Bhopal: बहुचर्चित बिलाबोंग स्कूल बस में बच्चियों के साथ दुष्कृत्य का मामला
▪️बस ड्राइवर को तिहरा आजीवन कारावास ,सहआरोपी महिला को बीस साल की सजा
▪️ बच्चों के माता-पिता को सजग एवं जागरूक रहने की न्यायालय की अपील
भोपाल । विशेष न्यायालय पॉक्सो सुश्री शैलेजा गुप्ता ने बहुचर्चित बिलाबोंग स्कूल बस में बच्चियों के साथ दुष्कृत्य करने वाले आरोपीगण हनुमत जाटव पिता सुरेश जाटव उम्र 32 वर्ष निवासी शाहपुरा भोपाल को धारा 376(एबी), 376(2) एन भादवि व 5एफ,एल,एम/6 पॉक्सो एक्ट में मृत्यु पर्यंत तक का तिहरा आजीवन कारावास तथा 9 एफएलएम/ 10 पाक्सो एक्ट में 7-7 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 354 भादवि में 5-5 वर्ष का सश्रम कारावास तथा कुल 32 हजार रूपये का जुर्माना अधिरोपित किया गया है एवं सहआरोपिया उर्मिला साहू पति रमेश साहू उम्र 35 वर्ष निवासी कोलार भोपाल को दोष सिद्ध किया गया एवं आरोपिया उर्मिला साहू को धारा 354 सहपठित धारा 109 भादवि 5-5 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 5एफ,एल,एम/6 पॉक्सो एक्ट सहपठित 16/17 पाक्सो एक्ट 20-20 वर्ष का सश्रम कारावास 9 एफएलएम/ 10 पाक्सो एक्ट में सहपठित धारा 16/17 में 7-7 वर्ष का सश्रम कारावास और कुल 32 हजार रूपये का जुर्माना अधिरोपित किया गया है । दोनो आरोपीगण पर अधिरोपित जुर्माने की राशि में प्रत्येक पीडित बच्ची को 16-16 हजार रूपये प्रतिकर की राशि दिये जाने के निर्देश है। यह जानकारी जनसम्पर्क अधिकारी भोपाल संभाग श्री मनोज त्रिपाठी ने दी।
न्यायालय की विशेष टिप्पणी
दोनो ही पीडित बच्चिया मात्र साढे तीन वर्ष की अत्यंत अल्पआयु की अबोध बालिकाऐं है जिन्होनें अभी अपने जीवन की शुरूआत ही की थी और जीवन के सफर में प्रथम कदम अपने परिवार से बाहर शिक्षा हेतु रखा था। जहां आरोपी हनुमत 32 वर्षीय एवं उर्मिला 35 वर्ष परिपक्व आयु के व्यक्ति होकर उनके ही शैक्षणिक संस्था में कर्मचारीवृंद होते हुए विघालय की बस में वाहन चालक तथा बच्चों की देखरेख का काम करते थे। जिन्हे बच्चे बस अंकल और दीदी कहते थे तथा उन पर पूर्ण विश्वास करते थे । बच्चों सुरक्षित घर विघालय विघालय से घर लाने ले जाने का उत्तरदायित्व उनका था । पीडित बालिकाए अपनी अल्पआयु के कारण इतनी नासमझ है कि न तो उन्हे अच्छे बुरे का ज्ञान है ओर न ही अपने मनोभावों को व्यक्त करने के लिए पर्याप्त शब्द बच्चो के आचरण से यह प्रकट है कि उन्हे नही पता कि जिसे वे बस अंकल का प्यार समझ रहे है वह वास्तव में प्यार न होकर उसकी गन्दी हवस का शिकार हो रही है। आरोपीगण ने पीडित बालिकाओ के प्रति संरक्षकता का दायित्व बोध भूल कर उनके पवित्र वैश्वासिक संबंधो का हनन कर उन्हे अपनी घृणित हवस का शिकार बनाया है। जब पवित्र शैक्षणिक संस्थाओं में ही बालिकाओं की सुरक्षा सुरक्षित न हो तो समाज में बलिकाओ/महिलाओं के स्वतंत्र अस्तित्व विकास की परिकल्पना नही की जा सकती तथा आरोपीगण द्वारा किया गया कार्य न केवल गंभीर घृणित प्रकृति का है वरन वह समाज के वैश्वासिक संबंधो को कंलकित करने वाला पैशाचिक आपराधिक कृत्य है । इस कारण से आरोपीगण के प्रति नरम रूख अख्तयार नही किया जा सकता।
उक्त प्रकरण में अभियोजन संचालन हेतु कलेक्टर भोपाल द्वारा विशेष लोक अभियोजक श्रीमती मनीषा पटेल को नामांकित किया गया था । विशेष लोक अभियोजक श्रीमती मनीषा पटेल ने उक्त गंभीर प्रकरण अत्यंत सजकता एवं जागरूकता पूर्वक मात्र 14 कार्य दिवस में 32 साक्षियों के कथन पूर्ण कराये तथा सशक्त अंतिम तर्क परिस्थितिजन्य साक्ष्य के संबंध में प्रस्तुत किया था जिससे सहमत होते हुये विशेष न्यायालय ने आरोपीगण को दोषसिद्ध किया है ।
