साहित्यकार स्व. डॉ.महेश तिवारी की जन्म जयंती पर हुआ उनकी अंतिम पुस्तक का विमोचन
सागर। नगर के ख्यात साहित्यकार, समालोचक स्व. डॉ. महेश तिवारी की जन्म जयंती पर उनके द्वारा लिखी गई अंतिम पुस्तक "केदारनाथ अग्रवाल का काव्य" का विमोचन रविवार को आदर्श संगीत महाविद्यालय के सभागार में संपन्न हुआ। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष डॉ. तिवारी के आकस्मिक निधन उपरांत यह पुस्तक देश के प्रतिष्ठित वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुई थी।
पुस्तक पर अपने समीक्षा आलेख का वाचन करते हुए वरिष्ठ लेखिका एवं आलोचक डॉ (सुश्री) शरद सिंह ने कहा कि "मुझे इस पुस्तक में ऐसा कोई तत्व नहीं मिला जिसके कारण मुझे आलोचकीय कठोरता बरतनी पड़े। यह पुस्तक कवि केदारनाथ अग्रवाल की काव्य विशेषताओं को सहजता, सरलता, रोचकता और बड़े ही चातुर्यता से प्रस्तुत करती है। इस एक पुस्तक को पढ़ कर ही केदारनाथ अग्रवाल के विचारों और उनकी कविताओं को भंली-भांति समझा जा सकता है। इस दृष्टि से यह पुस्तक न केवल पठनीय अपितु संदर्भ ग्रंथ के रूप में संग्रहणीय भी है।"
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नगर विधायक शैलेंद्र जैन ने स्व.तिवारी को सहृदयी मित्र बताते हुए कहा कि राजनीतिक संबद्धता पृथक होने के वाबजूद उनके साथ अलग विचार धारा होने संबंधी बात कभी नहीं आई। वह सच को सच कहने वाले व्यक्ति थे।महेश भाई के बारे में बोलना मेरे लिए हमेशा कठिन हो जाता है।आमतौर पर लोग बंद कमरे में मेरी तारीफ करते हैं जो मेरी विचारधारा के लोग नहीं हैं या अन्य दलों से जुड़े हुए हों। महेश भाई एक ऐसी शख्सियत थे जो मेरे द्वारा किए गए कार्यों के लिए सार्वजनिक रूप से खुले मंच पर मुझे महिमा मंडित करने, तारीफ करने आदि से गुरेज नहीं करते थे। एकमात्र बड़े भैया तिवारी ही थे जो स्पष्ट रूप से ऐसा कह सकते थे।
अध्यक्षीय उद्बोधन में सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ.सुरेश आचार्य ने स्व.तिवारी के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा करते हुए कहा कि वे स्वभाव से किसान और कवि दोनों ही थे। उनके गांव देवलचौरी की धनुष भंग लीला के विराट धनुष जैसा उनका व्यक्तित्व भी अद्भुत था। यह रामलीला केवल तिवारी परिवार द्वारा आयोजित होती है। रस और जस से भरपूर। यह उनका किसान व्यक्तित्व था। ठीक इसी तरह हर दीपावली पर वे सैकड़ों पोस्टकार्ड अपनी शुभकामनाओं की कविताओं से भरकर खुद लिख कर भेजते थे।यह उनके कवि व्यक्तित्व का रस है कि अभी तक सैकड़ों लोग वे पोस्ट कार्ड संभाले बैठे हैं। अब डॉक्टर तिवारी नहीं है लेकिन उनकी यशस्वी यादें हमेशा बनी रहेंगी। उनके झकाझक खादी के धोती - कुर्ते जिन्हें वे स्वयं धोते और प्रेस करते थे सदैव उनके वैचारिक पक्ष की याद दिलाते रहेंगे।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो.आनंदप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि डा महेश तिवारी अपने जमाने के आम चलन से कोसों दूर रहने वाले व्यक्तित्व थे। राजनीति की राह उन्होंने जरुर पकड़ी थी किंतु उनकी चेतना और संवेदनशीलता एक साहित्यकार की थी। वे एक जिंदादिल इंसान थे ।विरूद्धों के सामंजस्य के लिए जीवनपर्यंत समर्पित रहे।
स्व. डॉ.महेश तिवारी की स्मृतियों को साझा करते हुए उनके सहपाठी मित्र से.नि.डिप्टी कलेक्टर डॉ.राजेश दुबे ने उन्हें अपने सुख दु:ख का सच्चा साथी बताया। इंक मीडिया पत्रकारिता संस्थान के निदेशक डॉ आशीष द्विवेदी ने कहा कि वह एक अति संवेदनशील व्यक्ति थे उनके अंदर सभी रसों का समावेश था।आदर्श संगीत महाविद्यालय के सचिव सुभाष पंड्या ने कहा कि वे एक मिलनसार और सभी से निस्वार्थ प्रेम करने वाले इंसान थे।
नगर की प्रतिष्ठित संस्था श्यामलम् एवं तिवारी परिवार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत स्वर्गीय तिवारी के चित्र पर अतिथियों परिजनों एवं सभागार में उपस्थित प्रबुद्ध जनों द्वारा पुष्पार्पण एवं स्मृति दीप प्रज्वलन से हुई। श्यामलम् अध्यक्ष उमाकांत मिश्र ने कार्यक्रम परिचय दिया। लोक गायक शिवरतन यादव ने स्मृति गीत का गायन किया। स्व.तिवारी की छोटी पुत्री श्रीमती महिमा चतुर्वेदी ने उनकी जीवन यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डाला। संचालन मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष आशीष ज्योतिषी ने किया तथा स्वर संगम समिति के अध्यक्ष हरीसिंह ने ठाकुर आभार माना।
इस अवसर पर एल एन चौरसिया, हेमचंद जैन, हरगोविंद विश्व, श्रीमती सीमा दुबे, डॉ.गजाधर सागर, डॉ. चंचला दवे, डॉ. कविता शुक्ला, सुनीला सराफ,डॉ.अंजना चतुर्वेदी तिवारी, प्रभात तिवारी, श्रीमती मुक्ता तिवारी, हरी शुक्ला, आर के तिवारी, मुन्ना शुक्ला, चंपक भाई,मितेंद्र सिंह सेंगर, डॉ. शशि कुमार सिंह, डॉ अनिल जैन, निरंजना जैन, भारत भूषण तिवारी, श्रीमती मिति तिवारी, कासिम राईन, अंबिका यादव, अशोक तिवारी अलख, पूरन सिंह राजपूत,डॉ.अशोक कुमार तिवारी,अभिनव दत्त,असीम दत्त दुबे,बिहारी सागर,ज. ल. राठौर,डॉ आशुतोष गोस्वामी, डॉ. अमर जैन, आनंद मंगल बोहरे, राजीव अग्निहोत्री, अरुण दुबे, प्रभात कटारे, डॉ.आर आर पांडे, रमाकांत मिश्रा,डॉ.विनोद तिवारी, मुकेश तिवारी, आदर्श दुबे, सुरेंद्र श्रीवास्तव, सी एल कंवल, रीतेश दुबे, धीरेंद्र सेन सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्ध वर्ग एवं स्व.तिवारी के परिजन उपस्थित थे।
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