डॉ. गौर का शिक्षा प्रदान करने का सपना निरंतर जारी है : केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार
▪️डा गौर विश्वविद्यालय में पहली बार हुआ मेगा एलुमनी का आयोजन
सागर,15 जनवरी ,2023 . (तीनबत्ती न्यूज )। डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के केन्द्रीय विश्वविद्यालय स्थापना दिवस के अवसर पर मेगा अलुमनी का आयोजन किया गया. इस आयोजन के उदघाटन समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में भारत सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने की. इस अवसर पर मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, महापौर संगीता तिवारी, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सुशील तिवारी, बंडा विधानसभा विधायक तरवर सिंह लोधी, विधायक शैलेन्द्र जैन विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए. दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया.
डॉ. गौर का शिक्षा प्रदान करने का सपना निरंतर जारी है- डॉ. वीरेंद्र कुमार
मुख्य अतिथि डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि यह आयोजन एलुमिनी विद्यार्थियों एवं सदस्यों का संगम है। उन्होंने अपने गुरुजनों से एवं विश्वविद्यालय से मिली सीख की यादें ताजा की और कहा कि विश्वविद्यालय के छात्र विविध क्षेत्रों में स्थापित हैं। डॉ गौर का शिक्षा प्रदान करने का जीवन का लक्ष्य निरंतरता के साथ जारी है। उन्होंने कहा कि डॉ गौर वृक्ष रोपित करके गए हैं, जो वट वृक्ष की भांति अपनी छाया हर तरफ फैला रहा है। हमें उनसे सीखना चाहिए कि कैसे हम समाज को कुछ देकर उसका ऋण चुकाने का प्रयास कर सकते हैं।
अपनी स्मृतियों को ताजा करते हुए उन्होंने बताया कि इमरजेंसी के दौरान दीक्षांत समारोह हुआ था और उसके बाद लंबे समय तक दीक्षांत समारोह नहीं हुआ। उनके स्वयं के प्रयास से विवि के अगले दीक्षांत समारोह में माननीय राष्ट्रपति स्वयं उपस्थित हुए। उन्होंने कहा कि पूर्व छात्र की तरह, एलुमिनी के नाते उपस्थित विद्वतजनों को वे सुनना चाहते है। इस आयोजन की शुरुआत के लिए सभी को बधाई दी एवं कहा कि यह शून्य से शुरुआत हुई है जो शिखर तक जाएगी। उन्होंने कहा कि हम इस संकल्प के साथ जाएँ कि अगली एलुमिनी मीट और अधिक सफल हो। उन्होंने कहा कि हम सभी अपने पदों एवं क्षेत्र में रहते हुए विश्वविद्यालय के लिए जो योगदान हो वो करने का संकल्प लें। अपनी क्षमता के अनुसार मैं डॉ गौर को भारतरत्न दिलाने के लिए प्रयास करूंगा।
विश्वविद्यालय के एलुमनी अनमोल खजाने की तरह हैं- कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता
अध्यक्षीय वक्तव्य में कुलपति नीलिमा गुप्ता ने उपस्थित सभी एलुमिनी का स्वागत करते हुए कहा कि इस विवि को 75 साल हो चुके हैं. विश्वविद्यालय के अलुमनी की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। विश्वविद्यालय को अपने सभी एलुमनी के लिए गर्व है। उन्होंने कहा कि डॉ गौर के सपने के कारण ही हम सभी को आज एलुमिनी होने का भी सौभाग्य मिला है । गौर साहब के योगदान को नमन करते हुए अब हम सभी इसके उन्नयन के लिए प्रयास करें। सागर को गौर सिटी बनायें। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के वचन ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के अनुरूप इस शहर को बनाने का लक्ष्य रखे। इस शहर में वह सब हो जो इसको मिनी स्विट्जरलैंड बनाए। उन्होंने कहा कि एल्युमिनी एक छाते की तरह रहते हैं जो हर मौसम में विवि को बचा कर रखते हैं। उन्होंने कहा कि किसी संस्था के एलुमनी एक नायाब हीरे की तरह होते हैं. हमारी कोशिश हो कि हम एक संपन्न एसोसिएशन बना सकें और अगले वर्ष साप्ताहिक आयोजन के लिए प्रयास करें.
