‘सब्जीवाले शायर’ का पुस्तक मेला में किया गया सम्मान
वाराणसी। शायरी एक ऐसा इल्म है जिसके लिए मोटी मोटी किताबें पढ़ने और विश्वविद्यालयों में जाने की जरूरत नहीं होती। शायरी का जज्बा तो जज्बात से पैदा होता है। सब्जीवाले शायर के रूप में नई ख्याति अर्जित कर रहे शायर कुंवर सिंह ‘कुंवर’ इसके जीवंत प्रमाण हैं।
ये बातें बीएचयू के केंद्रीय ग्रंथालय के उपग्रंथालयी डा.संजीव सर्राफ ने शनिवार को कला संकाय के राधाकृष्णनन हॉल में चल रही वाणी प्रकाशन की पुस्तक प्रदर्शनी में कुंवर सिंह ‘कुंवर’ के सम्मान समारोह में कहीं। उन्होंने कहा कि मेयार सनेही जैसे विख्यात शायर की संगत में निखरे ‘कुंवर’ ने स्कूली पढ़ाई नहीं की तो क्या हुआ जिंदगी की पढ़ाई बहुत करीब से की है। उनकी ग़ज़लें इस बात की तस्दीक करती हैं। वाणी प्रकाशन की ओर से श्रीकांत अवस्थी ने कहा कि हम जब भी किसी शहर में अपनी पुस्तकों की प्रदर्शनी लेकर जाते हैं तो लौटते वक्त यह विचार करते हैं कि हम वहां से पाठकों के लिए क्या लेकर जा रहे हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि इस बार बनारस से हम कुंवर सिंह ‘कुंवर’ (उनकी गजलें) को अपने साथ ले जाएंगे। उप ग्रंथालयी डा. रामकुमार दांगी ने कहा कि परिवार पालने के लिए सब्जीबेचने,रिक्शा चलाने, रंगाई-पोताई करते हुए ‘कुंवर’ने जिस अंदाज की ग़ज़लें कही हैं वह बड़े बड़े इल्मी और अदबी शायरों को भी मयस्सर नहीं है। सम्मान समारोह में राजेश उपाध्याय,वाणी प्रकाश के दिनेश भोयर, शीतल कुमार भी उपस्थित रहे।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें