भगवान अवतार लेते हैं तो अपने भक्तों से मिलने व लीलायें करने के लिए- रसराजदास महाराज
सागर. पुलिस लाइन स्थित श्रीराम मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस रविवार को कथा व्यास रसराज दास जी महाराज ने कहा कि भगवान अवतार लेते हैं तो अपने भक्तों से मिलने के लिए। अपनी लीलायें करने के लिए। कथा में आज भगवान कृष्ण का जन्म हुआ। भगवान का जन्मोत्सव श्रध्दा व भक्तिभाव से मनाया गया। महाराज श्री ने इसके पहले वामन अवतार सहित भगवान के विभिन्न अवतारों की चर्चा की। वामन अवतार एवं कृष्ण जन्म की झांकी सजाई गई। इस मौके पर श्रध्दालु भाव विभोर होकर झूमने लगे।
अपने प्रवचन में महाराज ने कहा कि हमें आज जो कुछ भी प्राप्त है वह गाय माता से ही प्राप्त है। अगर हमें सुखी रहना है तो गायों की रक्षा करनी होगी। सभी को प्रयास करना चाहिए की हमारे मोहल्ले या कॉलोनी में एक स्थान गौशाला के लिए भी हो। उन्होंने कहा कि आज समाज में बहुत यज्ञ हो रहे है लेकिन सब व्यर्थ हो रहे है क्योकि यज्ञ के लिए शुद्ध घी और दूध नहीं मिल पा रहे है l
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उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है की जो पुरुष भगवान् और संतो की सेवा में लगे हैं वही श्रेष्ठ है बाकि जो काम वासनाओ व कुसंग में लगे हुए है उनका जीवन बेकार है। संसार में जब तक आप काम के रहोगे तभी तक आपको पूछेंगे और जब कोई काम के नहीं रहोगे तो घर वाले भी बाहर कर देंगे l महाराज ने कहा कि अपने बच्चों का नाम भगवानों के नाम पर रखना चाहिए जैसे कृष्ण, राम, नारायण, सीता, गायत्री, बैदेही। अजामिल ने अपने बालक का नाम नारायण रखा था इसलिए मृत्यु के समय अपने बेटे को नारायण नाम से पुकारने पर मुक्ति को प्राप्त कर भगवान् के धाम को गए। उन्होंने कहा कि हम सबको निष्काम होकर भक्ति करनी चाहिए जिस दिन हम निष्काम हो गए तो भगवान् प्रकट हो जायेंगे l निष्काम होना ही ईश्वर की सर्वोपरि भक्ति है और भागवत जी में निष्काम भक्ति का ही वर्णन किया गया है l रविवार को कथा में महापौर प्रतिनिधि डॉ सुशील तिवारी, जिला अधिवक्ता संघ अध्यक्ष डॉ अंकलेश्वर दुबे, भाजपा नेता नैवी जैन, पार्षद शिवशंकर यादव, बाटू दुबे, श्यामजी दुबे, राकेश चौबे आदि ने पहुंचकर महाराजश्री से आशीर्वाद लिया।
उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है की जो पुरुष भगवान् और संतो की सेवा में लगे हैं वही श्रेष्ठ है बाकि जो काम वासनाओ व कुसंग में लगे हुए है उनका जीवन बेकार है। संसार में जब तक आप काम के रहोगे तभी तक आपको पूछेंगे और जब कोई काम के नहीं रहोगे तो घर वाले भी बाहर कर देंगे l महाराज ने कहा कि अपने बच्चों का नाम भगवानों के नाम पर रखना चाहिए जैसे कृष्ण, राम, नारायण, सीता, गायत्री, बैदेही। अजामिल ने अपने बालक का नाम नारायण रखा था इसलिए मृत्यु के समय अपने बेटे को नारायण नाम से पुकारने पर मुक्ति को प्राप्त कर भगवान् के धाम को गए। उन्होंने कहा कि हम सबको निष्काम होकर भक्ति करनी चाहिए जिस दिन हम निष्काम हो गए तो भगवान् प्रकट हो जायेंगे l निष्काम होना ही ईश्वर की सर्वोपरि भक्ति है और भागवत जी में निष्काम भक्ति का ही वर्णन किया गया है l रविवार को कथा में महापौर प्रतिनिधि डॉ सुशील तिवारी, जिला अधिवक्ता संघ अध्यक्ष डॉ अंकलेश्वर दुबे, भाजपा नेता नैवी जैन, पार्षद शिवशंकर यादव, बाटू दुबे, श्यामजी दुबे, राकेश चौबे आदि ने पहुंचकर महाराजश्री से आशीर्वाद लिया।
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