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अपनी भाषा में बोलना सामाजिक कर्तव्य है: ध्रुव शुक्ल◾हिन्दी दिवस पर श्यामलम् ने किया व्याख्यान माला और सम्मान समारोह का वार्षिक आयोजन

अपनी भाषा में बोलना सामाजिक कर्तव्य है:  ध्रुव शुक्ल
◾हिन्दी दिवस पर श्यामलम् ने किया व्याख्यान माला और सम्मान समारोह का वार्षिक आयोजन 


सागर।  नगर की सक्रिय संस्था श्यामलम् ने 14 सितंबर को हिन्दी दिवस पर व्याख्यान माला और हिन्दी सेवी सम्मान समारोह का भव्य और गरिमामय आयोजन  कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय के सभागार में किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्रसिद्ध कवि साहित्यकार ध्रुव शुक्ल ने व्याख्यानमाला के विषय "भारत की बोली" पर अपने 
शोधपरक और प्रभावी व्याख्यान में‌ कहा कि अपनी भाषा में बोलना सबसे बड़ा सामाजिक कर्तव्य है और हम अपनी भाषा में परिपक्व होते होते आज यहां तक आ गए हैं कि हमने एक अपरिभाषित ईश्वर को भी परिभाषित किया हुआ है, तो अगर हमने ईश्वर को खुद परिभाषित किया हुआ है तो हम उसको दूर जाकर कहीं क्यों खोजते हैं ! उसकी परिभाषा हमारे पास है तो हम उससे जो भी आशा करते हैं और जो ईश्वर हमने रचा है अपने ईश्वर से प्रार्थना करें।  गांधीजी हिंदी में यह गुण देखते थे कि वह भाषा पूरे देश में संप्रेषणीय होती है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हम दूसरी भाषाओं का आदर न करें। हम दूसरी भाषाएं भी सीखें लेकिन अपनी मातृभाषा में और एक ऐसी भाषा में जो पूरे देश में संप्रेषित होती है,उसमें विमर्श करने की आदत डालें। 
हम अनुवाद की भाषा से बचें। हम अंग्रेजी में पहले न सोचें। हम अपनी भाषा में सोचें। भले ही उसका दूसरी भाषा में अनुवाद करें। अपनी बात दूसरों को बताएं। इस अर्थ में हिंदी दिवस मनाना अधिक महत्वपूर्ण होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ.हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.सुरेश आचार्य ने अपनी विशिष्ट शैली में वक्तव्य देते हुए उपस्थित सभागार में हास्य की बारिश कर दी। उन्होंने कहा कि बोलियां ही सुसंस्कृत होकर भाषा बनती हैं। 

हिंदी के उत्थान में भारतेंदु हरिश्चंद्र का अप्रतिम योगदान है। खड़ी बोली मूलतः दिल्ली, मेरठ और बागपत से आई, उसे साहित्यकारों ने संवारा। गालिब हों या मीर सब हिंदुस्तानी बोली उर्दू के रचनाकार हैं। निराला, प्रसाद और महादेवी से बुंदेली रचनाकारों तक हिंदी की क्रमशः सुसंगत धारा प्राप्त होती है। अंग्रेजी भी उर्दू की तरह हिंदी की एक शैली है। उन्होंने उपस्थित जनों से राजभाषा दिवस के अवसर पर हिंदी को संवारने का प्रण करने की अपील करते हुए कहा यह भारत माता की सच्ची सेवा होगी।

 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय सागर के कुलाधिपति डॉ अजय तिवारी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि हिंदी राजभाषा से राष्ट्रीय भाषा बने यह संकल्प हमें करना चाहिए।‌ हिंदी भाषा बोलने में सरल,सहज और समझ से युक्त भाषा है। विशिष्ट अतिथि एवं कार्यक्रम की सह संयोजक संस्था कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय सागर के प्राचार्य डॉ. जीएस  रोहित ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी पहले बोलचाल की भाषा थी लेकिन अब रोजगार की भाषा भी है क्योंकि शासन द्वारा भी अनेक पद हिंदी के लिए निकाले जा रहे हैं। इस अवसर पर प्रो.जी. एल. पुणतांबेकर तथा कथाकार कवयित्री डॉ. सुश्री शरद सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

 कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती पूजन एवं कवयित्री डॉ.चंचला दवे द्वारा सरस्वती वंदना की मधुर प्रस्तुति से हुई। मुख्य आयोजक संस्था श्यामलम् के अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने स्वागत भाषण दिया और कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। मंचासीन अतिथियों का सूत की माला, श्रीफल व पुस्तकें भेंट कर स्वागत उमा कान्त मिश्र, डॉ. सुश्री शरद सिंह, डॉ. आशुतोष गोस्वामी एवं हरी शुक्ला कोषाध्यक्ष ने किया। बुंदेली गायक शिवरतन यादव ने कवि ध्रुव शुक्ल द्वारा लिखित प्रकृति चित्रण पर काव्य रचना का सुमधुर गायन किया।‌ कार्यक्रम का व्यवस्थित एवं सुचारु संचालन कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. अमर कुमार जैन ने तथा आभार प्रदर्शन श्यामलम् सह सचिव संतोष पाठक ने किया। 

           कार्यक्रम में हिन्दी में उल्लेखनीय रचनाकर्म के लिए गैर हिंदी भाषी लेखकों को दिया जाने वाला "श्यामलम् हिन्दी सेवी सम्मान" 2022 मराठी मूल की लेखिका शास. महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बीना की पूर्व हिन्दी प्राध्यापक डॉ. संध्या सरवटे को प्रदत्त किया गया। उपरोक्त के अलावा इस वर्ष प्रारंभ किए गए दो नए सम्मानों में पं. श्याम‌ मनोहर गोस्वामी स्मृति प्रथम "मानस मर्मज्ञ सम्मान" से छोटी राम कहानी के चर्चित प्रवक्ता ध्रुव शुक्ल भोपाल तथा डॉ.वर्षा सिंह स्मृति प्रथम "युवा रचनाकार सम्मान" से आलोचना के लिए युवा समीक्षक  व लेखिका डॉ. सुजाता मिश्र सागर को सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप शाॅल,श्रीफल, साहित्यिक पुस्तकें, पुष्प गुच्छ, अभिनंदन पत्र एवं सम्मान निधि भेंट की गई। जीवन परिचय वाचन डॉ. अमर कुमार जैन, आनंद मंगल बोहरे, रमाकांत शास्त्री, श्री राम सेवा समिति अध्यक्ष डॉ विनोद तिवारी, मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन सागर के अध्यक्ष आशीष ज्योतिषी ने तथा अभिनंदन पत्रों का वाचन क्रमशः श्यामलम् सचिव कपिल बैसाखिया, मध्य प्रदेश लेखिका संघ सागर की अध्यक्ष श्रीमती सुनीला सराफ और स्वर‌ संगम एवं प्रीत अध्यक्ष हरी सिंह ठाकुर ने किया।

           कार्यक्रम में नगर के प्रबुद्धजन, कॉलेज के विद्यार्थी एवं स्टॉफ बड़ी संख्या में उपस्थित रहे जिनमें वीनू राणा, आर के तिवारी, मुन्ना शुक्ला,डॉ आशीष द्विवेदी, अंबिका यादव,
रमेश दुबे, जे सी श्रीवास्तव, पूरन सिंह राजपूत,ज ला प्रभाकर, सतीश पांडे, पी आर मलैया, मुन्ना रावत, जगदीश पाठक, उदय खेर, महेश श्रीवास्तव, एम के खरे, डॉ अतुल श्रीवास्तव, डॉ बी डी पाठक, महेंद्र प्रताप तिवारी, प्रदीप पांडेय, असरार अहमद, डॉ आर आर पांडे,कुंदन पाराशर, राकेश मिश्रा, अशोक रायकवार, नीलरतन पात्रा, मुकेश तिवारी, गौरव राजपूत, प्रभात कटारे, राकेश मिश्रा, टी आर त्रिपाठी, राम कुमार दुबे, संध्या सरवटे, नसीम बानो, ममता भूरिया, ज्योति विश्वकर्मा, उषा बर्मन, सुमन झुड़ेले, सुश्री नवाथे, डॉ संगीता मुखर्जी, डॉ प्रवीण शर्मा, डॉ प्रतिभा जैन, डॉ मधु स्थापक, डॉ गोपा जैन,डॉ रंजना मिश्रा आदि के नाम प्रमुख हैं।
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