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बुंदेलखंड के महाकाल : श्री महाकाल धाम खेजरा दरबार▪️महाशिवरात्रि : 13 फरवरी से शुरू होंगे आयोजन, महाशिवरात्रि पर लगातार 72 घंटे खुला रहेगा मंदिर▪️सिर्फ पुष्य नक्षत्र में ही चलता निर्माण कार्य


बुंदेलखंड के महाकाल : श्री महाकाल धाम खेजरा दरबार

▪️महाशिवरात्रि : 13 फरवरी से शुरू होंगे आयोजन, महाशिवरात्रि पर लगातार 72 घंटे खुला रहेगा मंदिर

▪️सिर्फ पुष्य नक्षत्र में ही चलता निर्माण कार्य


सागर, 6 फरवरी 2023। उज्जैन के बाबा महाकाल मंदिर की तर्ज पर बुंदेलखंड अंचल के सागर में  बांदरी रोड पर खेजरा धाम  में हूबहू मंदिर का निर्माण हो रहा है। यह सिद्ध क्षेत्र  अब महाकाल धाम खेजरा के नाम से प्रसिद्ध है। वैदिक दृष्टि से इसका निर्माण चल रहा है। श्रद्धालुओं की भीड़ अब उमड़ती है। महाशिवरात्रि पर यहां 13 फरवरी। से नौ दिन के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। जिनकी तैयारिया चल रही है। भगवान भोले नाथ की शादी के समस्त संस्कार होंगे।पहली दफा शाही बारात निकलेगी। 



महाकाल मंदिर की तर्ज पर निर्माण कार्य

यहां सात साल में आए 108 पुष्य नक्षत्रों में उज्जैन महाकाल के हुबहु मंदिर का निर्माण श्रमदान से कराया गया। शिवलिंग, प्रवेश-निकास सब कुछ दिशा और डिजाइन में महाकाल मंदिर की तर्ज पर तैयार किया गया है। महाकाल मंदिर निर्माण की सबसे खास बात यह है कि इसका निर्माण कार्य सिर्फ पुष्य नक्षत्र के दिन ही किया गया है। यानी माह में सिर्फ एक दिन ही निर्माण हुआ।


जय महाकाल सेवा समिति संयोजक पं. महेश तिवारी  ने बताया वर्ष 2015 के पुष्य नक्षत्र से लेकर अब तक बिलकुल ऐसा ही चला।  करीब दो एकड़ मंदिर परिसर है। इस दौरान कुल 108 पुष्य नक्षत्र में हुए कार्य से ही मंदिर की संरचना से लेकर, महाकाल की मूर्ति, प्रवेश स्थल से लेकर काफी कुछ उज्जैन की तरह हूबहू काम जनसहयोग से किया गया है। महाकाल की वैदिक मंत्रों से प्रतिष्ठा की गई है। भक्त अक्षय तृतीया से यहां दर्शन भी कर रहे हैं। इस तरह उज्जैन मंदिर में प्रवेश के लिए गुफानुमा रास्ते और दक्षिण दिशा से जाना पड़ता है ठीक वैसे भी यहां भी गुफा तैयार होगी। नंदी गृह से वापसी होगी। यहां पर उज्जैन मंदिर के पास जैसा रूद्र सागर तालाब है, वैसे ही यहां भी कराया जाएगा। गर्भ गृह के ठीक ऊपर दूसरा कक्ष भी बन रहा है। 


            पंडित महेश तिवारी

मंदिर के बाहर की नक्काशी भी जस की तस होना है। अंतर होगा तो सिर्फ क्षेत्रफल का। अभी तक 52 फुट ऊंचा मंदिर बन चुका है। करीब 96 फुट ऊंचाई रहेगी।  मंदिर के ऊपर नागचंद्रेश्वर मंदिर भी बनेगा । जिसके दर्शन साल में एक दफा नाग पंचमी को होंगे। बाबा महाकाल की प्रेरणा से कार्य चल रहा है। 



श्री  राम राज सरकार  और श्री कृष्ण दरबार भी

मंदिर परिसर में  भगवान श्री रामराजा सरकार और भगवान श्री राधा कृष्ण का दरबार भी बना है।  बाई तरफ श्री राधा कृष्ण  और दाई ओर राम राजा सरकार की मोहक प्रतिमाएं है। यहा नियमित पूजा आराधना चलती है। इसके साथ ही 36 गुणा 36 लंबाई चौड़ाई की पक्की यज्ञ शाला है।  जिसमे समय समय पर यज्ञों का आयोजन होता है। 



चार पीढ़ी से जुड़े है मंदिर से

पंडित महेश तिवारी ने बताया कि 1904 में इनके पूर्वज शिवराम तिवारी को स्वप्न में इसकी प्रेरणा मिली थी। तभी से यह दरबार चलता आ रहा है। काफी सिद्ध क्षेत्र है। अपनी मनोकामनाओं के लिए चारो तरफ से श्रद्धालु पहुंचते है। 



मंदिर के शिखर की ऊंचाई अभी 52 फीट
मंदिर निर्माण के दौरान हजारों लोगों ने श्रमदान किया। वर्तमान में मंदिर के शिखर की ऊंचाई 52 फीट है। इसे 96 फीट तक करने का लक्ष्‌य है। जिस जगह मंदिर बन रहा है, वह पहले से ही एक सिद्ध क्षेत्र हैं। यहां से जुड़े लोगों को जबसे यह पता लगा है कि महाकाल मंदिर की तरह यहां भी मंदिर बनाया जा रहा है तो पुष्य नक्षत्र के दिन बड़ी संख्या में लोग श्रमदान करने पहुंच जाते थे। कई लोग निर्माण सामग्री भी अपने साथ लाते थे। औसतन 200 से अधिक लोग और 10 मजदूर मिलकर पुष्य नक्षत्र के दौरान लगातार 24 घंटे काम करते रहे। इस बार महाशिवरात्रि पर भी निर्माण कार्य हुआ।


महाशिवरात्रि पर होगा आयोजन

पंडित महेश तिवारी ने बताया कि 13 फरवरी से भगवान भोले नाथ की शादी के संस्कार वैदिक रीति रिवाज के साथ संपन्न कराए जाएंगे। इस दफा महाशिवरात्रि पर 17 फरवरी को सुबह 4 बजे से भक्तो को दर्शन के लिए लगातार 72 घण्टे  19 फरवरी की रात 12 बजे से खुला रखा जायेगा। ताकि पर्व पर श्रद्धालुओं को पूजा अर्चना के लिए दिक्कत नही जाए।  हिमांशु तिवारी ने बताया कि भगवान की शादी की वैवाहिक पत्रिका भी प्रकाशित की गई है। महाशिवरात्रि पर पहली दफा शाही बारात का आयोजन किया जा रहा है। 


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एडिटर: विनोद आर्य
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