मोटा अनाज : सेहत और सामाजिक समरसता का प्रतीक
▪️जागरूकता को लेकर रोटरी क्लब करेगा आयोजन
सागर, 31,जनवरी 2023. मोटा अनाज के उपयोग को लेकर ( Millets Food ) दुनिया में बदलाव आ रहा है। UNO ने वर्ष 2023 को अंतराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है। इसको लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहे है। इसको लेकर रोटरी क्लब और उसके संगठनों ने प्रचार प्रसार अभियान में भागेदारी निभा रहा है। आर.सी.सी. क्लब चैयरमैन रो. वीनू राणा एड,. रो. दिवाकर राजपूत , रोटरी सचिव डॉ. दीपक सिंह , आर.सी.सी. शाहगढ अध्यक्ष मोहित भल्ला , सामाजिक कार्यकर्ता भास्कर रमण, गोपालगंज महिला आर. सी.सी अध्यक्ष विनीता राजपूत ने आज मोटा अनाज को लेकर मीडिया से चर्चा की।
सागर में बड़ा आयोजन
आर.सी.सी. क्लब चैयरमैन रो. वीनू राणा ने बताया कि बुन्देलखण्ड बाजरा अन्न उत्सव 2023 ( Bundelkhand Millets Food Festival 2023) के आयोजन के संबंध मे रोटरी क्लब सागर संख्या , रोटरी. सामुदायिक केन्द्र (RCC), Rotarect Club द्वारा 18 19 मार्च 2023 को रविन्द्र भवन. मे दो दिवसीय आयोजन करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 2018 को Millets का राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया था और तदनुसार संयुक्त राष्ट्र को एक प्रस्ताव भेजा गया था। अब संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को Millet का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है. रोटरी क्लब 1905 से एक अंतरराष्ट्रीय सामाजिक कार्य एजेंसी है। हमने विश्व से पोलियो और अन्य सामाजिक कारणों के लगभग उन्मूलन में काम किया है। सागर मुख्य के रोटरी क्लब में लगभग 100 रोटरी कम्युनिटी कॉर्प्स (आर.सी.सी). रोटरैक्ट और सागर जिले में 980 सदस्यों के साथ इंटरैक्ट क्लब हैं ।(उनमें से ज्यादातर किसान हैं ) बुंदेलखंड मिलेट्स फूड फेस्टिवल 2023 थीम के तहत कृषि और किसान कल्याण विभाग के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए Millets मोटा अनाज पर 02 दिवसीय प्रचार और जागरूकता सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं।
इस संबंध में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ,. कृषि मंत्री श्री कमल पटेल वन मंत्री श्री विजय शाह , सागर कलेक्टर, डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमति नीलिमा गुप्ता, जिला पंचायत CEO, सागर DFO, आदि गणमान्य लोगो को ये पत्र प्रेषित किया।
सेहत और समरसता का प्रतीक मोटा अनाज
प्रो दिवाकर सिंह राजपूत ने कहा कि मोटा अनाज जैसे बाजरा, ज्वार, कोदो कुटकी और शमा आदि सेहत को फायदेमंद तो है ही।इसके साथ ही सामाजिक समरसता भी है । इनकी खेती में किसान सामूहिक निर्णय लेकर करते है। इनके खेती में पानी भी कम लगता है। इसके कई तरह के व्यंजन भी बाजार में उपलब्ध है। यदि इनकी खेती को बढ़ावा मिलेगा तो अंतराष्ट्रीय सतार पर फायदा मिलेगा। अभी भी भारत दुनिया प्रमुख उत्पादक देशों में गिना जाता है।
आर.सी.सी. शाहगढ अध्यक्ष मोहित भल्ला ने बताया कि पहले बुंदेलखंड में इनका प्रचलन में था। लेकिन अब कम हो गया।बदलते दौर में फिर से इनकी मांग बढ़ी है। सामाजिक कार्यकर्ता भास्कर रमन ने बताया कि जनजातीय क्षेत्र में काम किया है। इसमें देशज ज्ञान की परंपरा मिलती है। मोटे अनाज के साथ ही मोटे कंद को भी बचाना है। विनिता राजपूत ने बताया कि 1960 के बाद बदलाव आया है। जिसमे गेंहू और चावल को बढ़ावा मिला। जिसके नुकसान भी है। स्वास्थ्य रखने के लिए इसको प्रचारित करने की जरूरत है।
डा दीपक सिंह ने बताया कि कुछ नीतियों के चलते मोटा अनाज बाहर हो गया और हम दूसरे नुकसानदेह खानपान से जुड़ते चले गए। आज यह मोटा अनाज महंगा बिक रहा है। कुछ अनाज तो जंगलों में उपजता है। फिर भी लोग मंहगा बेच रहे है। इस मौके पर आर के पाठक ने भी अपने विचार रखे।
साइकिल पर निकला प्रचार पर दीवार दास
अयोध्या से पूरे देश में नशामुक्ति और पर्यावरण संरक्षण के लिए साइकिल पर निकले शांतिकुज के दिनकर दास भी अब मोटा अनाज के प्रचारप्रसार में जुड़ गए है। रोटरी क्लब इनके रहने और खानेपीने की व्यवस्था कर रहा है। दिनकर स्कूलों और अन्य संस्थानों में इसका प्रचार प्रसार कर रहे है।
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