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सुदामा के चावल' की प्रस्तुति के साथ अथग का नाट्योत्सव सम्पन्न

'सुदामा के चावल' की प्रस्तुति के साथ अथग का नाट्योत्सव सम्पन्न


सागर।  रंगकला बहुत प्राचीन कला है और इसके संरक्षण संवर्धन का काम होना चाहिए।  अन्वेषण थिएटर ग्रुप इस दायित्व का संवरण कर इस कार्य को बखूबी कर रहा है यह बहुत अच्छी बात है। उक्त बात भोपाल से पधारे लोक संस्कृति एवं साहित्य मनीषी पद्मश्री डॉ. कपिल तिवारी ने कही। उन्होंने रंगकला के इतिहास, वर्तमान स्थिति आदि पर विस्तार से चर्चा की। पद्मश्री डॉ. तिवारी अन्वेषण थिएटर ग्रुप के तीन दिवसीय नाट्य उत्सव के अंतिम दिन अन्वेषण के स्थापना दिवस पर 'रंगबोध' विषय पर अपना वक्तव्य दे रहे थे। सर्वप्रथम कार्यक्रम में उपस्थित सागर लोकसभा क्षेत्र के सांसद माननीय राजबहादुर सिंह, महापौर श्रीमती संगीता तिवारी, महापौर प्रतिनिधि श्री सुशील तिवारी, पद्मश्री डॉ. कपिल तिवारी एवं अन्वेषण के पदाधिकारियों द्वारा मां सरस्वती का पूजन किया गया। तत्पश्चात अन्वेषण के 30 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में 30 दीपों का प्रकाश किया गया। इसके बाद अन्वेषण की ओर से समस्त अतिथियों का सम्मान किया गया। इस मौक़े पर 'अन्वेषण के तीन दशक' नाम से प्रकाशित एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया जिसमें अन्वेषण की इस 30 वर्षीय रंगयात्रा के बारे में सचित्र उल्लेख के साथ ही विभिन्न विद्वानों के आलेख, दर्शकों की प्रतिक्रियाओं आदि को शामिल किया गया है। कार्यक्रम में अन्वेषण थिएटर ग्रुप की ओर से भी अन्वेषण की 30 वर्षीय यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया गया। मंच संचालन आशीष चौबे और सतीश साहू ने किया।

         कार्यक्रम की आरंभिक औपचारिकताओं के बाद अन्वेषण थिएटर ग्रुप के कलाकारों ने जगदीश शर्मा के निर्देशन में प्रोफ़ेसर वसंत देव द्वारा लिखित नाटक सुदामा के चावल का मंचन किया। इस नाटक के संवादों पर जहां दर्शकों ने हास्य रस का आनंद लिया तो वहीं इसके व्यंगात्मक संवाद वर्तमान व्यवस्था की धज्जियां भी उड़ाते नज़र आए। नाटक के बारे में निर्देशक जगदीश शर्मा ने बताया कि नाटक के नायक कृष्ण है जो अपने बालसखा सुदामा की दरिद्रता को देख कर रो पड़े और मित्रधर्म को ऐसी गरिमा के साथ निभाया कि आज भी कृष्ण-सुदामा की मित्रता का उदाहरण दिया जाता है। वर्तमान परिस्थितियों में यह मित्रता दिखाई नहीं देती। नाटक में इसी पौराणिक चरित्र सुदामा के माध्यम से आज के इंसान के दोहरे चरित्र की तरफ इशारा किया गया है। उपस्थित दर्शकों ने नाटक का भरपूर आनंद लिया। मंच पर अभिनय करने वाले कलाकारों में पंडित सुदामा के रोल में नाटक के निर्देशक जगदीश शर्मा, पंडिताइन सावित्री के रोल में दीपगंगा साहू, द्वारपालों के रोल में डॉ. अतुल श्रीवास्तव, सतीश साहू राजीव जाट, सूत्रधार के रूप में रवीन्द्र दुबे कक्का, शैडोप्ले में प्रवीण केम्या और अश्वनी साहू, सजीव लोकगीत गायन और नृत्य दल में लीलाधर रैकवार, अमर रैकवार, खेमचंद सेन और रंजीत रैकवार शामिल रहे। मंच परे के कार्यों में सैट पर राजीव जाट, लाईट्स पर संदीप बोहरे एवं कपिल नाहर, ध्वनि प्रभाव संचालन में मनोज सोनी और रूप सज्जा का काम करिश्मा गुप्ता ने देखा। कार्यक्रम के अंत में अन्वेषण के सचिव डॉ. अतुल श्रीवास्तव ने अन्वेषण के विषय में जानकारी देते हुए इस तीन दिवसीय नाट्य उत्सव में पधारे सभी अतिथियों, दर्शकों, वक्ताओं, कलाकारों एवं प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से समारोह से जुड़े सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। अन्वेषण के नाट्य उत्सव के अंतिम दिन इसके स्थापना दिवस पर सभागार में बड़ी संख्या में रंगकला के गणमान्य दर्शक उपस्थित रहे।



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एडिटर: विनोद आर्य
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