सागर में हृदय की बीमारियों के एक नए इलाज की खोज : डा सर्वेश जैन
सागर। भारत में हृदय रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही,जिसमे शामिल है वो मरीज जो हार्ट अटैक के साथ अस्पताल पहुंचते है या जिनको चलने में छाती में दर्द या सांस फूलना होता है। दोनो किस्म के मरीजों के दर्द में कमी लाई जा सकती है ,एक किस्म का नर्व ब्लॉक लगाकर ।
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर के प्रोफेसर डा सर्वेश जैन का कहना है की लाइग्नोकेन या सुन्न करने की दवा यदि शरीर के कुछ चिन्हित स्थानों पर सूई से लगाए तो छाती में दर्द को तुरंत फायदा मिलता है।
इसको डीएससीबी ब्लॉक कहते है,यह सीखने में आसान तरीका है जिसमे सुई लगाने के पंद्रह मिनट बाद से ही मरीज कंफर्टेबल और सामान्य हो जाता है,कोरोनरी आर्टरी डिजीज अर्थात हृदय की नली में रुकावट , एंजिना आदि के मरीज तुरंत ठीक हो जाते है। ऐसा होता है न्यूरल थेरेपी के सिद्धांतो का पालन करने से । यह एक पुराना जर्मन तरीका है दर्द संबंधी बीमारियों का ।हालांकि वर्तमान काल में इसको भुला दिया गया है । डा जैन ने बताया की बिलकुल थोड़ी सी मात्रा में सुन्न की दवाई इंजेक्ट करने से दर्द बंद हो जाता है जिससे मरीज की बदहवासी एवम घबराहट कम हो जाती है और नॉर्मल होते पल्स बीपी के साथ मरीज शीघ्र ही सामान्य हो जाता है । और जो मरीज क्रोनिक स्टेबल एंगिना से पीड़ित रहते है और चलने पर छाती में दर्द और सांस फूलना होता है ,वो भी ठीक हो जाते है । मृत्यु दर पर पड़ने वाले फर्क को लेकर डा जैन का कहना है ,यदि उच्च स्तर पर शोध किया जाए तो इसलिए तरीके से हृदयाघात से मरने वाले मरीजों को दर में कमी लाई जा सकती है।वर्तमान में वातावरण में भारी धातुएं ,प्रदूषण और पेस्टीसाइड के अंधाधुंध प्रयोग से हृदय की बीमारियों में इजाफा हुआ है,उसका प्रचलित इलाज के बाद भी मृत्यूदर ज्यादा है ।
इस ब्लॉक की शुरुआती करी ललितपुर यूपी के डा अरविंद दिवाकर जैन एवम केरल के डा एल प्रकाश ने ।
सागर में साईटिका,गर्दन दर्द के मरीजों में पिछले छह महीने से सफलता पूर्वक प्रयोग कर रहे प्रोफेसर जैन ने इसको छाती के हृदयजनित दर्द में उपयोग किया तो चमत्कारिक रिजल्ट मिले।यह ब्लॉक थोड़ी देर के लिए ब्रेन में जाने वाली दर्द की सूचना को रोक देता है ,जिससे पेन की बारबार होने वाली विशियस साइकिल ब्रेक हो जाती है,इतनी देर में शरीर जिसकी खुदको ठीक करने की असीमित क्षमता होती , अपने आप को और हृदय को दुरुस्त कर लेता है। जिन जगहों पर सूई लगाई जाती है वो तीन पूर्व निर्धारित प्वाइंट रहते है। यह नुस्खा न केवल अटैक में बल्कि छाती के अन्य दर्द की स्थिति में भी कामयाब रहता है।यह सीखने में आसान है ताकि हर डॉक्टर और नर्स यह ब्लॉक लगा सके । यदि मरीज तुरंत अस्पताल पहुंच जाए तो हार्ट को होने वाला नुकसान बहुत कम होता है।अभी तक के प्रयोग में थोड़ा सा बीपी कम होने के अलावा कोई साइड इफेक्ट नहीं पाया गया । शासन से मांग है कर की शोध के लिए फंड देकर इस अवधारणा की पूर्ण विवेचना की जाए।
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