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सागर के इतिहास में पहली बार श्री नवकुंडीय महालक्ष्मी यज्ञ, 21 फरवरी से 1 मार्च तक

सागर के इतिहास में पहली बार श्री नवकुंडीय महालक्ष्मी यज्ञ, 21 फरवरी से 1 मार्च तक

सागर,20 फरवरी ,2023। सागर में  21 फरवरी से 1 मार्च तक नवदिवसीय महालक्ष्मी यज्ञ सागर में भोपाल बीना बाईपास रोड स्थित बम्होरी रेंगुआ में दुबे फार्महाउस पर संपन्न होने जा रहा है। इस महायज्ञ में देश के प्रतिष्ठित संतों का सानिध्य भी प्राप्त हो रहा है साथ ही नवदिवसीय भक्तमाल कथा भी आयोजित की जा रही है। यज्ञ के इस अनुष्ठान के यजमान और विश्व हिंदू परिषद् के जिला अध्यक्ष पं. अजय दुबे ने बताया कि महालक्ष्मी नवकुंडीय यज्ञ सागर के इतिहास में पहली बार हो रहा है और इसका आयोजन करने की प्रेरणा मुझे ईश्वर की कृपा और पूर्वजों के आशीर्वाद से मिली है। मैं देवराहा बाबा के प्रति अटूट श्रद्धा रखता हूं और इतना बड़ा अनुष्ठान उनकी कृपा से ही कर पा रहा हू। देवराहा बाबा बड़े विलक्षण संत थे जो इस भारतवर्ष की भूमि पर सनातन धर्म के लिए जिये । इतिहास और जानकार बताते हैं कि वो लगभग 900 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुके थे और इतनी आयु किसी मानव की हो असंभव हो। मेरा तात्पर्य यह है कि वो साक्षात् ईश्वर थे। 

देवराहा बाबा की मूर्ति, वृंदावन आश्रम की तर्ज पर

यहा पर वृंदावन में देवराहा आश्रम की तर्ज पर ही इनकी अष्टधातु की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ के दौरान ही 24 फरवरी को संपन्न होगी। इसके लिए मचान उनके आश्रम में स्थिति समाधिस्थल की तर्ज पर बनाई गई है साथ ही गणेश जी, दुर्गा जी, हनुमान जी धूनीवाले दादा से गांव वाले महाराज आदि की मूर्तियां भी स्थापित की जा रही है। इसके लिए मंदिर तैयार है। सभी विग्रहों की स्थापना 24 फरवरी को होगी। देवराहा बाबा के सानिध्य ओमें पूर्व में महालक्ष्मी यज्ञ हुआ करते थे ।

उसी परंपरा के तहत सागर में महालक्ष्मी यज्ञ होने जा रहा है। यज्ञ मंडप के लिए दिशा निर्देश पूर्व में स्थल भ्रमण कर चुके पूज्य संत किशोरदास महाराज, रावतपुरा सरकार, आदि संतों से प्राप्त हुए उसी आधार पर विशाल यज्ञशाला बनकर तैयार हो चुकी है। नवकुंड निर्माण भी हो चुके है। पूज्य संत राजेंद्र दास जी महाराज भी यज्ञस्थल पर यज्ञ के अंतिम दिन पधारेंगे। आप देश के प्रमुख संतों में गिने जाते हैं। मप्र के टीकमगढ़ जिले से ताल्लुक रखने वाले पूज्य श्री ने देश के कोने कोने में धर्म की गंगा प्रवाहित की है। वर्तमान में आप मलूक पीठ वृंदावन के पीठाधीश्वर हैं। कल 21 फरवरी को विशाल कलश यात्रा निकाली जाएगी जिसमें पुजारी पुरोहित और सनातन धर्म प्रेमी शामिल होंगे। महिलायें पीले वस्त्र धारण कर कलश लेकर चलेंगी। कल से महालक्ष्मी यज्ञ और भक्तमाल कथा प्रारंभ हो जाएगी। जिले भर में संतो महंतों और पुजारी पुरोहितों को आमंत्रण पहले ही भेजे जा चुके हैं। देश के अनेक प्रतिष्ठित संतों को आमंत्रित किया गया जिनकी कार्यक्रम में सहभागिता की अनुमति मिली । 

