाया था, जो जमीन को लेकर था।
इस मामले में मंत्री पर आरोप लगाने वाले सीताराम (महेश पटेल) ने खुलासा किया था कि भाजपा से निष्कासित नेता राजकुमार सिंह धनौरा और विनय मलैया ने शिकायत दर्ज कराने के लिए उसे 2 करोड़ रुपए का लालच दिया था। सीताराम का कहना है कि इन दोनों के लालच में आकर उसने झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई थी, दोनों ने एक गार्डन में उसे बुलाकर रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए उसे 10 हजार रुपए एडवांस भी दिए थे। सीताराम ने दोनों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। सीताराम ने कहा कि दोनों नेता बाद में जोर-जबरजस्ती कर उसे कार से सुप्रीम कोर्ट ले गए और कुछ अज्ञात कागजों पर साइन भी कराए थे।
सीताराम के इस खुलासे के बाद पुलिस ने नेता राजकुमार सिंह धनौरा और विनय मलैया के खिलाफ आईपीसी की धारा 342, 506 और 120 बी के तहत केस भी दर्ज कर लिया है।
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