गौर विश्वविद्यालय में "इंटेलेक्चुअल हेरिटेज सेल" का गठन

गौर विश्वविद्यालय में  "इंटेलेक्चुअल हेरिटेज सेल" का गठन


सागर/ भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा "बौद्धिक विरासत" के लिए एक योजना तैयार की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत संवाद, प्रलेखन, अनुसंधान एवं प्रकाशन के साथ विकास, ज्ञान स्रोत तथा नये भारत की दिशा को आकार दिया जाने का प्रयास है। इसके हेतु शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार अपने अन्य सहयोगी मंत्रालयों के साथ मिलकर भारत की भव्यता और दिव्यता से सभी को परिचित कराने के लिए अकादमिक कार्य-योजना को साकार रूप देने के लिये प्रतिबद्ध है।
देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में इस हेतु अनुसंधान परक कार्यक्रम हों और उनका प्रकाशन भी, इसलिए चुनिन्दा श्रेष्ठ शैक्षणिक संस्थानों में "बौद्धिक विरासत प्रकोष्ठ" स्थापित किये जा रहे हैं। इसी श्रंखला में डाॅ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर मध्यप्रदेश की कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता के निर्देशन एवं नेतृत्व में "विश्वविद्यालय बौद्धिक विरासत प्रकोष्ठ" का गठन किया गया है, जिसमें प्रो दिवाकर सिंह राजपूत को "मुख्य समन्वयक" नियुक्त किया है। साथ ही 16 विभिन्न समितियों के समन्वयक एवं सह-समन्वयक भी नियुक्त किये गये हैं, जो निर्धारित समय सीमा में कार्य योजना तैयार करेंगे।
विभिन्न समितियों के समन्वयकों में - मन की बात अध्ययन हेतु समन्वयक डाॅ पंकज तिवारी, गरीब कल्याण योजना समन्वयक प्रो दिवाकर सिंह राजपूत, शिक्षा एवं कौशल विकास समन्वयक प्रो ए डी शर्मा, नये भारत में स्वास्थ्य क्लस्टर के समन्वयक प्रो संजय जैन, उभरती नारी शक्ति समन्वयक प्रो निवेदिता मैत्रा, वित्तीय समावेशन समन्वयक प्रो जी एल पुन्ताम्बेकर, पर्यावरणीय विकास समन्वयक प्रो आर के रावत, देशज ज्ञान समन्वयक प्रो एडी शर्मा, संस्कृति समन्वयक प्रो बीके श्रीवास्तव, तकनीक सशक्त भारत समन्वयक प्रो जेके जैन, दिव्यांग सशक्तीकरण सबका साथ सबका विकास समन्वयक डाॅ ललित मोहन, सशक्त भारत रक्षा योजना समन्वयक डाॅ धर्मेन्द्र सराफ, खेल समन्वयक डाॅ उत्सव आनंद, सुधार एवं पुनरुत्थान समन्वयक प्रो जीएल पुन्ताम्बेकर, आंतरिक सुरक्षा समन्वयक प्रो दिवाकर सिंह राजपूत, विदेश संबंधी योजना समन्वयक प्रो हारेल थाॅमस के साथ अन्य शिक्षकों को सह-समन्वयक नियुक्त किया गया है।
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता ने बतलाया कि "बौद्धिक विरासत प्रकोष्ठ" भारत की दिव्यता एवं भव्यता के साथ देशज ज्ञान परम्परा की समृद्धि पर केन्द्रित अनुसंधान परक कार्यक्रम और प्रकाशन के नये आयाम स्थापित करेगा।

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