विशिष्ट अतिथि सुशील तिवारी ने कहा कि डॉ गौर के प्रेरणादायी किस्से सुनते हुए हमने यहाँ पढ़ाई की है। अपने जीवन में अभिव्यक्ति, शिक्षा, मर्यादा, संस्कार और अनुशासन अपने कार्य में आज जो भी प्रदर्शन कर रहे हैं, जो कुछ भी सीखा है, वो विश्वविद्यालय की देन है। हम सभी विवि के छात्र भावनात्मक रूप से आज भी विवि से जुड़े हुए हैं। हमारे पास विवि से जुड़ी अनगिनत यादें है एवं इसकी उन्नति के लिए छात्र जीवन से हमेशा आगे रहे और आगे भी रहेंगे। देश की राजनीति में सागर विवि के छात्र अपना योगदान दे रहे हैं जो गर्व की बात है। उन्होंने कुलपति को इस आयोजन के लिए ह्रदय से साधुवाद दिया। उन्होंने कहा कि भारत रत्न से गौर साहब का गौरव बढ़ने के साथ-साथ सभी एलुमिनी एवं सागर का गौरव भी बढ़ेगा।
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विशिष्ट अतिथि गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि इस गौरव और अतीत के पन्ने पलटने वाले कार्यक्रम जो पूर्व छात्रों के मिलने का पहला प्रयास है एक स्वागत योग्य पहल है। यह कार्यक्रम आगे जाकर हम सभी के सामूहिक प्रयासों से और सफल होगा। उन्होंने कहा कि ‘आईने वहीं रहते हैं, चेहरे बदल जाते हैं. सभी को अपने पुराने साथियों से मिलने की ललक रहती है। विवि के सभी एल्युमिनी अगर मिल जाएँ तो संख्या बहुत अधिक है जो इस प्रांगण में समा नहीं पायेगी। उन्होंने कहा कि मंच पर बोलने से ज्यादा मिल कर बात करने में ज्यादा अच्छा संवाद होगा। सभी आज के दिन अपने पुराने दिनों को याद करते हुए गुजारें एवं फिर से अपने युवावस्था के दिन को जीवंत करें। उन्होंने इस मीट के लिए कुलपति एवं समस्त टीम का आभार माना एवं इस आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि डॉ गौर को भारत रत्न दिलाने के लिए जब आवश्यकता हो तब वे उपस्थित रहेंगे।
विशिष्ट अतिथि तरवर सिंह लोधी ने कहा कि इस विश्वद्यालय से उन्होंने प्राइवेट बीए किया है। इस विवि के संस्थापक डॉ गौर का बचपन उनके कार्यक्षेत्र में बीता है जो उनके लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई पद नहीं है जिस पर विवि के एलुमिनी पदस्थ न हों। देश विदेश में यहा के एलुमिनी हैं। उन्होंने सभी एलुमनी से अनुरोध किया कि वे डॉ गौर को भारत रत्न दिलाने के लिए अग्रसर हों।
एलुमनी एसोशियेशन के अध्यक्ष प्रो. के एस पित्रे ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि इस तरह के मिलन का यह प्रयास अगले वर्ष और व्यापक स्तर पर किया जाएगा. इसके लिए उन्होंने अलुमनी की संख्या बढाए जाने की जरूरत को रेखांकित किया. अलुमनी एसोशियेशन के सचिव प्रो. जी एल पुणतांबेकर ने कहा कि मीट के माध्यम से संपर्क एवम संबंध बढ़ते है। विभिन्न पदों एवं क्षेत्र के लोग एक साथ बराबरी से एलुमिनी के रूप उपस्थित हैं।
उपस्थित सभी अतिथियों का शाल, श्री फल एवं मेमेंटो भेंट कर सम्मान किया गया। संचालन डॉ. शालिनी चोइथरानी एवं फार्मेसी विभाग की अतिथि शिक्षक ने किया. प्रो. ओ पी अग्रवाल ने आभार ज्ञापन देते हुए कहा कि अगली बार का सम्मेलन और बेहतर रहेगा । यह सपना एक दिन में नहीं पर एक दिन जरूर पूरा होगा.
एलुमनी मीट की स्मारिका का विमोचन
विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और शिक्षकों द्वारा लिखित पुस्तकों का भी विमोचन भी अतिथियों द्वारा सम्पन्न हुआ।
गौर समाधि पर अर्पित की पुष्पांजलि
कैबिनेट मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने गौर समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित किया.
विश्वविद्यालय के नवीन सभागार का हुआ लोकार्पण
विश्वविद्यालय के नवनिर्मित सभागार का लोकार्पण भारत सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ. इस अवसर पर एलुमनी असोशिएशन के अध्यक्ष प्रो. के एस पित्रे, कुलसचिव संतोष सोहगौरा एवं एलुमनी असोशिएशन के विभिन्न पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित रहे.
