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श्री गणेश संस्कृत विद्यालय गढ़ाकोटा की सनातन समाज का आधार स्तम्भ : राजेन्द्र दास महाराज ▪️रसिक देव जू समाधिस्थल पर सत्संग समाज गायन में देशभर से संतों का हुआ आगमन

श्री गणेश संस्कृत विद्यालय गढ़ाकोटा की सनातन समाज का आधार स्तम्भ : राजेन्द्र दास महाराज 


▪️रसिक देव जू समाधिस्थल पर सत्संग समाज गायन में देशभर से संतों का हुआ आगमन 




गढाकोटा। गढ़ाकोटा के स्टेडियम  में चल रही श्रीमदभक्त माल कथा के पांचवें दिन कथा में श्रद्धालुजन भाव विभोर होकर कृष्ण जन्म पर नृत्य करते नजर आ रहे थे।पूज्य राजेन्द्र दास महाराज ने कई भक्तों के दृष्टांत बताते हुए भक्ति का मार्ग प्रशस्त किया।श्री गुरु बतायो धाम निष्ठा का स्वरूप है।इसलिए दास तो ऐसा मानता है कि भगवत रसिक जी बृंदाबन से कभी बाहर नही गये।बृज की प्राचीन लताएँ प्रकट हो गये।कोकिल क़ीर चकोर प्रकट हो गये।हम सबका हृदय ऐसा बन जाये कि जब बृंदाबन जाये तो वहाँ रहे ततपश्चात कही बाहर जाये भी तो हमारा चित्त बृंदाबन में ही रमा रहे।ललित मोहिनी देवी ,नरहरि स्वामी,सहित अनेक महापुरुष यहां जन्मे।महद पुरुषों का धरती पर विचरण दीन हीन जनों के कल्याणार्थ होता है।सन्त जन केवल मनुष्य नही अपितु पशु पक्षियों पर भी कृपा बरसाते है।




"बालापन से हरी भजे,जग से रहे उदास।तीर्थ आशा करत है कब आये हरिदास"वह अतीर्थ को तीर्थ और तीर्थ को सुतीर्थ बना देते है।ऐसे भगवन हरिदास सन्त आचार्य का प्रभाव होता है।रसिक भाव से कथा का श्रवण करने प्रतिदिन हजारों भक्तोँ की संख्यां बढ़ती जा रही है।मोहनदास जी निवेदन किया कि आप इस मार्ग से न जाये यहां नरभक्षी शेर रहता है इसलिए इस जंगल मे मनुष्य नही जाते है।इस पर भगवत रसिक जी ने कहा कि आप लोग भय मत खाये।भजन करने का प्रभाव सिर्फ मनुष्य नही अपितु दुष्ट से दुष्ट नरभक्षी जीव पर भी पड़ता है।

नाम जपत दशो दिशो।आप सब भजन के प्रभाव को देख लो।आज सिंह को हरी के शरणागत बनाना है।उस जमाने मे लाखों का वैभव त्यागकर गये थे।ऐसे वीतराग महापुरुष जब बृंदाबन में चलते है तो लगता है वैराग्य धारण कर देव चल रहे हो।

एक गृहस्थ ब्राह्मण भजन में लीन थे तभी एक विषधर शरीर पर लिप्त गया।भजन करते करते वह सभी जीव जंतु बापिस लौट गये।नारायण महाराज आये और बोले कि आपकी भजन ठाकुर जी को समर्पित हो गए।भगबत सेवा भजन करते समय अपनी सुधबुध खो जाना ही सच्ची भक्ति का मार्ग है। कथा सुनने में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ शामिल थी।
शाम 7 बजे से चित्र विचित्र की भजन संध्या का आयोजन किया गया।
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