घटना का संक्षिप्त विवरण :-
अभियोक्त्री के माता-पिता ने थाना महिला थाना भोपाल में उपस्थित होकर रिपोर्ट लिखवाई कि दिनांक 08/09/2022 दिन शुक्रवार समय करीब 1:30 से 1:45 बजे को जब उनकी 3 वर्ष 6 माह की बच्ची स्कूल से घर वापस आई तब उसका स्कूल यूनिफार्म बदला हुआ था बच्ची की मॉ ने जब उससे पुछा कि आपका ड्रेस किसने बदला है तो बच्ची ने बताया कि उसका स्कूल यूनिफाम बस वाले अंकल ने बदला है बच्ची की मॉ ने उसका स्कूल यूनिफार्म जब बैग में चेक किया तो यूनिफार्म ना ही गंदा था ना ही गीला था। बच्ची का स्कूल यूनिफार्म बिना किसी कारण बस स्कूल डाइवर के द्वारा बदले जाने की शंका पर बच्ची के माता-पिता ने स्कूल प्रशासन से बात की और उनको घटना के बारे में बताया तब बच्ची की क्लास टीचर ने माता-पिता को बताया कि बच्ची स्कूल से छुट्टी होने के बाद स्कूल यूनिफार्म से ही घर के लिये स्कूल बस से निकली थी माता-पिता ने स्कूल प्रशासन से बस में लगे सीसीटीवी कैमरों की फूटेज की मांग की तब स्कूल प्रशासन द्वारा माता-पिता को आवश्सन दिया गया कि वे लोग उन्हे एक-दो दिन में बस का फूटेज उपलब्ध करा देगें। और शाम को जब बच्ची के पिताजी ने अपनी बेटी से प्यार से पुछा कि बेटा आपको कोई परेशान करता है तब बच्ची ने अपने पापा से कहा कि हॅा बस अंकल मुझे परेशान करते है और वह बेड है और मुझे बेड टच करते है बच्ची ने अपने पापा को यह भी बताया कि बस अंकल उसे अपनी गोद में बैठाकर उसके प्राईवेट पार्ट को बहुत बार छूते थे और उसके प्राईवेट पार्ट पर फिंगरिंग करते थे जिससे उसे दर्द होता था तब बस आंटी उर्मिला दीदी उसे गोद में उठा लेती थी और उसे चुप करा देती थी और बस अंकल उसे टोफी भी देते थे और उसका गला पकडकर एवं बाल खीचकर उसे डराते हुये कहते थे कि यह बात किसी को बताई तो तुम्हे मारूगां। अगले दिन शनिवार को बच्ची को लेने के लिये संबंधित बस में आरोपी बस चालक तथा आरोपी महिला केयर टेकर पुन: सुबह लेने के लिये बच्ची के घर के पास बस स्टॉप पर पहुंचे परन्तु बच्ची के माता-पिता ने अपनी बच्ची को स्कूल नहीं भेजा और दोनो स्कूल प्रशासन से मिलकर आरोपी बस डाईवर हनुमत तथा महिला केयर टेकर उर्मिला साहू द्वारा कारित घटना की सम्पूर्ण जानकारी थी तब प्रशासन ने लिपा पोतीकर बिना वीडियों फूटेज दिये स्कूल से वापस कर दिया। सोमवार को पुन: वही आरोपीगण दूसरी बस में दो अन्य व्यक्तियों के साथ बच्ची को लेने उसके घर पहुंचे तब बच्ची के माता-पिता ने बच्ची को स्कूल भेजने से इंकार कर दिया तथा पुलिस कमश्निर आफिस में जाकर घटना की जानकारी दी थी। प्रकरण में विवेचना के दौरान अन्य बच्ची के माता-पिता ने भी ये बताया कि आरोपी हनुमत ने उनकी बेटी के साथ कई बार गलत काम और अश्लील हरकत की। दूसरी पीडित बच्ची तथा उसके माता-पिता के बयान विटनेस प्रोटेशन एक्ट के तहत न्यायालय में कथन पूर्ण कराये गये थे।
पुलिस कमश्निर द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुये एसआईटी गठित की गई तथा एसआईटी टीम के प्रमुख श्री त्रुत कीर्ति के निर्देशन पर एसीपी निधि सक्सेना एवं महिला थाना प्रभारी अंजना धुर्वे 20 दिनो के अंदर मामले में विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र माननीय विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था।
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