कैबिनेट मंत्री डॉ. भूपेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम स्थल पर पहुँचकर की पुरा छात्रों एवं शिक्षकों से भेंट
विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ. भूपेन्द्र सिंह आयोजन में पहुचकर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों से मुलाक़ात की और अपने छात्र जीवन की स्मृतियों को ताजा किया.
उन्होंने कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता के साथ भी संवाद किया और कहा कि विश्वविद्यालय के विकास में अपना हर संभव योगदान एवं सहयोग देंगे.इस अवसर पर एलुमनी असोशिएशन के पदाधिकारी, सदस्य एवं कई छात्र-छात्राएं भी मौजूद रहे.
एलुमनी मीट के अवसर पर पधारे विवि के पूर्व छात्र एवं मध्यप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह का शाल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत किया गया। इस अवसर पर सम राज्य मंत्री राजेन्द्र सिंह मोकलपुर को भी शॉल श्रीफल एवं स्मृतिचिन्ह भेंटकर स्वागत किया गया। इस मौके पर सुखदेव मिश्रा, नेवी जैन आदि मोजू रहे।
मातृभाषा में शिक्षा मौलिक सोच को बढ़ाता है- प्रो. राधा वल्लभ त्रिपाठी
▪️केन्द्रीय विश्वविद्यालय स्थापना दिवस पर विशेष व्याख्यान का आयोजन
डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के केन्द्रीय विश्वविद्यालय स्थापना दिवस के अवसर पर भाषा, राजनीति और हमारी शिक्षा नीति विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया. आयोजन में विशिष्ट अतिथि एवं प्रमुख वक्ता के रूप में संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के पूर्व कुलपति प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी उपस्थित थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने की.
प्रो. राधा वल्लभ त्रिपाठी ने कहा कि शोध में भाषा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। शब्द से भाषा ही नहीं बल्कि दुनिया प्रकाशित होती है, इसमें शोध होना चाहिए। उन्होंने पौराणिक कथाओं के उदाहरण के साथ बहुभाषा की परम्परा को बताया, जो इस देश की समृद्धि का सूचक है। औपनिवेशिक काल के समय हमारे देश में एक भाषा की सोच आई. यह एक तंत्री एवं आधिपत्य की सोच थी जिससे विभिन्न भाषा की विचार परम्परा को क्षति पहुंची एवं यहीं से भाषा की राजनीति की शुरुआत हुई। अब हम हमारी शिक्षा नीति के द्वारा बहुभाषिता की फिर से शुरुआत कर रहे हैं । 127 भाषाएं आज संविधान की सूची में आने के लिए प्रयासरत हैं, जिसमें अवधी, भोजपुरी, ब्रज आदि शामिल हैं जो मुख्य भाषा बनना चाहती हैं। बोली, भाषा एवं उपबोली जैसे विभाजन पहले नहीं थी। श्रेष्ठ साहित्य बोलियों में लिखी गई है। मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करना मौलिक सोच को बढ़ाता है जो शिक्षा नीति के माध्यम से लागू होने वाला है। उन्होंने राज्यपाल, कुलपति, योजना, नीति आदि शब्दों की विवेचना करते हुए बताया कि यह शब्द अंग्रेजों द्वारा दिए गए हैं, इनका अर्थ और इनका कार्य नहीं अलग है। यह भाषा और सोच का अंतर दर्शाता है। इसी के कारण हमारी राजनीति एवं शिक्षा प्रभावित होती है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति नीलिमा गुप्ता ने सभी को स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी एवं कहा कि समय के साथ विश्विद्यालय की प्रगति भी सतत चल रही है। 2009 में आज के ही दिन यह केंद्रीय विश्वविद्यालय बनी। इस वर्ष सीयूसीईटी के माध्यम से प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई। विश्विद्यालय इसके साथ अब अपनी राष्ट्रीय छवि बनाने के लिए आगे बढ़ रहा है। हम इसी सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को क्रियान्वयन में ले आए हैं। उन्होंने कहा कि भाषा की उपयोगिता अभियक्ति के समय महत्वपूर्ण होती है। एक नवजात बालक सिर्फ रोना, हंसना और इशारे से बात करता है, अगर भाषा का ज्ञान न हो तो अभिव्यक्ति विकसित नहीं हो पाती है।
संचालन डॉ शालिनी ने किया। डॉ. मिथिलेश चौबे ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के पास एलुमनी के रूप में अमूल्य संपदा है कि हर विषय के व्याख्यान किए जा सकते हैं। कार्यक्रम में ‘अनुवाद की संस्कृति’ अभिषेक दीक्षित एवं ‘कहकशा हूं मैं’ द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर एलुमनी असोशिएशन के पदाधिकारी, सदस्य, शिक्षक, अधिकारी एवं कई छात्र-छात्राएं भी मौजूद रहे.
