अग्नि को देवताओं का मुख माना जाता है : राजेन्द्र दास महाराज
▪️प्रतिदिन कथा स्थल पर श्रद्धालुओं को मिल रहे दुर्लभ संतों के दर्शन
सागर। सागर जिले के गढ़ाकोटा में कथा के छठवें दिन गोपाल जी खेल परिसर कथा स्थल से पूज्य रसिक प्रवर्धक मलूकपीठाधीश्वर राजेन्द्र दास महाराज ने मंच से सभी विराजमान संतों और महंतों को यथायोग्य प्रणाम करते हुए आज की कथा का शुभारंभ करते है।अध्यक्षता परमहंस पूज्य किशोर दास देव जू गोरेलाल कुंज,बृंदाबन,निर्देशन पूज्य रामानुगृहदास महाराज अजब धाम छोटे सरकार का मिल रहा है।बृज के संतों के द्वारा एक माह का नन्दोत्सव मनाया जाता है।काल का समय नियत होता है।पंचांग के गणित को आप बदल नही सकते नही तो पूरी व्यवस्था बदल जायेगी।चार याम का दिन होता है और चार याम की रात।रात को त्रियामी भी कहा गया है।अग्नि देवताओं का मुख होने के कारण अग्नि में ही आहुति दी जाती है।धुंआ जिस अग्नि में उठ रहा हो।उसमें आहुति देना उचित नही है।इसलिये प्रचंड अग्नि में आहुति देना चाहिए।पूज्य राजेन्द्र दास जी ने आगे भक्तों को उपदेश में कहा कि महर्षि मार्केंडेय जी ने प्रचंड अग्नि में आहुति दी जो जल नही पाई थी और देखते ही देखते जल से हाहाकर हो गया: बट के पत्ते पर एक बालक तैरता हुआ अंगूठा चूस रहा था।यह और कोई नही देवता है।हमको जो अनुभव हुआ वह सच था या झूठ।
आज श्री मद भागवत श्री भक्त माल कथा में नगर के 175 यजमानो ने पूजन किया।प्रातःकाल से कथा में शामिल यजमान परिवार सहित पूजन कार्य विद्वान पंडित आचार्य द्वारा सम्पन्न कराये गये।रसिक बिहारी धाम समाधि स्थल पर दूरदराज के स्थलों से सन्त महात्मा एवं कई जनप्रतिनिधि,प्रशासनिक अधिकारी,सनातन प्रेमी और श्री हरिदास के अनुयायी अनन्य भक्तों का तांता लगा हुआ है।कार्यक्रम स्थल के समीप मेला लगाया गया है।शादीघर में सन्त निवास में श्रद्धलुओं की भीड़ गुरुवर के दर्शनार्थ पहुँच रही है।कथा स्थल के मंच से पधारे समस्त सन्त आचार्यों का स्वागत संयोजक अभिषेक भार्गव ने किया।प्रतिदिन कथा आयोजन व भजन सँध्या का संचालन राजेन्द्र जारोलिया और विक्की जैन द्वारा किया जा रहा है।
परमहंस मुक्तानन्द स्वामी अमृत झिरिया का हुआ आगमन.
स्वामी मुक्तानन्द जी महाराज अमृत झिरिया का पटेरिया जगदीश शाला में आगमन हुआ।पंडित अभिषेक भार्गव ने पूजन आरती करके आशीर्वाद लिया।जगदीश शाला के महामंडलेश्वर हरिदास जी महाराज मौजूद थे।भक्तों को बताया कि ध्यान कि कला विकसित हो भ्रान्ति हटाकर भीतर क्रांति करो मुक्तानन्द जी मानस की चौपाइयों का गूढ़ अर्थ समझाया प्रणय के रूप में कृष्ण विराजमान हैं।युद्ध करो माने साधना करो निर्वाणी मुद्रा या खेचरी मुद्रा करें अमृत झिरिया को व्यावहारिक विधि से मुद्रा लगवा कर ओम अमृत निर्झर बताया " निर्वाणी मुद्रा " लगवा कर समझाया नाद सृष्टि गुरु ज्ञान सेभीतर अधर्म बढ़े तो ओम नाम खेचरी मुद्रा में करें गीता से,ओम एक अक्षर ब्रह्म है कृष्ण सदगुरु ओम की साधना करो,अर्जुन से कृष्ण ने कहा यज्ञ जप सबसे बड़ा यज्ञ है।
भक्तों को नित्य सन्त समागम का मिल रहा लाभ.
प्रतिदिन आयोजन स्थल पर कथा के श्रवण में वृन्दाबन सहित प्रमुख धार्मिक क्षेत्रों के सन्त महात्मा, महन्त ,महामंडलेश्वर,शंकराचार्य, एवं श्री हरिदास सत्संग में पूज्य महामंडेलश्वर हरिदास महाराज जगदीश शाला, हनुमान दास महाराज महन्त उदयवीर मंदिर इंदौर,जगदीश दास नागा जी मल्लरगढ़,घनश्याम दास महाराज, रामबाग साग़र,सीताराम त्यागी जी बरभान घाट,महन्त कमलापत महाराज गुदर शाला,आदि सन्त समाज प्रमुख स्थलों से आगमन हो रहा है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें