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जब भी देश और धर्म की बात आये तो संगठित हो जाओः संत नागर जी


जब भी देश और धर्म की बात आये तो संगठित हो जाओः संत नागर जी


खुरई। सातवें सोपान में आप सभी यह महत्वपूर्ण संदेश लेकर विदा होंगे कि एक दो या चार में टूट कर मत रहो, संगठित होकर रहो। भारत भूमि और हमारे पूर्वजों ने असंगठित होने के बहुत बुरे परिणाम अतीत में होंगे हैं। खुरई, सागर व संपूर्ण देश यदि एक नहीं रहे तो विधर्मी दुश्मन हमें कुचल देंगे। जब भी देश और धर्म की बात आए तो संगठित हो जाओ। यह आह्वान खुरई में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा आयोजन के समापन दिवस पर संत श्री नागर जी ने लाखों श्रद्धालुओं से किया। 

     संत नागर जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि घर, चैंका या खेत खलिहान में दो चार चींटियों के निकलने पर कोई ध्यान नहीं देता और कुचलता चला जाता है। लेकिन कहीं चींटियों का पूरा नगरा या झुंड निकल आता है तो सभी उससे बच कर निकलते हैं। इसी तरह हमारे देश,धर्म और आस्थाओं पर आंच आए तो चींटियों के समूह की तरह संगठित होकर निकल पड़ो।  हम दो चार में बट कर रहे तो विधर्मी हमें कूट जाते हैं यह अनुभव हमारे पूर्वजों ने कष्ट भोग कर लिया है। अतः सभी एक रहने की प्रतिज्ञा कर लो। अपने घरों में भी सभी सरल भाव से रहें भेद न पैदा होने दें यही शास्त्रों की शिक्षा है। नागर जी ने कहा कि खून बहाने वाले लोग आंसुओं की कीमत नहीं समझते। जिन्होंने खून ही बहाया है उनका अनुसरण मत करना। 

     संत नागर जी ने कहा कि हमारे शास्त्र गूढ़ार्थ में लिखे गए हैं। शास्त्रों को उनके शाब्दिक अर्थों से सतही निष्कर्ष निकाल कर कथा कहने वाले कथा वाचक भक्तों को उचित मार्ग पर नहीं ले जा रहे। शास्त्रों के गूढ़ अर्थों को समझ कर उनके प्रेरणादायी संदेश ही कथा में सुनाना उचित है और यह भारत भूमि में ही संभव है। उन्होंने कहा कि हमारा देश ज्ञान और शास्त्रों  का भंडार था। विधर्मियों को शास्त्रों के गूढ़ अर्थ समझ नहीं आए और उन्होंने नालंदा, तक्षशिला जैसे हमारे ज्ञान और शास्त्रों के केंद्रों को जला कर नष्ट कर दिया। नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालयों के शास्त्र भंडारों में लगाई गई आग तीन दिनों तक बुझाई नहीं जा सकी इतने ज्ञान भंडार वहां के पुस्तकालयों में था।

     नागर जी ने कहा कि जिन कुछ विदेशियों में हमारे शास्त्रों को समझने की क्षमता थी वे आज मथुरा, वृंदावन के मंदिरों और वीथिकाओं में गौमुखी, माला लेकर भक्ति, जप और भजन कर रहे हैं। इन विदेशियों ने मोबाइल और टीवी छोड़ कर गौमुखी और माला लेकर हरे राम हरे कृष्ण जप करना आरंभ कर दिया और हमारे देश में बहुतों ने उनकी टाई, पेंट, मोबाइल, टीवी लेकर कुसंस्कारों को ओढ़ लिया। उन्होंने युवाओं से कहा कि मोबाइल से दूर रहो ये वासना और अधर्म की ओर समाज को ले जा रहे हैं। हमारे समाज में अपसंस्कृति इस सीमा तक आ गई है कि यदि हमारे घर परिवार में कोई गौमुखी धारण कर भक्ति, भजन में लग जाए तो उसे ढोंगी कहने लगते हैं,उसका मजाक उड़ाते हैं यहां तक कि धर्म, भक्ति में लगे युवाओं के विवाह संबंधों में अड़चनें आती हैं। नागर जी ने कहा कि हर घर में कम से कम एक सदस्य तो ऐसा होना चाहिए जो धन की कमाई से बड़ी प्रभुनाम की कमाई में लगा हो। दुर्भाग्य है कि हमारे युवा मथुरा वृंदावन में हर सुबह निकलने वाली तीन हजार लोगों की प्रभात फेरी हरे राम हरे कृष्ण कीर्तन के लिए निकलती है उससे प्रेरणा नहीं लेते पर विदेशियों के सूटबूट, टाई से प्रेरणा ले लेते हैं।

