जल संग्रहण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता- मंत्री भूपेंद्र सिंह▪️वाटर शेड 2.0 पर कार्यशाला हुई

जल संग्रहण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता- मंत्री भूपेंद्र सिंह

▪️वाटर शेड 2.0 पर कार्यशाला हुई

सागर। जल संग्रहण वह जल संरक्षण इस युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है। जल है तो वृक्ष हैं, वृक्ष हैं तो पर्यावरण है, पर्यावरण है तो शुद्ध हवा और अच्छी वर्षा है, अच्छी वर्षा है तो ज्यादा खाद्य उत्पादन है। यह उद्गार  नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने जिला पंचायत सागर के वाटर शेड प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत खुरई व मालथौन विकासखंडों में संचालित वाटर विकास 2.0 परियोजना की एक दिवसीय कार्यशाला में आए जनप्रतिनिधियों एवं समिति सदस्यों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि प्रकृति का यह पारिस्थितिकी तंत्र अपनी पूरी ऊर्जा से जीवंत रहे इसके लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी व मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने जल संग्रहण की अनेक योजनाएं बनाई हैं जिनमें से वाटर शेड 2.0 भी एक है। उन्होंने बताया कि इस योजना के कई कंपोनेंट हैं जिनके विषय में इस कार्यशाला में बारीकी से जानकारी दी जाएगी इसलिए सभी पंचायतों के जनप्रतिनिधि वह वाटर शेड समितियों के सदस्य इस कार्यशाला की उपयोगिता को समझते हुए इससे अधिक से अधिक जानकारियां सीख समझ कर जाएं। 

मंत्री श्री सिंह ने कहा कि सेटेलाइट के माध्यम से ऐसी भौगोलिक संरचनाओं को वाटर शेड के लिए चयनित किया जाता है जहां प्राकृतिक रूप से जल संग्रहण की अधिकतम संभावना मौजूद हो। इनको ही विकसित करके ग्रामीण  भूमि में जलसंग्रहण की क्षमता बढ़ा कर जलस्तर वह कृषि उत्पादन बढ़ाने का उद्देश्य इस परियोजना का है। इस परियोजना के सटीक क्रियान्वयन से हम किसानों की आमदनी दोगुना करने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के संकल्प को शीघ्र पूरा कर सकते हैं। मंत्री श्री सिंह ने इस अवसर पर कलेक्टर श्री दीपक आर्य सहित सभी प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यक्षमता की सराहना करते हुए कहा कि प्रशासनिक अधिकारी ही योजनाओं के क्रियान्वयन की धुरी होते हैं। विकास योजनाओं का सफल क्रियान्वयन तब होता है जब प्रशासनिक अधिकारियों की सक्षम टीम जिले में हो। सागर जिला विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में बेहतर स्थिति में इसीलिए है क्योंकि यहां परिश्रमी प्रशासनिक अधिकारियों की टीम कार्यरत है। 

मंत्री श्री सिंह ने कार्यशाला में उपस्थित पंचायत प्रतिनिधियों को बताया कि जिले में खुरई व मालथौन विकासखंडों को वाटर शेड विकास 2.0 के लिए चयनित किया गया है। खुरई की 15 व मालथौन की 10 पंचायतों को इस परियोजना में शामिल किया गया है। वाटर शेड 2.0 में पंचायत के जनप्रतिनिधियों की भूमिका को प्रमुखता दी गई है। उन्होंने कहा कि  अमृत सरोवर ,अमृत कूप, स्थान विशेष के लिए अनुकूल फसलों का चयन और यहां तक कि बड़े और मंहगे कृषि उपकरणों को सामुदायिक रूप से क्रय करके उपयोग किए जाने के तरीकों पर भी काम होना है ताकि जलस्तर और कृषि उत्पादन तेजी से बढ़ाएं जा सकें। 31 करोड़ रु की इस परियोजना के तहत प्रत्येक पंचायत में लगभग 1.25 करोड़ रुपए के कार्य होंगे। 

कलेक्टर दीपक आर्य ने वाटर शेड 2.0 के पूर्व की योजनाओं से फर्क को रेखांकित करते हुए बताया कि इस योजना में इंजीनियरिंग को आधार बनाने के बजाए एग्रो एकानामिक एप्रोच से काम किया जाना है। कार्यशाला के आरंभ में जिला पंचायत के सीईओ क्षितिज सिंघल ने कार्यशाला की रूपरेखा बताई। कलेक्टर दीपक आर्य ने वाटर शेड परियोजना के वर्तमान स्वरूप और उसकी उपयोगिता की जानकारी दी। जिला पंचायत उपसभापति देवेंद्र सिंह ने भी कार्यशाला को संबोधित किया। कार्यशाला में वाटर शेड समितियों के पदेन अध्यक्ष सरपंचों  वह समिति सदस्यों को विभिन्न विशेषज्ञों ने योजना से संबंधित तकनीकी जानकारियों से अवगत कराते हुए प्रेरित किया।


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