◾जिला लोक अभियोजक रामवतार तिवारी ने बताई प्रशासनिक लापरवाही, मुख्यमंत्री तक मामला संज्ञान में पहुंचाया
सागर। 300 करोड़ की सुभाग्योदय जमीन मामले में तूल पकड़ लिया है । अदालत में पेशियों पर पूरे समय वादी शासन के लगातार गैरहाजिर रहने के कारण मामला खारिज हो गया। इसमें
प्रशासन की जमकर फजीहत हुई है।
कलेक्टर दीपक आर्य ने सरकारी वकील को बदला और नजूल अधिकारी को नोटिस जारी किए। इसके रि-स्टोरेशन कराने के लिए न्यायालय में आवेदन भी दिया है । इस मामले की पैरवी से हटाए गए जिला लोक अभियोजक रामवतार तिवारी ने सुभाग्योदय मामला में मामले में आज मीडिया के सामने प्रशासन की लापरवाही और इसकी पैरवी कर रहे पूर्व अतिरिक्त लोकाभियोजको की चूक को बताया।
उन्होंने बताया कि इस मामले को जिला प्रशासन मीडिया ट्रायल बना दिया। 9 जनवरी 2017 को अदालत में बाद प्रस्तुत हुआ था। जिसमे जमीन का बैनामा। शून्य घोषित कराना था। इसमें कलेक्टर और नजूल अधिकारी वादी थे। अब्दुल कादिर सहित अन्य के खिलाफ मामला था। इस दीवान कुल 75 पेशियां हुई। लेकिन किसी भी पेशी पर सरकारी अधिकारी साक्ष्यों के साथ उपस्थित नहीं हुए। पूर्व के लोक अभियोजको ने भी इस केस को लड़ने से इंकार किया। इसके अलावा बिना फाइल के पेशियां चलती रही।
उन्होंने कहा कि यदि वादी यानि शासन अपना पक्ष रखने में गैर हाजिर रहता है तो इसमें वकील कहा से दोषी है। मेने कही भी लापरवाही नहीं की है। अपने दायित्व को पूरी जिम्मेदारी से निभाया है। मेरी कभी भी मंशा नही रही है कि सरकार को किसी भी तरह की कोई क्षति पहुंचे। जिन्होंने पूर्व में गलतियां की उनके बारे में सरकार को संज्ञान में लेना चाहिए।
सरकारी अधिवक्ता रामवतार तिवारी ने कहा कि में चाहता हू कि इसकी पूरी तरह से जांच होना चाहिए। सागर कमिश्नर मुकेश शुक्ला को पूरे मामले से अवगत कराया है। इसके अल्वा मुख्यमंत्री और विधि विभाग को भी पूरा मामला भेजा है । इसकी जांच कराई जाए कि सुभाग्योदय मामले में चूक कहा हुई है। में इसके लिए तैयार हूं। जिस तरह से मुझे प्रशासन नेमीडिया में प्रचारित किया उस व्यवस्था मुझे दुख पहुंचा। इसलिए मीडिया के सामने आया हूं।
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