नवरात्रि : बाज खेड़ावाल गुजराती ब्राह्मण समाज का गरबा महोत्सव
सागर। 18 वीं शताब्दि के पूर्वार्ध में 1740 के आसपास, राजा छत्रसाल के शासनकाल में गुजरात के उमरेठ के पास से कुछ गुजराती ब्राह्मण परिवार नर्मदा मार्ग से होते हुए पन्ना आये ।
ये परिवार बाज खेड़ावाल गुजराती ब्राह्मण कहलाते हैं । शुरुआती दौर में ये पन्ना के हीरों के काम में लगे । कालांतर में इन में से अनेक परिवार हटा,दमोह, सागर,जबलपुर, सतना, हरदा,होशंगाबाद जैसे नगरों में बसे । शत-प्रतिशत शिक्षित, दहेज प्रथा से मुक्त इन परिवारों ने विभिन्न क्षेत्रों में अपना नाम कमाया । देश-दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई ।
ये गुजराती ब्राह्मण परिवार शताब्दियों बाद भी अपनी कुल परंपराओं का निर्वाह कर रहे हैं । शारदेय नवरात्रि के दौरान इनके देवी आराधन गरबे, आज अपने परंपरागत मूल और शुद्ध स्वरूप में भक्ति भाव से आयोजित होते हैं ।
चकराघाट, सागर स्थित इन परिवारों की आराध्य देवी श्री मल्ली माता मंदिर और समाज भवन में इस नवरात्रि गरबों का यही स्वरूप देखने में आ रहा है ।
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