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.. कभी है ज्ञात ज़्यादा तो कभी अज्ञात ज़्यादा है....अंकिता सिंह▪️प्रवाह द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने बांधा समां

.. कभी है ज्ञात ज़्यादा तो कभी अज्ञात ज़्यादा है....अंकिता सिंह

▪️प्रवाह द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने बांधा समां


सागर।सांस्कृतिक साहित्यिक सामाजिक गतिविधि मंच प्रवाह द्वारा रविवार की शाम मकरोनिया चौराहा स्थित गौर स्मृति द्वार के पास विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया कार्यक्रम में देश के अलग-अलग कोनों से आए जाने-माने कवियों ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर थे इसके अलावा एसबीएन कॉलेज के कुलपति अनिल तिवारी सहित कई गणमान्य लोगों ने कार्यक्रम में शिरकत की कार्यक्रम में उपस्थित वरिष्ठ जनों द्वारा दान भी डॉक्टर गौर के जीवन पर अपने अपने अनुभव साझा किए वही प्रवाह संस्था के अध्यक्ष संतोष रोहित ने भी कविता की कुछ पंक्तियों के माध्यम से गौर साहव को श्रद्धांजलि अर्पित की।




वही मकरोनिया क्षेत्र की जानी-मानी साहित्यकार सुश्री शरद सिंह और जाने-माने शायर अशोक मिजाज को साहित्य पुरोधा सम्मान से भी नवाजा गया,इसके अलावा समाजसेवी गुलजारीलाल जैन और इंजीनियर प्रकाश चौबे को उनके द्वारा किये गए कार्यो पर मंच द्वारा सम्मानित किया गया कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे देश के जाने-माने कवि विष्णु सक्सेना,इकबाल अशहर,अंकिता सिंह,नरेंद्र अकेला,दीपक दनादन पूनम मिश्रा,कपिल चौबे सहित भावना बडोनिया ने अपने काव्य पाठ से श्रोताओं को बांधे रखा। डॉ विष्णु सक्सेना द्वारा सुनाई गई गजलें और सौंदर्य गीतों पर श्रोता झूम उठे.....डॉ विष्णु सक्सेना के के गीत..थाल पूजा का लेकर चले आइए और हमें कुछ खबर नहीं है हम क्यो बहक रहें है..जैसी अनेक रचनाओं ने खूब तालियां बटोरी,वही उर्दू के जाने-माने शायर इकबाल अशहर ने..मैं उठ गया हूं मुसल्ले से कुछ भी मांगे बगैर,मुझे लगा कि ये आशु दुआ से बेहतर है.. रुकी रुकी सी नजर आ रही है नब्जे हयात,ये कौन उठके गया है मेरे सिरहाने से,न जाने कितने चरागों को मिल गई शोहरत, एक आफताब के बेवक्त डूब जाने से.गजल ने खूब वाहवाही लूटी.. अंकिता सिंग,की रचना,किसी की आंख में सूरज किसी मे रात ज्यादा है,कही जज्बात ज्यादा है कही पर बात ज्यादा है,गडित सी जिंदगी है और मुश्किल प्रश्न है इसके,कभी है ज्ञात ज्यादा तो कभी अज्ञात ज्यादा है।


इसके अलावा नरेन्द्र अकेला, दीपक दनादन के हास्य व्यंग्य,कपिल चौबे,भावना बड़ोदिया सहित संतोष रोहित मित्र ने अपनी रचना से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में  औंकार सिंह, शैलेन्द्र ठाकुर अनुराग प्यासी, पूर्व नपाध्यक्ष सुशीला रोहित, इंदु चौधरी, सुषमा यादव, डॉ विवेक तिवारी, पप्पू फुसकेले, नीलेश राय संस्था के डाॅ मनीष मिश्रा, एडवोकेट राजेश दुबे, तीरथ सिंह ठाकुर देवेश नीखरा, वकील चंद गुप्ता अजय मौर्य सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।

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एडिटर: विनोद आर्य
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