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पाला बदलकर भाजपा में आए विधायकों की टिकटों पर रहेगा संशय◾सर्वे रिपोर्ट ही बनेगी टिकट का आधार, जीत की संभावना और कई कसौटी पर परखे जाएंगे प्रत्याशी

पाला बदलकर भाजपा में आए विधायकों की टिकटों पर रहेगा संशय

◾सर्वे रिपोर्ट ही बनेगी टिकट का आधार, जीत की संभावना और कई कसौटी पर परखे जाएंगे प्रत्याशी



@राजीव सोनी /भोपाल


भोपाल । मिशन 2023 को लेकर मैदानी तैयारी में जुटी भाजपा अपने सभी मंत्री-विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्रों पर फोकस करने को तो कह दिया है।  लेकिन उपचुनाव वाली सभी 32 सीटों पर इस बार टिकटों का मामला अनिश्चय के भंवर में है। बताया जाता है कि सत्ता- संगठन ने उन्हें एक बार ही टिकट की गारंटी दी थी लेकिन अब सर्वे रिपोर्ट, जीत की संभावना के साथ और भी
कई फैक्टर निर्णायक होंगे। इनमें से 22 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जो सियासी उथल-पुथल के दौरान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे से खाली हुई थीं। आधा दर्जन सीटें विधायकों के निधन से खाली हुई और 4 अन्य भी कांग्रेस की विधायकी छोड़कर भाजपा के टिकट पर उपचुनाव जीत गए। निकाय पंचायत चुनाव के दौरान भाजपा को कई जिलों से मैदानी स्थिति की रिपोर्ट मिल चुकी है।


कांग्रेस की विधायकी छोड़कर भाजपा में जो लोग आए उनमें से 3 मंत्री सहित 11 तो उपचुनाव में ही खेत रहे। लेकिन जो भाजपा के टिकट पर चुन लिए गए हैं अगले चुनाव में उनके टिकट को लेकर अनिश्चय बना हुआ है क्योंकि उन सभी सीटों के पुराने नेता भी अब पूरी ताकत से अपनी दावेदारी जताएंगे। सूत्रों का कहना है कि पाला बदलने वालों को सिर्फ उपचुनाव में ही टिकट की गारंटी दी गई थी। की मुहिम शुरू की है।


बनेगी तकरार की स्थिति

उपचुनाव वाली 32 में से ज्यादातर सीटों पर टिकट को लेकर सबसे ज्यादा की स्थिति बनेगी। कई सीटों पर पुराने नेता संकेत दे चुके हैं, निकाय चुनाव में खुलेआम बगावत के दृश्य सामने आ चुके हैं इसलिए पार्टी भी यह बात जानती है कि कार्यकर्ताओं पर ज्यादा दबाव नहीं डाल सकते। यही वजह है कि राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल ने सभी 65 हजार बूथों को मजबूत और 10 फीसदी वोट शेयर बढ़ाने

इन 32 सीटों पर हुए थे उपचुनाव, 11 कांग्रेस जीती

ग्वालियर, डबरा, बमोरी, सुरखी, सांची, सांवेर, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह, मेहगांव, गोहद, ग्वालियर पूर्व, भांडेर, करैरा, पोहरी, अशोकनगर, मुंगावली, अनूपपुर, हाटपिपल्या, बदनावर, सुवासरा, नेपानगर, मांधाता एवं दमोह। इनमें से 22 सीटें सिंधिया के समर्थन में खाली हुई 3 अन्य बाद में रिक्त। जौरा, आगर, ब्यावरा जोबट, रैगांव और पृथ्वीपुर सीटों पर विधायकों के निधन होने से उपचुनाव की नौबत • आई। 32 में से 11 सीटों पर कांग्रेस काबिज हुई।

राजीव सोनी, पीपुल्स समाचार,भोपाल 
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