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SAGAR: नाबालिग के साथ बलात्कार के आरोपी को 20 साल की सजा

SAGAR: नाबालिग के साथ बलात्कार के आरोपी को 20 साल की सजा


सागर । नाबालिग के साथ बलात्कार करने वाले आरोपी अशोक कोल पिता बन्नी कोल (आदिवासी) को विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) एवं नवम अपर सत्र न्यायाधीश, श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा- 5 (स) सहपठित धारा 6 के अंतर्गत 20 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 8000-/रूपये अर्थदण्ड से दंडित किया है मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक(अभियोजन) श्री धमेन्द्र सिंह तारन  के मार्गदर्शन में विशेष लोक अभियोजक श्री मनोज कुमार पटैल ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि अभियोक्त्री की मॉ ने उसके गुम होने की रिपोर्ट दिनॉक-12.09.2019 को लेख कराई कि दिनॉक 05.09.19 की रात करीब 12 बजे वह उसके घर के सामने गणेश जी के यहॉ बैठी थी , अभियोक्त्री घर आ गई थी थोड़ी देर बाद जब वह घर आई तब अभियोक्त्री घर पर नहीं मिली एक बच्चे ने बताया कि अभियोक्त्री व आरोपी अशोक गली में खड़े बात कर रहे थे फिर उसने पड़ोस में आरोपी अशोक के बहिन बहनोई के यहॉ जाकर के अभियोक्त्री की तलाश की तो वहॉ अभियेक्त्री नहीं मिली । दिनॉक- 27.12.2019 को अभियोक्त्री के दस्तयाव होने पर उसने बताया कि घटना गणेश उत्सव के समय की रात के 12-1 बजे की है। घटना वाले दिन उसके मम्मी-पापा गणेश उत्सव में गये थे, घर पर वह अकेली थी जब वह घर के पीछे बाथरूम करने को गई थी, तब आरोपी अशोक वहा आया और उससे कहा कि तू चिल्लाई तो मार दूंगा और उसे जबरजस्ती खचोड़कर ग्राम बड़ोरा ले गये था। आरोपी अशोक ने चिल्लाने पर मार देने की धमकी दी थी। आरोपी अशोक उसे 3 माह तक वहां रखे रहा था। आरोपी अशोक ने उसे जंगल ले जाकर उसकी मारपीट की थी और उसे बेच देने का कहा था। जब वह आरोपी अशोक से घर जाने का कहती थी, तो वह कहता था कि घर जाने का नाम लिया, तो उसे मार के फेंक देगा । उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये , घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-राहतगढ़ द्वारा भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 363, 366 ,376(3), 376(2)(एन), 506(भाग-दो) एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 5 (स) सहपठित धारा 6, धारा-3 सहपठित धारा 4(2) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, एवं अंतिम तर्क के दौरान न्यायदृष्टांत प्रस्तुत किये गये और अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) एवं नवम अपर सत्र न्यायाधीश, श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुये लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा- 5 (स) सहपठित धारा 6 के अंतर्गत 20 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 8000-/रूपये अर्थदण्ड से दंडित किया है। 
                                                                                               
देवरी : नाबालिग से छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को 05 वर्ष का सश्रम कारावास

सागर । नाबालिग से छेड़छाड़ करने वाले आरोपी पप्पू उर्फ तुलसीराम पिता नन्हेभाई सकवार को न्यायालय विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) एवं अपर सत्र न्यायाधीश, तह. देवरी जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा-9/10 के तहत 05 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000/- रूपये अर्थदण्ड एवं भा.द.वि. की धारा- 451 के तहत 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000/- रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया। मामले की पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी, श्री लक्ष्मी प्रसद कुर्मी ने की ।
घटना संक्षेप में इस प्रकार है कि अभियोक्त्री की मॉ ने दिनॉक 25.12.21 को थाना देवरी में रिपोर्ट लेख कराई कि उसकी बेटी जिसकी आयु 08 वर्ष की है घटना दिनॉक 25.12.21 की रात्रि करीब 08 बजे घर पर परिवार के साथ खाना खा रही थी अचानक लाईट चली गई थोड़ी देर में मोहल्ले का पप्पू उर्फ तुलसीराम सकवार जिसका उसके घर में उठना बैठना था आया और मेरी बेटी को अपने पास बुलाया जब मेरी बेटी उसके पास गई तो आरोपी पप्पू उसके साथ गलत हरकत कर रहा था वह दौड़कर बेटी के पास गई और चिल्लाया तो आरोपी पप्पू घर से बाहर भाग गया। थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-देवरी द्वारा धारा- 376(ए)(बी) 450,एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम धारा-5/6  का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) एवं अपर सत्र न्यायाधीश तह. देवरी जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा-9/10 के तहत 05 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000/- रूपये अर्थदण्ड एवं भा.द.वि. की धारा- 451 के तहत 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000/- रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।

       






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