गुरु दीक्षा मनुष्य को सदमार्ग पर ले जाती है: देवदास जी
▪️ श्री महालक्ष्मी यज्ञ में मंत्री गोपाल भार्गव ने लिया आशीर्वाद
▪️फतेहपुर से आए रामरूद्राचार्य, मौनी बाबा भी सत्संग में शामिल हुए
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सागर,26 फरवरी ,2023. सनातन धर्म में सोलह संस्कारों का विधान है। इनमें से दीक्षा भी एक संस्कार है। बचपन में ही बच्चों को दीक्षा एवं गुरु मंत्र दिला दिया जाता था, लेकिन अब हम इससे विमुख हो रहे हैं। दीक्षा मनुष्य को सदमार्ग दिखाती है । दीक्षा हमें गुरु देती है, मंत्र देती है और आदमी को मनुष्य बनाती है। दीक्षा, मंत्र हमें भगवान से मिलने, सत्संग करने, सदकर्म करने के योग्य बनाती है। इसलिए जीवन में गुरु मंत्र, गुरु दीक्षा अवश्य ले। यह हमारे जीवन का उद्धारक है। उक्त अमृतमयी वचन श्री देव दास जी बड़े महाराज ने बम्होरी रेगुंवा में पंडित अजय दुबे के फार्म हाउस पर आयोजित नौ कुंडीय महालक्ष्मी यज्ञ एवं दिव्य सत्संग के दौरान बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालु श्रोताओं के समक्ष व्यक्त किए।
श्री देव दास जी बड़े महाराज ने दिव्य सत्संग में दीक्षा लेने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि जब हमारे जीवन में बड़े, बुजुर्ग होते हैं तो हमें उनका सहयोग संरक्षण मिलता है। बच्चा अपने मां-बाप के बल पर सब कुछ करने को तैयार हो जाता है। वह बल, वह शक्ति खत्म ना हो इसलिए गुरु मंत्र, गुरु दीक्षा दी जाती है। जो उस बल को बनाए रखती है और गुरु, जप, तप, सदकर्म से मनुष्य को जोड़े रखती है।
गुरु मंत्र का हमेशा जाप करें:-
देव दास जी महाराज ने गुरु मंत्र, गुरु दीक्षा का प्रभाव बताते हुए कहा कि इन्हें पाने से मनुष्य अपने आप को गुरु,भगवान के समीप पाता है। मंत्र में वह शक्ति होती है कि ईश्वर भक्त के अधीन हो जाता है, लेकिन मंत्र जाप के अधीन होता है। मंत्र का जितना अधिक जाप करोगे उतना ही अधिक ईश्वरत्व प्राप्त करोगे। जिस तरह किसान खेत में बीज डालने के बाद भी अच्छी फसल की आस में खाद, सिंचाई, नींदाई करता है, उसी तरह मंत्र जाप है जिसमें अर्पण, समर्पण होना चाहिए। तभी आप ईश्वर रूपी अच्छी फसल की उम्मीद कर सकते हैं।
सत्संग में मुख, नेत्र और श्रवण की प्रधानता:-
श्री देव दास जी महाराज ने कहा कि सत्संग में हमेशा शामिल हो। इसमें साधु संत के दर्शन के साथ ही भगवत भक्ति भी प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि सत्संग में भक्ति का प्रभाव होता है और साधक इस में रम जाए तो सब अच्छा होता है। सत्संग में तीन चीजें मुख, नेत्र और श्रवण की प्रधानता होती है। मुख से मनुष्य सत्संग में भगवत स्मरण करता है, नेत्र से संत दर्शन करता है और कर्ण से भगवत नाम सुनने का सुख प्राप्त होता है। इन तीनों चीजों में यदि एकाग्रता है तो आप समझो भक्ति और भगवान के निकट हो इसलिए सत्संग हमेशा मनोभाव से करें।
भक्ति और प्रेम में ही भगवान का समर्पण:-
