एमपी में तीसरे राजनैतिक विकल्प के हालात : पूर्व IAS वरद मूर्ति मिश्रा
◾बुंदेलखंड अंचल आज भी उपेक्षित
सागर। पूर्व आईएएस वरदमूर्ति मिश्रा का मानना है की मध्यप्रदेश में तीसरे राजनैतिक विकल्प की जनता को तलाश है। इसे हालात बने हुए है। उनकी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लडेगी। अभी पार्टी के गठन की प्रक्रिया चल रही है। प्रदेश के पुराने ब्यूरोक्रेट्स और कुछ अच्छे लोग उनके संपर्क में है। आने वाले समय उनकी रणनीति सामने होगी।
भोपाल में पिछले दिनों मीडिया के सामने नई पार्टी बनाकर राजनेतिक मैदान में उतरने का ऐलान कर चुके आईएएस वरदमूर्ति मिश्रा ने
हाल ही में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है वे मध्यप्रदेश के रहने वाले है और गौर विवि सागर के पूर्व छात्र रहे है। उन्होंने आज सागर में मीडिया से चर्चा में कहा कि पूरे प्रदेश का अभी दौरा कर रहा हू। अभी तक 11 जिलों में मीडिया के जरिए संवाद किया है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड अंचल के लोग स्वाभिमानी और मेहनती है लेकिन विकास की दृष्टि से अभी पिछड़े इलाको में गिना जाता है।
उन्होंने आंकड़ों के जरिए बताया की मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य ,शिक्षा ,रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाएं को लेकर हालत बदतर है। भाजपा पिछले कई सालों से शासन कर रही है, लेकिन आज भी किसान बदहाल है। स्वास्थ्य सेवाओं में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। प्राथमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा की स्थिति भी ठीक नहीं है।
मिश्रा ने कहा कि प्रदेश सरकार पर 3.12 लाख करोड़ का कर्ज हो चुका है। जबकि सरकार का कुल बजट ही 2.90 लाख करोड़ है। प्रदेश पर अपने बजट से ज्यादा कर्ज है। सरकार वर्तमान में जो कर्जा ले रही है, उससे केवल ब्याज ही चुकाया जा सकता है। इससे बड़ी सरकार की कोई नाकाम नहीं हो सकती है। प्रदेश में बेरोजगारी के सरकारी आंकड़ा देखे तो 30 लाख का है। अन्य रिपोर्टों के आधार पर ज्यादा है। बेरोजगारी के चलते 70 लाख परिवारों पर आजीविका का संकट बना हुआ है । जबकि एक लाख शिक्षक के पद खाली ही। 45 फीसदी निचले स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों के और डाक्टर 82 फीसदी पद खाली पड़े है। इस तरह की कई क्षेत्रों में हालत है। सरकार की मंशा ही नहीं दिखती ।
उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान में राजनैतिक परिस्थितियां बहुत ही निराशाजनक हो चुकी है। सत्ता में शीर्ष पर बैठे लोगों की प्रशासनिक समझ में कमी और दूरदर्शिता के अभाव के कारण आज पूरे मध्य प्रदेश का विकास बाधित हो रहा है। उनकी कमजोर सोच और प्राणासनिक अक्षमता की वजह से मध्य प्रदेश की जनता को सजा भुगतनी पड़ रही है। वर्ष 2000 के उपरांत अपने पुनर्गठन के बाद से मध्य प्रदेश की किसी भी सरकार ने जनता से जुड़े मूल मुद्दों पर काम नहीं किया। वर्तमान सरकार तो हर मोर्चे पर विफल है। मध्य प्रदेश के किसान संकट में है। शिक्षा व्यवस्था का हाल बेहाल है। मध्य प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि देखी जा रही है। प्रति व्यक्ति आय में प्रदेश सबसे कम आय वाले राज्य में शामिल है। स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। जनता आज पेयजल व बिजली संकट से जूझ रही है। मध्य प्रदेश में आर्थिक तंगी की वजह से आत्महत्या के भी प्रतिदिन मामले सामने आ रहे हैं। सामूहिक आत्महत्या जैसी घटनाएं भी सामने आ रही है। कुपोषण से हर रोज बच्चे मर रहे हैं। लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। आज प्रदेश में संचालित की जा रही छोटी से लेकर बड़ी सभी योजनाओं में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। प्रतियोगी परीक्षाओं व नौकरियों में भी भ्रष्टाचार के अनेको मामले सामने आए हैं। इसके अलावा नागरिक सुरक्षा नागरिक सुविधाएं, नागरिक सम्मान, महिला सुरक्षा, जनजागृति नागरिक समझ विकसित करना, नागरिक अधिकार संपन्नता, वैयक्तिक सम्मान जैसे बुनियादी मुद्दों पर ठोस और गुणवत्तापूर्ण काम नहीं हुआ। जनता के लिए विधि के शासन की जगह प्रदेश मे आज नेताओं और अफसरों के गठजोड़ का शासन स्थापित हो चुका है।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान लगातार मौते हो रही थी, उस दौरान भी सरकार की कोई कार्ययोजना नजर नहीं आई। सरकार की नाकामियों की वजह से मध्य प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो चुकी है। प्रदेश की वित्तीय स्थिति भी असंतुलित हो चुकी है। सालाना बजट से भी ज्यादा के ऋणभार का बोझ आज जनता के ऊपर है।
प्रदेश के समग्र विकास हेतु अब तक राज करती आई पिछली सभी सरकारों की ना तो नियत दिखी ना ही कोई प्रभावी नीति। वास्तव में आज की सरकार विकास के किसी भी मानक पर खरा उतरते नहीं दिख रही है। मध्य प्रदेश के लोगों की अपनी पहचान संस्कृति पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े हो गए हैं। यहां आज विकास एवं नागरिकों को मजबूत करने वाले बदलाव की सख्त जरूरत है। मध्य प्रदेश के अन्दर एक ऐसी व्यवस्था की जरुरत है जहाँ सभी के सपने पूरे हों, जहाँ समरसता हो और जहाँ कानून सबके लिए एक जैसा हो। एक ऐसा समाज जो संविधान में वर्णित कल्याणकारी राज्य के मानकों पर खरा उतरे।
नए बदलाव की जरूरत
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की सियासत में नए विचारों, नीतियों और एक नई विचारधारा की जरूरत है। मध्य प्रदेश को एक नए व प्रभावी विकल्प की तत्काल आवश्यकता है जो मध्य प्रदेश के अंदर से ही आना चाहिए क्योंकि मध्य प्रदेश की अस्मिता, स्वाभिमान व सम्मान को केवल मध्य प्रदेश का व्यक्ति ही भलीभांति समझ सकता है, कोई बाहरी नहीं। विकल्प का स्थानीय होना भी आवश्यक है ताकि जनता मौका आने पर संकल्पित विकल्प से आमने-सामने होकर बात कर सके, प्रश्न पूछ सके और मीडिया के साथ सीधा संवाद स्थापित कर सके। मिश्रा ने कांग्रेस की 15 महीने की सरकार के कामकाज पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भी जनता की भलाई के लिए कोई काम नहीं किया।