ये संत आयेंगे

उनमे प्रमुख रूप से पूज्य किशोरदास जी महाराज गोरेलाल कुंज वृंदावन से है। ये हमारे बुंदेलखंड के सिद्ध क्षेत्र पड़रिया धाम के नाम से भी जाने जाते है। महाराज जी का जन्म सागर जिले में ही ग्राम खटोरा में 2 जून 1967 को हुआ था। आपने 15 वर्ष की आयु में ही सन्यास ग्रहण कर लिया था। आज देश के महान संतों में गिने जाते है। आप 24 फरवरी को उपस्थित रहेंगे। द्वितीय संत पूज्य देवदास जी महाराज जो वर्तमान में देवराहा बाबा आश्रम वृंदावन के पीठाधीश्वर हैं जो पूरे नौ दिन उपस्थित रहेंगे। आपका आगमन 19 फरवरी रविवार को स्थल पर हो चुका है। आपके श्रीमुख से ही भक्तभाव कथा श्रवण कराई जाएगी। तृतीय संत के रूप में पूज्य श्री रावतपुरा सरकार होंगे जो 24 फरवरी से यज्ञ समापन तक उपस्थित रहेंगे। मध्यप्रदेश के चंबल सिद्ध स्थल के संस्थापक है। यह क्षेत्र डाकुओं के नाम से जाना जाता था। जब 17 वर्ष की आयु में महाराज जी ने धर्म की अलख जगाना आरंभ किया तो आज धर्म क्षेत्र के नाम से जाना जाने लगा। 


देश के महान संत के रूप में रावतपुरा सरकार को जाना जाता है। अद्भुत शारीरिक विलक्षण शक्ति का यज्ञ में आना सौभाग्य है। चतुर्थ संत निम्बार्क पीठाधीश्वर जगतगुरू श्यामाचरण देवाचार्य जी महाराज है। निम्बार्क संप्रदाय वैष्णव के चार संप्रदायों में सबसे प्राचीन सप्रदाय माना जाता है जिसकी प्रधानपीठ सलेमावाद (अजमेर) राजस्थान है और उसी पीठ के आप वर्तमान पीठाधीश्वर है प्रमुख प्राचीन सम्प्रदाय और प्रधान पीठ का प्रतिनिधित्व होने से अन्य सभी संत इनको प्रणाम करते है। आपका यज्ञ में सानिध्य प्राप्त होना परम सौभाग्य है। यज्ञ के किसी भी दिन आप आ सकते हैं। इसके अलावा कुड़ा वाले स्व. श्री देवप्रभाकर शास्त्री दद्दाजी के सुपुत्र और परिपाटी को आगे बढ़ा रहे पं. श्री अनिल शास्त्री जी, अजब धाम फतेहपुर वाले छोटे सरकार के साथ बुंदेलखंड के अनेक संत महंतों का सानिध्य रहेगा। 24 फरवरी को स्थल पर मुर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के साथ पुरोहित पुजारी विद्वत संघ के द्वारा तृतीय वर्ष बनाए गए स्थानीय बुंदेलखंड पंचांग का विमोचन भी संतों के द्वारा किया जा रहा है इसमें पूरे बुंदेलखंड के पुरोहित, पुजारी और कथावाचक शामिल होंगे साथ ही 24 तारीख को ही विश्व हिंदू परिषद् के केंद्रीय पदाधिकारी संत समागम में शामिल होंगे। यज्ञ और भक्तमाल कथा पूरे नौ दिन होगी ।

रायसेन के कारीगरों ने बनाई यज्ञशाला

उन्होंने बताया कि पंडाल में 2 हजार लोगो के बैठने की व्यवस्था की गई है। वैदिक रूप से बनी यज्ञशाला का निर्माण रायसेन के कारीगारो ने बना या है। स्थाई मचान बनाया ही। जिस पर देवरहा बाबा विराजित होंगे। इसी दिन होटल और मैरिज गार्डन रियार्थ इन का भव्य शुभारंभ होगा।  आयोजन को लेकर बड़े पैमाने पर तैयारिया चल रही है। 


ये रहे मोजूद

इस मौके पर श्री अनिल तिवारी ,एसवीएन विवि,पंडित शिव प्रसाद तिवारी, लक्ष्मी पाठक , भरत तिवारी ,एस पी पचोरी,पंडित रामचरण तिवारी श्री हरी महराज,सुशील रामकृष्ण तिवारी,सुशील पांडेय  ,राम शर्मा,डा विनोद तिवारी आदि उपस्थित थे।


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एडिटर: विनोद आर्य
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