देव दास जी महाराज ने कहा कि जहां सच्चे रूप से भक्ति होती है, भगवान के प्रति प्रेम होता है तो भगवान का वहां समर्पण होता है। जब सच्चे मन से भक्ति और प्रेम की व्याकुलता आती है तो मनुष्य को अच्छा बुरा नहीं दिखता। उसे हर कार्य करने में भक्ति और प्रेम नजर आता है। कर्मा बाई की भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण अद्वितीय था। कर्मा बाई नित्य प्रति खिचड़ी बनाती और भगवान को भोग लगाती थी। वह खिचड़ी उनके दातौंन की झूठी होती थी,लेकिन भगवान खिचड़ी चट कर जाते थे। भगवान को कभी इससे मतलब नहीं रहता है कि भक्त कैसे और क्या बना रहा है। उन्हें सिर्फ भक्तों का भाव दिखता है। भगवान जगन्नाथ ने मां कर्मा बाई के भाव को देखा और दर्शन दिए। भाव और भक्ति देखकर ही भगवान ने विदुर के घर केले के छिलके, शबरी के बेर खाए। द्रौपदी के चीरहरण, मगर से गज को बचाया। यह भक्ति का ही प्रभाव था। महाराज श्री ने कर्मा बाई की भक्ति,भगवत स्मरण एवं भगवान द्वारा दिए गए दर्शन की कथा का विस्तार से वर्णन किया।
लोनिवि मंत्री पंडित गोपाल भार्गव ने लिया आशीर्वाद:-
प्रदेश के लोक निर्माण विभाग मंत्री पंडित गोपाल भार्गव ने महालक्ष्मी यज्ञ स्थल पहुंचकर यज्ञ परिक्रमा की एवं मंदिर में प्रतिष्ठित देवराहा बाबा सहित श्री विग्रह प्रतिमाओ के दर्शन किए तथा दिव्य सत्संग में शामिल होकर देवदास जी महाराज, छोटे महाराज एवं मौनी बाबा से आशीर्वाद लिया। मंत्री श्री भार्गव का बडे महाराज एवं यजमान अजय दुबे ने सम्मान किया।
दिव्य सत्संग के दौरान फतेहपुर दमोह से आए संत श्री रामरुद्राचार्य एवं मोनी बाबा ने भी देव दास जी महाराज से आशीर्वाद लिया। कथा प्रारंभ में पंडित अजय दुबे, अतुल मिश्रा, सुशील पांडे,महेश पांडे, अक्षत पटेल, विहिप के जिला उपाध्यक्ष महेश नेमा, पूर्व महापौर मनोरमा गौर ,गोलुआ अग्रवाल, भरत तिवारी, राम शर्मा, सिद्धार्थ पचौरी ने देवदास जी महाराज का स्वागत किया।
नव कुंडीय गायत्री महायज्ञ में 9 दिन में सवा लाख आहुति का संकल्प :
सागर के इतिहास में पहली बार संपन्न हो रहे गायत्री महायज्ञ में नौ कुंड के नौ प्रमुख यज्ञ के यजमानों के अलावा अन्य लोग भी आहुति कर रहे हैं। अलग-अलग दिन अलग-अलग लोग यज्ञ मे बैठ रहे हैं । संख्या ज्यादा होने पर आचार्य द्वारा प्रमुख यजमानों के अलावा अन्य के लिए दो पारियो मे आहूति कर रहे है। पंडित शिव चरण तिवारी ने बताया कि प्रतिदिन 20 हजार आहुति यज्ञ में डाली जा रही है । 9 दिन में सवा लाख से ज्यादा आहुति पड़ेगी । 21 फरवरी को मंडप प्रवेश हुआ था। 22 फरवरी से आहुति डल रही है। 1 मार्च को पूर्णाहुति होगी।
यज्ञ के मुख्य यजमान साधना अजय दुबे, शिवानी संजय चौबे, प्रतिभा डॉ अनिल तिवारी, रजनी मनमोहन शर्मा, कोमल प्रसाद जोशी, कामना अभिषेक शर्मा, हितेश अग्रवाल ,सुनीता श्याम मनोहर पचोरी, लक्ष्मीबाई कडोरी लाल विश्वकर्मा, वंदना मनीष सोनी, रोहिणी निर्भय घोषी, साधना देवनारायण दुबे, गिरजा बाई रामदयाल प्रजापति, के अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालु यज्ञ में आहुति दे रहे हैं एवं परिक्रमा कर धर्म लाभ अर्जित कर रहे हैं । सत्संग के दौरान पप्पू तिवारी, भरत तिवारी, गोलू अग्रवाल,रामचरण शास्त्री, हरि महाराज, पंडित कुंज बिहारी शुक्ला,शिव प्रसाद तिवारी,, सुशील रामकृष्ण तिवारी, अमित कटारे , राम शर्मा,अरविंद दुबे,अंकित दुबे, देवव्रत शुक्ला, श्याम मनोहर पचौरी, कुलदीप दुबे, शिव नारायण शास्त्री, संतोष पांडे, राघवेंद्र नायक, मुरारी नायक, सुरेंद्र शास्त्री, श्याम पचौरी के अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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एडिटर: विनोद आर्य
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+91 94244 37885
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