     श्री नागर जी ने कहा कि व्यास गादी और धर्मग्रंथों में अब भी इतनी शक्ति हैकि यहां बैठकर अधोगति में पड़ी हुई आत्माओं को भी हम आमंत्रित करके मुक्ति देते हैं। उन्होंने बताया कि कलश यात्रा निकालने का उद्देश्य यह होता है कि फूल, फल और जल में निवास करने वाली आत्माएं भी कथा में बैठकर  ज्ञान कथाएं शांति से सुनें और मुक्ति को प्राप्त हों। खुरई के कथा मंच पर कलश के नारियल के कई जगह से फट जाने की घटना का रहस्य बताते हुए उन्होंने कहा कि कोविड काल में हजारों लोग बिना सद्गति नहीं पा सके,उनकी क्रिया ,पिंड कुछ नहीं हो सका। ऐसी मृतात्माओं को भी इस कथा के माध्यम से सद्गति मिले यह मेरा प्रयास होता है। नारियल फटना, माला या फूल गिरना यह सभी इसी के संकेत होते हैं। 

     श्री नागर जी ने बताया कि खुरई के बाद उन्होंने सिखों के गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज के शहीदी दिवस को ध्यान में रखते हुए 20 से 26 दिसंबर तक आश्रम में कथा आयोजन किया है। इतिहास में विधर्मियों से त्रास और यातनाएं जैसी उन्होंने सहीं उनके निमित्त यह कथा रखी है। उन्होंने कहा कि इस देश की मिट्टी मां है। माता सीता अपने हरम के समय एक मुट्ठी में मिट्टी भर कर ले गई थीं और अशोक वाटिका में इसी मिट्टी को मां कह कर उस पर बैठ गई। रावण जब भी उनके पास आता था तो सीता जी के साथ मिट्टी ही मां स्वरूप में उसे दिखाई देतीं और हर बार उसे लौट जाना पड़ता था।

     संत श्री नागर जी मुख्य यजमान मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह के वैराग्य भाव को सुन कर स्वयं भावविभोर हो गये। उन्होंने कहा कि मैंने यजमान जी के भाषण में एक शब्द पर ध्यान दिया जब वे कह रहे थे कि मैं सांसारिकता से जुड़ा हूं और कभी-कभी लगता है कि सब झंझट छोड़कर ईश्वर भक्ति की ओर चला जाऊं। आपके भी अंतर में आता है ऐसा भाव कि यह सब झूठा संसार है सब धरा का धरा रह जाना है बहुत धन है पर एक सुबह अखबार में इस धन के साथ नि लगकर निधन की खबर आ जाती है। तब सिर्फ कीर्ति रह जाती है और श्राद्ध हो जाता है। ऐसे यजमान दुर्लभ मिलते हैं। उन्होंने निर्विघ्न सिंहस्थ संपन्न करा कर पुण्य अर्जित किया है। पूरे यजमान परिवार और क्षेत्र वासियों ने जिस ने निष्ठापूर्वक, एकासन और प्रभु के दास्य भाव से कथा श्रवण किया है। यजमान के परिवार और सागर जिले की जनता का सागर जैसा ही विशाल प्रेम और श्रद्धा देख कर मैं अभिभूत हूं और इस आकुलता और भक्ति को नमन करता हूं।

नागर जी ने कथा के लिए मात्र एक तुलसी पत्र की भेंट स्वीकार की: मंत्री भूपेन्द्र सिंह


मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने अपने समापन उद्बोधन में कहा कि  आप सभी को यह जानकारी देना चाहता हूं कि खुरई में श्रीमद् भागवत कथा के लिए संत श्री नागर जी ने मात्र एक तुलसी पत्र भेंट में स्वीकार किया है। मालथौन में भी उन्होंने एक तुलसी का पत्ता ही स्वीकार किया था। लाखों श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी व्यवस्था भी ईश्वर और गुरु देव की कृपा से होती गईं मैं सिर्फ निमित्त मात्र बना हूं। गुरु देव का यह आशीष हमें इस आश्वासन के रूप में मिला है कि खुरई में कथा का विश्राम हुआ है, आने वाले समय में वे फिर यहां कथा के लिए आएंगे। उनकी अमृतवाणी हम सभी को फिर धन्य करेगी।

     मंत्री श्री सिंह ने कहा कि व्यवस्था में लगे हजारों स्वयं सेवक, प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारियों को सिर्फ धन्यवाद देकर मैं उनके योगदान को सीमित करना नहीं चाहता। आप सब भी इस पुण्य कार्य के लिए ईश्वर की ओर से निमित्त रुप में सम्मिलित थे। सिंहस्थ के प्रभारी के रूप में भी मैंने पहली बैठक में भी यही कहा था कि सरकार में मंत्री और अधिकारी बहुत हैं पर भगवान महाकाल ने हमें सेवा के लिए चुन कर निमित्त बनाया है। मंत्री श्री सिंह ने पत्रकारों और मीडिया कर्मियों का हृदय से आभार व्यक्त किया। 

     पत्रकारों और मीडिया को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए संत श्री नागर जी ने कहा कि आप सभी ने कथा के अपने समाचारों में जिस तरह के श्रेष्ठ शब्द चयन करके लाखों लोगों तक पहुंचाया वह इसके पहले के कथा आयोजनों में देखने नहीं मिला। आप सभी ने महाभारत के संजय की तरह शब्द चित्रों से कथा को लाखों ऐसे भक्तों तक पहुंचाया जो किन्हीं कारणों से कथा में नहीं आ सके होंगे।

व्यासपीठ की ओर से मुख्य यजमान नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह का धर्मयुक्त पीतपट्टिका ओढ़ा कर सम्मान किया गया। मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने कथा समापन के दिवस पर मंच से भावपूर्ण भाषण किया। उन्होंने कहा कि पूज्य व्यासपीठ जिन पर साक्षात मां सरस्वती की कृपा है ऐसे पूज्य संत का समस्त कथा पंडाल हर्षध्वनि से अभिनंदन वंदन करें, प्रणाम करें। उनकी अमृतमयी वाणी सात दिवस हम पर बरसी है। हम सभी जानते हैं कि उनके श्रीमुख से उतरी श्रीमद भागवत कथा नकारात्मक शक्तियों को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी से समस्त बुंदेलखंड और खुरई की धरा की समस्त नकारात्मक शक्तियां समाप्त हो गई हैं और अमृत वर्षा हो रही है। उन्होंने कहा कि यह संयोग है कि हमें पूज्य गुरुदेव से श्रीमद् भागवत कथा, भक्ति और भजन तीनों सुनने मिले हैं। लीलाएं भी सुनने मिलीं। जब भी जीवन में संतों की वाणी सुनने मिले तब हमें ऐसे अवसर छोड़ना नहीं चाहिए। जाने उनका कौन सा संदेश हमारा जीवन बदल दे।

   मंत्री श्री सिंह ने कहा कि इस अवसर पर हमने पूज्य गुरु जी के अमृत वचनों को लिपिबद्ध कराया है। उनके वाक्य सूत्रों को हम आप सभी के सामने समय समय पर पहुंचाने का प्रयास करेंगे। उनके वाक्य सूत्रों को अपने घरों में योग्य स्थानों पर लगा कर रखें ताकि जब भी नजर पड़े तो आपका जीवन बदल जाए। मंत्री श्री सिंह ने भावुक होकर कहा कि हमें भी कई बार ऐसी भावना होती है कि सब छोड़ छाड़ कर गुरुदेव के चरणों में समर्पित हो जाएं लेकिन इसके लिए गुरुदेव की आज्ञा नहीं मिलती। उनका आदेश है कि आप सभी के बीच रहते हुए जन जन की सेवा करें। उन्होंने कहा कि मालथौन में भी गुरुदेव नागर जी की कथा हुई थी और जनता की कृपा ऐसी रही कि मुझे फिर से आप सभी की सेवा का अवसर मिला। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि गुरुदेव के चरणों की कृपा से खुरई को विकास में अग्रणी बनाने का मेरा संकल्प विनयीभाव रहते पूर्ण होगा।
श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर संत श्री नागर जी की ओर से मुख्य यजमान परिवार के मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह, श्रीमती सरोज सिंह, श्री लखन सिंह, श्री अभिराज सिंह का अभिनंदन किया गया। 

विशाल भंडारे का आयोजन

      शुक्रवार 16 दिसम्बर को प्रातः 10 बजे से रात्रि 9 बजे तक भैरव बाबा मंदिर, गुलाबरा बगीचा खुरई में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया है। श्रीमदभागवत कथा के मुख्य यजमान श्री भूपेंद्र सिंह ने सभी को सपरिवार सादर आमंत्रित कर विशाल भंडारे में प्रसादी पाकर धर्मलाभ लेने का आग्रह किया है। मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि मैं इसे भंडारा कहना उचित नहीं समझता, यह महाप्रसादी है जिसे ग्रहण करने के लिए सभी कथा श्रावक व श्रृद्धालुओं सहित समस्त आत्मीय बंधु-बांधव सपरिवार आमंत्रित हैं। 



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एडिटर: विनोद आर्य
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