नाबालिग से छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को 03 वर्ष का सश्रम कारावास


नाबालिग से छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को 03 वर्ष का सश्रम कारावास 

सागर । नाबालिग के साथ छेड़छाड़ करने वाले आरोपी केशव पाठक पिता ब्रजबिहारी पाठक थाना-रहली को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये धारा- 457 भादवि के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा-354 भा.द.वि. के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड एवं धारा- 7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड एवं धारा- 3(1)(डब्ल्यू)(आई) एस.सी./एस.टी.एक्ट 1989 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड एव ंधारा-,3(2)(व्ही-ए) एस.सी./एस.टी एक्ट 1989 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की ।
        घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि फरियादिया ने रिपोर्ट लेख कराई कि दिनॉक 08.05.2020 को वह रात में घर पर उसकी मॉ एवं उसके भाई के साथ अंदर कमरे में दरवाजा बंद करके सो रही थी । मेरे पिता घर पर नहीं थे , रात करीब 1ः30 बजे अचानक किसी व्यक्ति ने बुरी नियत एवं छेड़छाड़ करने की नियत से उसके चेहरे पर हाथ लगाया एवं उसका बाया हाथ पकड़कर अपनी ओर खीचा। मै चिल्लाई तो बगल में सो रही मेरी मॉ एवं भाई जाग गये जिन्हें देखकर वह व्यक्ति वहॉ से घर की सीड़ियों की तरफ भागा, जिसे बल्व की रोशनी में देखा कि वह व्यक्ति उसके घर के पास में रहने वाला अभियुक्त केशव पाठक है जो अच्छी तरह से जानता है कि वह अनुसूचित जाति की है। अभियुक्त केशव पाठक घर की सीड़ियों से कूदकर वहॉ से वह भाग गया फिर मैने अपने पिता को फोन करके घटना बताई। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये , घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-रहली द्वारा धारा- 458, 354, भा.द.वि.  एवं 7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 एवं धारा- 3(1)(डब्ल्यू)(आई) ,3(2)(व्ही) ,एस.सी./एस.टी एक्ट 1989 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, एवं अंतिम तर्क के दौरान न्यायदृष्टांत प्रस्तुत किये गये और अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने  आरोपी को दोषी करार देते हुये धारा- 457 भादवि के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा-354 भा.द.वि. के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड एवं 7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड एवं धारा- 3(1)(डब्ल्यू)(आई) एस.सी./एस.टी.एक्ट 1989 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड एव ंधारा-,3(2)(व्ही-ए) एस.सी./एस.टी एक्ट 1989 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा  से दंडित किया है। 
        

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