पूर्व छात्रों ने अपने छात्र जीवन की स्मृतियां को पुनः जिया
एल्युमिनी मीट के तृतीय सत्र में एल्युमिनी ने अपने छात्र जीवन के संस्मरणों को पुनः जीया। सभी उपस्थित एल्युमिनी ने अपने अपने छात्र जीवन से जुड़े कई रोचक किस्से सभी से परिचय सत्र के दौरान साझा किए। इस सत्र की अध्यक्षता आई ए एस अरुण भट्ट ने की एवं कार्यक्रम के दौरान एल्युमिनी प्रो आही, प्रो नवीन कांगो, प्रो जी एल पुणतांबेकर, सलीम अहमद खान, दीपक कुमार, प्रताप सिंह, प्रत्युष शुक्ला, संजय वर्मा, डॉ पंकज तिवारी, डॉ अलीम अहमद खान, राकेश सोनी, देवेंद्र सिंह, आलोक चौबे, भानु राणा, प्रदीप पांडेय, आदि ने अपने छात्र जीवन की यादों को सभा में उपस्थित सभी एल्युमिनी के साथ साझा किया। सभी ने अपने पढ़ाई, प्राध्यापक एवं गुरु जनों के साथ निरंतर होने वाले संपर्क को फिर से उनकी यादों के माध्यम से जीया। इस सत्र का संचालन अमर जैन द्वारा किया गया।
कहना गलत गलत तो छुपाना सही सही सही" कौव्वाली और 'करोगे याद तो हर बात याद आएगी' गजल के साथ एलुमनी मीट की शाम हुई गुलज़ार
डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में पुरा छात्र सम्मेलन के अवसर पर सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया जिसमें संगीत विभाग के विद्यार्थी अपूर्वा भदौरिया शुभनशिता ठाकुर द्वारा गणेश वंदना प्रस्तुत की गई। संगतकार में हारमोनियम पर अतुल पथरोल तथा तबले पर आशुतोष श्रीवास्तव रहे । द्वितीय प्रस्तुति सिद्धार्थ शंकर शुक्ला के सितार वादन की हुई जिसमें तबले पर केशव प्रजापति ने संगत दी। स्तुति खंपरिया ने गजल की प्रस्तुति दी। तबले पर आशुतोष श्रीवास्तव हारमोनियम पर यशगोपाल श्रीवास्तव रहे। श्रीमती संध्या सरवटे द्वारा काव्य पाठ किया गया।
संगीत विभाग के विद्यार्थियों द्वारा कव्वाली प्रस्तुत की गई जिसमें यशगोपाल श्रीवास्तव ,पार्थो घोष, अतुल पथरोल,आलोक मिश्रा, आकाश,निखिल ,गोलू कुशवाहा,आदित्य प्रकाश, पंकज खरारे, आशुतोष श्रीवास्तव , मैकलीन, संगत कलाकरों में ओम भट्ट, गगन राज,
बुंदेलखंड के लोक वाद्यों का आर्केस्ट्रा की प्रस्तुति हुई जिसमें गगन राज, पंकज खरारे, ओम भट्, मेकलिन, शुभम पटेल, देवेंद्र रजक, रिया सेन, यशस्वी गौंड, अंशुल ने प्रस्तुति दी । विश्वविद्यालय के डीन अकादमिक प्रो नवीन कांगो ने करोगे याद तो हर बात याद आएगी ग़ज़ल प्रस्तुत की।
अंत में रोहित रजक के मार्गदर्शन में शुभम पटेल, रितिका सेन , अमन ठाकुर, संजू आठिया, अखलेश तिवारी, भूमि बाथरी, अपर्णा सोनी ने बधाई प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का संयोजन डॉ अवधेश प्रताप सिंह तोमर के साथ डॉ राहुल स्वर्णकार ने किया। सांस्कृतिक परिषद से डॉ राकेश सोनी के विशेष सहयोग के साथ माउथ ऑर्गन एक गीत प्रस्तुत किया। मंच संचालन डॉ अवधेश तोमर ने किया। समस्त संयोजन एलुमनाई एसोसिएशन के सचिव प्रो पुणतांबेकर के मार्गदर्शन में हुआ। सांस्कृतिक संध्या में विश्वविद्यालय के अधिकारी, कर्मचारी एवं शिक्षकों की उपस्थिति के साथ सागर एवं पूरे देश से पधारे पुरा छात्र समूह ने कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया ।
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