डा गौर विवि में फर्जी अंकसूची के आधार पर सहायक प्राध्यापक बनने वाले आरोपी को कारावास◾पत्रकारिता विभाग का मामला

 डा गौर विवि  में फर्जी अंकसूची के आधार पर सहायक प्राध्यापक बनने वाले आरोपी को कारावास

पत्रकारिता विभाग का मामला


सागर।  द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश सागर शिव बालक साहू  की न्यायालय ने आरोपी संतोष पिता परमलाल अहिरवार उम्र 39 वर्ष हाल निवासी अहमदनगर का बगीचा, वृंदावन वार्ड सागर को दोषी पाते हुए भादवि की धारा 420 में 02 वर्ष का कठोर कारावास एवं 10000 रूपए का अर्थदण्ड एवं धारा 471 में 03 वर्ष का कठोर कारावास एवं 10000 रूपए का अर्थदण्ड से दंडित करने का आदेश दिया। राज्य शासन की ओर से पैरवी अपर लोक  अभियोजक आशीष गोपाल चतुर्वेदी द्वारा की गई।



जिला अभियेाजन के मीडिया प्रभारी सौरभ डिम्हा ने बताया कि दिनांक-26.08.2016 को आवेदक/फरियादी डॉ. अनिल किशोर पुरोहित ने जन शिकायत प्रकोष्ठ के माध्यम से पुलिस अधीक्षक जिला सागर को इस आशय का लिखित आवेदन प्रस्तुत किया कि डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में वर्ष 2012-13 में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में नवनियुक्त सहायक प्राध्यापक संतोष कुमार अहिरवार ने अपने आवेदन में निर्धारित योग्यता के संबंध में बी.सी.जे. की फर्जी अंकसूची प्रस्तुत कर अनुचित आधार पर सहायक प्राध्यापक का पद प्राप्त किया। जबकि फरियादी डॉ. अनिल विभागीय मैरिट सूची में प्रथम स्थान पर था। उसे 02 जून 2016 को उक्त जानकारी प्राप्त हुई, जिस पर से विश्वविद्यालय के कुलपति को अभ्यावेदन दिया गया। कुलपति द्वारा कार्यवाही न किये जाने पर पुनः 22 जुलाई 2016 को लिखित शिकायत की गई कि संतोष द्वारा विश्वविद्यालय में प्रस्तुत की गई बी.सी.जे. की अंकसूची फर्जी है तथा उसकी असल अंकसूची अनुसार वह अनुत्तीर्ण है, फर्जी अंकसूची के आधार पर संतोष कुमार ने सहायक प्राध्यापक के पद पर अवैध नियुक्ति प्राप्त की है, संतोष कुमार के सेवा रिकार्ड में बार-बार अंकसूची बदलने का प्रयास किया गया, सेवा पुस्तिका की प्रति आर.टी.आई. के माध्यम से फरियादी डॉ. अनिल को तत्कालीन कुल सचिव के हस्ताक्षर से प्राप्त हुई थी जो बाद में डोफा कार्यालय के रिकार्ड में नहीं पाई गई। संतोष कुमार की अंकसूची का वैरिफिकेशन माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से कराया गया था जिसमें पाया गया कि संतोष कुमार बी.सी.जे. 2008 में छटवें सेमिस्टर में अनुत्तीर्ण हैं। फरियादी की उक्त शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। उक्त आवेदन पत्र पर थाना सिविल लाईन द्वारा जंाच की गयी। जांच उपरांत यह बात सामने आयी कि वर्ष 2012-13 में पत्रकारिता एवं जनसंचार में सहायक प्राध्यापक के पद पर संतोष कुमार अहिरवार द्वारा बेचुलर ऑफ जनलिलम की फर्जी अंकसूची के आधार पर नियुक्ति की गयी जिसमें संतोष अहिरवार के द्वारा जो अंकसूची पेश की गयी थी उसका सत्यापन विश्वविद्यालय भोपाल से करवाया गया जिनके द्वारा रिपोर्ट में उक्त अंकसूची जारी नहंी किया जाना  पाया था। अतः फर्जीै अंकसूची पेश करने के आधार पर सहायक प्राध्यापक के पद पर नियुक्त होना पाया गया। थाना सिविल लाईन में अपराध पंजीबद्ध कर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख की गयी। विेवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेखबद्ध किये गये। अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य संकलित की गयी। डॉ हरीसिंह गोैर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं विधि अधिकारी से पूछताछ कर महत्वपूर्ण साक्ष्य संकलित की गयी। विवेचना के दौरान आरोपी संतोष अहिरवार से पूछताछ कर जप्ती की कार्यवाही की गयी। आरोपी संतोष अहिरवार को गिरफ्तार किया गया। विवेचना उपरांत अभियोग पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। न्यायालय में विचारण न्यायालय में विचारण के दौरान अभियोजन ने महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत किये। अभियोजन के द्वारा प्रस्तुत सबूतों और दलीलों से सहमत होते हुए मामले को संदेह से परे प्रमाणित पाये जाने पर न्यायालय ने आरोपी संतोष अहिरवार को भादवि की धारा 420, 471 में दोषी पाते हुए कारावास एवं अर्थदण्ड की सजा से दंडित करने का निर्णय पारित किया।


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